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लाडनूं में चल रहा नकली डीएपी खाद का गोरखधंधा,  कृषि विभाग की टीम को छापे में एक घर से मिले नकली खाद के कट्टे, शंकर एग्रो एजेंसी द्वारा क्षेत्र में किसानों को खपाई जा रही थी, किसानों की शिकायत पर हुई कार्रवाई

लाडनूं में चल रहा नकली डीएपी खाद का गोरखधंधा,

कृषि विभाग की टीम को छापे में एक घर से मिले नकली खाद के कट्टे, शंकर एग्रो एजेंसी द्वारा क्षेत्र में किसानों को खपाई जा रही थी,

किसानों की शिकायत पर हुई कार्रवाई
लाडनूं। क्षेत्र में नकली डीएपी खाद बेचे जाने की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कृषि विभाग की एक टीम ने आकस्मिक रूप से दबिश देकर एक किसान के घर से 19 कट्टे नकली खाद के जब्त किए हैं। कृषि अधिकारी रमेशचन्द्र बेनीवाल ने बताया कि जिला उर्वरक निरीक्षक एवं कृषि अधिकारी शंकरलाल सियाग के नेतृत्व में कृषि विभाग नागौर की टीम ने यह कार्रवाई की। कार्रवाई में टीम कथित डीएपी वितरक एजेंसी शंकर एग्रो एजेंसी का कोई प्रतिनिधि मौके पर नहीं मिला और खाद बीज भंडार की दुकान बंद पड़ी मिली। उसके नजदीक ही मकान में नकली डीएपी के कट्टे मिले। सिलनवाद गांव में किसान नत्थूराम के घर में 19 कट्टे नकली डीएपी मिली। यह सारा माल उनके द्वारा शंकर एग्रो एजेंसी के नाम पूरे क्षेत्र में बेचा जा रहा था। बेनीवाल ने बताया कि विभाग के पास वहां 100 से अधिक कट्टे होने की सूचना मिली थी, लेकिन मौके पर 19 कट्टे ही मिले। पकड़ा गया यह सारा माल नकली था, जिसे किसानों को डीएपी खाद के रूप में बेचा जा रहा था। कार्रवाई में जब्त किए गए सभी कट्टे स्थानीय क्रय विक्रय समिति को सुपुर्द किए गए हैं। जब्त किए सभी कट्टों के नमूने प्रयोगशाला में भिजवाए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि किसानों को एक डीएपी का कट्टा करीब 1350 रुपए में बेचा जाता है।
हुडास के किसानों को भी बेची गई नकली खाद
इस सम्बंध में हुडास गांव में भी तीन किसानों भंवरलाल बिड़ियासर, बुल्लाराम भामू व भंवरलाल भामू ने 45 कट्टे डीएपी खाद के खरीदे थे, जो छापे की सूचना के बाद जांच में सभी नकली निकले। इसकी शिकायत जब डीएपी बेचने वाले दुकानदार से की गई तो उसने नकली होने से इंकार किया और बाद में पैसे वापस देने के लिए राजी हो गया। कृषि विभाग को इसकी शिकायत दी गई और दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, तब कृषि अधिकारियों ने इसकी जांच भी करवाने का आश्वासन दिया है। सहायक कृषि अधिकारी बेनीवाल ने सभी किसानों से खाद खरीदते समय पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि डीएपी रबी की फसल की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में काम में ली जाती है। इसके विक्रय के लिए अधिकृत विक्रेता बनाए गए हैं, लेकिन यहां उनके अलावा अवैध तरीके से नकली माल किसानों को बेचा जा रहा था। इससे किसानों की फसलें खराब होती थी और उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा था।

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