मानवीय मूल्यों व नैतिक विकास व बौद्धिक क्षमता के लिए समर्पित जैविभा विश्वविद्यालय है आधुनिक गुरुकुल- राज्यपाल बागडे,
जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय का 35वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया
लाडनूं (kalamkala.in)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के 35वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में इस विश्वविद्यालय को आधुनिक गुरुकुल की संज्ञा देते हुए कहा कि यह सुखद है कि यह विश्वविद्यालय नैतिक व चारित्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित है। यहां मानवीय मूल्यों के साथ बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा और प्राचीन भारतीय शिक्षा के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राचीन विद्वानों चरक, सुश्रुत, गार्गी, मैत्रेयी आदि ऋषियों व विदुषियों ने बहुत अच्छा लिखा भी था। उनके ग्रंथ आज भी सबका मार्गदर्शन करते हैं। राजस्थान ने महर्षि भारद्वाज के विमान निर्माण विधि के ग्रंथ की चर्चा करते हुए बताया कि इस ग्रंथ का शोधन कर 1895 में यहां विमान बना कर उड़ाया गया था और वह 1500 फीट की ऊंचाई तक उड़ा और सफलता पूर्वक वापस लौटा भी। इस आविष्कार को यहां दबा कर रखा गया और इसके 8 साल बाद राईट बंधुओं ने वायुयान बनाया। हमारे देश में हजारों सालों से समस्त ज्ञान-विज्ञान लिखा हुआ है।
आचार्य तुलसी ने चरित्र निर्माण के लिए चलाया अणुव्रत आंदोलन
यहां सम्पोषणम् भवन में आयोजित समारोह में बोलते हुए राज्यपाल बागड़े ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि लाडनूं आचार्य तुलसी की जन्मभूमि है। यहां उनके आदर्शों और ज्ञान को आत्मसात् करने की भावना को बल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आचार्य तुलसी ने राष्ट्र में चरित्र निर्माण के लिए अणुव्रत आंदोलन शुरू किया और लाखों किमी की पदयात्राएं की। उन्होंने हमेशा नशामुक्ति को महत्व दिया था। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि ज्ञान समुद्र की तरह अथाह होता है, इसमें से जितना भी ज्ञान ग्रहण कर सको, अवश्य करो। अपनी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाओ। केवल सर्टिफिकेट प्राप्त करना ही शिक्षा नहीं होती, इसमें अपनी दिमागी क्षमता बढ़ाने और नैतिकता सीखना जरूरी है। उन्होंने सोहनलाल द्विवेदी की कविता ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ प्रस्तुत करके सबको प्रेरित किया और कहा कि कर्म का कोई बंधन नहीं होता। सोचना, चिंतन, मनन इनको रोको मत। विद्या को निरन्तर बांटो, यह आवश्यक है। उन्होंने शिक्षकों, प्राध्यापकों, प्राचार्यों को नई-नई जानकारियां प्राप्त करने और विद्यार्थियों को देने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि अच्छी जानकारी उन तक पहुंचाने से उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
नैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक शिक्षा भी जरूरी, जैविभा अपने उत्कृष्ट स्तर पर
स्थापना समारोह मुनिश्री जयकुमार व मुनिश्री विजय कुमार के सान्निध्य में हुआ। मुनिश्री जयकुमार ने अपने सम्बोधन में हर व्यक्ति में विकास की भावना होने और घर, विद्यालय होते हुए विश्वविद्यालय तक पहुंचने की यात्रा को विकास की चाह बताया और कहा कि जब तक नैतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता, तब तक उस शिक्षा को पूर्ण नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि आचार्यों ने इसे ध्यान में रखते हुए नैतिक शिक्षा पर पूरा जोर दिया। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय इस दृष्टि से अपने उत्कृष्ट स्तर पर पहुंचा है। उन्होंने भावी पीढ़ी के निर्माण में डाक्टर, वकील, इंजीनियर ही नहीं, नैतिकता और आध्यात्मिकता का विकास जरूरी है, अन्यथा वह शिक्षा अधूरी होती है। मुनिश्री विजय कुमार ने संस्थान के 35वें वर्ष को युवावस्था बताई और इस अवधि में किए गए विकास को बेहतर बताया।
130 साधुओं ने की विश्वविद्यालय से पीएचडी
प्रारंभ में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने जैविभा विश्वविद्यालय के प्रारंभ से लेकर उसकी विकास यात्रा का वर्णन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और विकसित करने का कार्य कर रहा है। वास्तु, ज्योतिष, प्राकृत, संस्कृत, राजस्थानी भाषा आदि के लिए किए जा रहे कार्यों और ओनलाइन पाठ्यक्रमों, संगोष्ठियों आदि की उन्होंने जानकारी दी। उन्होंने विश्वविद्यालय के 25 करोड़ के कोर्पस फंड, योग सम्बंधी 16 विश्वरिकॉर्ड स्थापित करने, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों को 6 पुरस्कार मिलने, 106 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट सब्मिट किए जाने, 15 लाख का अनुदान प्राप्त होने, प्राचीन धरोहर पांडुलिपियों के संरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य, विश्वविद्यालय के प्राकृत भाषा का नोडल केंद्र स्थापित किए जाने आदि विशेष उपलब्धियों की जानकारी देते हुए एक विशिष्टता यह भी बताई कि यह पहला विश्वविद्यालय है, जहां साधु-साध्वियों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। यहां अब तक 130 साधु-साध्वियों को पीएचडी की उपाधि दी जा चुकी और 2500 साधु-संत अध्यनरत हैं। प्रो. दूगड़ ने अपने सम्बोधन में राज्यपाल का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया। राजस्थान बागडे का शॉल, स्मृति चिह्न, उपहार आदि से सम्मान भी किया गया। विशिष्ट अतिथि जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अमरचंद लूंकड़ का भी सम्मान किया गया।
ये सब रहे उपस्थित
कुलसचिव प्रो. बीएल जैन ने अंत में आभार ज्ञापित किया। इन कार्यक्रमों के दौरान जिला कलक्टर पुखराज सेन, एसपी हनुमान प्रसाद मीणा, उपखंड अधिकारी मिथिलेश कुमार, पीआरओ अभिमन्यु सिंह राठौड़ आदि मौजूद रहे तथा जिला व उपखंड स्तर के सभी विभागीय अधिकारी एवं पुलिस प्रशासन व्यवस्थाओं में तैनात रहे। समारोह में जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष धर्मचंद लूंकड़, संरक्षक भागचंद बरड़िया, हंसराज डागा, सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार चोरड़िया, संपत डागा, राजेन्द्र खटेड़, लक्ष्मीपत बैंगाणी आदि प्रमुख व्यक्ति, विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशक आनद प्रकाश त्रिपाठी, सहायक रजिस्ट्रार दीपाराम खोजा आदि समस्त स्टाफ विश्विद्यालय के सभी विधार्थी भी उपस्थित रहे।
