शीतला माता के मंदिर को लेकर शुरू हुई गर्माहट पर दानदाता भामाशाह के समर्थन में भी उतरे लोग,
शान्तिभंग की संभावनाएं बनी, नगर पालिका ने करवाया धार्मिक कार्य का निर्माण बंद
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लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं के सुप्रसिद्ध व एकमात्र शीतला माता मंदिर को लेकर दो पक्षों का विवाद पूरे शहर के लिए चिंताजनक बना हुआ है। एक पक्ष की शिकायत पर नगर पालिका ने मौके पर निर्माण कार्य बंद करवा दिया। दूसरे पक्ष ने भी इस प्रकरण में प्रशासन के समक्ष वास्तविक स्थिति और दानदाता के प्रयासों के बारे में खुलासा किया है। इस सम्बन्ध में द्वितीय पक्ष जो मंदिर पर सत्संग भवन व चारदीवारी निर्माण का समर्थन करता है, ने उपखण्ड अधिकारी और नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी को ज्ञापन देकर सारे कार्य की हकीकत बयान की है। उन्होंने अपने ज्ञापन में शीतला माता मन्दिर के चारदीवारी कार्य में उत्पन्न अवरोध के संबंध में विवरण बताते हुए झूठी शिकायतें करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने और धार्मिक कार्य में बाधक बन रहे लोगों को पाबंद करने की मांग की है।
रैगर समाज के लोगों ने माप-जोख कर नींवों की खुदाई करवाई
ज्ञापनों में बताया गया है कि लाडनूं के शीतला चौक में स्थित शीतला माता मन्दिर व बोदरी माता के मन्दिर का चार दीवारी कार्य सर्व समाज के धार्मिक व सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए प्रारंभ किया गया था। समाज के लोगों ने निर्माण कर्ता आशाराम रैगर से मन्दिर में सत्संग भवन व मन्दिर सुरक्षा तथा सौंदर्य के लिए मन्दिर की ही आंशिक भूमि पर अधिकत्तम तीन फुट ऊंची दीवार मय रैलिंग का निर्माण करवाने का आग्रह किया था, ताकि मन्दिर का लौकिक दृश्य सुरम्य बन सके।जिस आंशिक भूमि पर चारदीवारी व रैलिंग कार्य करया जाये, वह किसी व्यक्ति विशेष की भूमि नहीं है। इसके लिए दानदाता भामाशाह ने अपने निजी खर्चे से समाज के निर्णयानुसार इस कार्य को आरम्भ किया। यह सत्संग भवन का निर्माण कार्य लाखों रूपये की लागत से लगभग पूर्ण हो चुका है। मन्दिर परिसर की साफ-सफाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा भक्तजनों व दर्शनार्थियों की आवारा पशुओं से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चारदीवारी का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। जिसकी नींव की खुदाई का कार्य स्वयं समाज के व्यक्तियों द्वारा ही माप-चौक करके खुदाई का कार्य शुरू किया गया था। निर्माण कर्ता स्वयं की मन मर्जी से नहीं कर रहा है। इस स्थान पर किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण नहीं किया जा रहा है और भविष्य में कभी अतिक्रमण की कोई मंशा भी नहीं है। इसके बावजूद कुछ व्यक्तियों द्वारा इस धार्मिक कार्य में बदनियति पूर्वक जानबूझकर दानदाता की छवि को धूमिल करने के लिए अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं और झूठी शिकायतें कर रहे हैं।
झूठी शिक़ायत कर्ताओं को किया जाए पाबंद
इन लोगों ने पहले नगर पालिका में झूठी शिकायत करके निर्माण कार्य को रूकवाया था और दानदाता ने तुरंत प्रभाव से निर्माण कार्य को बंद कर दिया था। फिर भी उन लोगों ने 8 अप्रेल को फिर शिकायत करके प्रशासन को गलत सूचना देकर काम चालू होने की झूठी रिपोर्ट दी गई, जिसका मौका मुआयना करवा कर हकीकत जानी जा सकती है। इस प्रकार मिथ्या शिकायतें करके दानदाता को बार-बार परेशान किया जा रहा है। जबकि रेगर समाज के अध्यक्ष व पार्षद गण इस धार्मिक कार्य को कराने के पक्ष में है और उन्होंने इस कार्य का पुरजोर समर्थन भी किया है। इसलिए उचित जांच करवाकर झूठी शिकायतें करने वालों के विरूद्ध कठोर कारवाई जाए, ताकि समाज में शांति बनी रहे। ये शिकायत कर्ता कभी भी शांतिभंग कर सकते हैं, अतः उचित कार्यवाही करते हुए धार्मिक कार्य को निर्विघ्न रूप से भक्तों के हित में सम्पन्न हो सके ऐसी कार्यवाही अमल में लाई जाए एवं झूठे शिकायतकर्ताओं को पाबन्द कर राहत प्रदान करें।
इन सबने दिया हकीकत का ज्ञापन
ज्ञापन देने वालों में स्वयं दानदाता आशाराम रेगर भी शामिल हैं और उसका साथ देने वालों में रैगर समाज के अध्यक्ष हनुमानमाल रैगर, वार्ड सं. 3 के पार्षद मनसब खान, नारायण रेगर, भंवर लाल, मूलचंद रेगर, नेमीचंद, श्यामसुंदर, भगवती प्रसाद, मेघराज, डालमचंद, बक्सीचंद, जेनेस, अशोक, लोकेश, सम्पतलाल रेगर, भगीरथ फुलवाड़िया, कपिल रेगर, कासिफ, कैलाश चंद्र, नरेंद्र कुमार रेगर, कैलाश फुलवाड़िया, दिनेश फुलवाड़िया, कन्हैयालाल आदि शामिल रहे।
