लाडनूं, सुजला या सुजानगढ में से आखिर किस नए जिले के पक्षधर हैं लाडनूं के लोग,
सावधान कहीं आपके साथ कोई धोखा तो नहीं हो रहा कि एक गलत निर्णय को पीढियां तक भुगतती रहे?
लाडनूं। सुजला के नाम पर मोहित हुए लाडनूं वासियों का मोह तब भंग हो गया, जब सुजला नाम की आड़ में केवल सुजानगढ को जिला बनाने के प्रयासों की मुहिम खुल कर सामने आ गई। यही कारण रहा कि सुजानगढ के बंद व जाम आंदोलन में लाडनूं वासियों ने कोई भूमिका नहीं निभाई। तंग आकर सुजानगढ वालों ने सरकार के समक्ष लाडनूं भी साथ होना दर्शाने के लिए सुजानगढ से आकर लाडनूं व जसवंतगढ में हाईवे जाम करवाने की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस आए वहीं वापस खदेड़ कर उनकी मंशा को विफल कर दिया। वैवाहिक सावों और गणगौर, रमजान आदि अवसरों का लाभ उठाने के लिए सुजानगढ के व्यापारियों ने बंद को वापस ले लिया, तो सुजानगढ के कतिपय छुटभैये नेता लाडनूं आ पहुंचे और यहां दोनों व्यापार संघों के अध्यक्षों को अपने चंगुल में फंसाया और लाडनूं बंद करवाने की घोषणा कर डाली। परन्तु लाडनूं जिला बनाओ संघर्ष समिति के प्रयासों से व्यापारियों ने बंद का विरोध कलते हुए बाजार खुले रखने का निर्णय लेकर दुकानें खुली रखी। इसे अपनी अवमानना मान कर दोनों व्यापार संघों के अध्यक्षों को अपने पदों से इस्तीफे देने पड़े।
नए जिले की मांग को लेकर लाडनूं वासियों का रवैया
सुजानगढ, जसवंतगढ और लाडनूं क्षेत्र को मिला कर सुजला जिला बनाने की मुहिम पिछले 50 साल से चल रही थी, जिसे सुजानगढ के लोगों ने हाल ही के कुछ सालों में केवल सुजानगढ तक सीमित कर डाला। इसी कारण लाडनूं के लोगों को काफी तकलीफ महसूस हुई और धीरे धीरे उनका इस आंदोलन से मोहभंग हो गया।
अब आखिर लाडनूं के लोग क्या चाहते हैं। विधायक मुकेश भाकर ने डीडवाना को जिला बनाने के लिए लिख कर दिया। लोगों का कहना है कि विधायक खारिया के निवासी है, जो डीडवाना तहसील का गांव है और डीडवाना के नजदीक भी है। इससे पूर्व जब ठाकुर मनोहर सिंह विधायक थे, तो उन्होंने कुचामन के लिए जिलि बनाने की सिफारिश कर डाली, जो समझ से परे है। उनके पुत्र कुं. करणी सिंह उर्फ चिकू बन्ना सुजला जिला बनाने के लिए प्रयासरत हैं। अब यहां के लोग तीन रास्तों पर बिखरे नजर आ रहे हैं। कोई सुजानगढ को, कोई सुजला, तो कोई लाडनूं को जिला बनाने के समर्थक हैं। इन्हें लेकर ज्ञापन भी दिए जा रहे हैं। कहते हैं कि दो घोड़ों की सवारी नहीं होती, तो लाडनूं के लोग तो तीन घोड़ों पर बैठने की चेष्टाएं करने में लगे हैं। लाडनूं जिला बनाओ संघर्ष समिति अब सक्रिय हुई है और लाडनूं को जिला बनाने के लिए पुरजोर प्रयत्न किए जा रहे हैं। संभव है कि सभी दूसरी मांगों के बजाय लाडनूं को जिला बनाने की मांग पर एकराय हो पाएंगे। अब देखना यह है कि लाडनूं को जिला बनाने में सुजानगढ के कितने लोग साथ निभाने आते हैं।
सुजानगढ वाले आज तक कैसी चालबाजियों में उलझे रहे
लाडनूं के लोगों के सुजानगढ वालों पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उनमें कुछ प्रमुख रूप से इस प्रकार हैं- सुजानगढ ने सुजला के नाम को आगे करके हमेशा लाडनूं वालों को ठगा है। लाडनूं की जमीन पर बरसों से सुजला कालेज के नाम से भवन बना रखा है, जिस पर प्रशासन और पुलिस की व्यवस्था लाडनूं क्षेत्राधिकार में रहती है, लेकिन कॉलेज केवल सुजानगढ की बना रखी है। लाडनूं के मोतीलाल बैंगाणी विज्ञान महाविद्यालय वहां अपने भवन में संचालित था, जिसे विलय करके सुजानगढ का बना लिया। लाडनूं का प्राचीन रियासतकालीन लाल थाना को सुजानगढ के डीएसपी का कार्यालय बना लिया, जबकि उनके सामने सड़क पर ही कोई वारदात हो तो लाडनूं पुलिस का एरिया है। भांकड़ा कॉलोनी, जमालपुरा आदग लाडनूं की आसोटा पंचायत की बस्तियां है, लेकिन सुजानगढ ने उन्हें अपने वार्ड बना रखे हैं। सुजानगढ के मास्टर प्लान में लाडनूं क्षेत्र के कतिपय गांवों को नगर परिषद सीमा में शामिल कर लिया गया, जिसका उन ग्राम पंचायतों सहित लोगों ने भारी विरोध किया। लाडनूं क्षेत्र में बनवाए जा रहे सुजानगढ के प्रवेश द्वार को लाडनूं तहसील प्रशासन द्वारा आदेश जारी करके रुकवाना पड़ा। सुजानगढ के गंदे पानी को लाडनूं क्षेत्र में धड़ल्ले से छोड़ कर लोगों के लिए परेशानी पैदा की जा रही है। इस प्रकार के विभिन्न हस्तक्षेप कर धोखाधड़ी पूर्वक लाडनूं को पूरी तरह अपने अधीन रखना चाहता है, पिछड़ा और छोटे गांव में बदलना चाहता है, लाडनूं के व्यापार पर कब्जा जमाना चाहता है। लाडनूं ने बरसोंबरस तक सुजानगढ को अपने भूगर्भ का मीठापानी लगातार पिलाया है, लेकिन बदले में वो क्या दे रहा है, सारे हक हकूकों पर कब्जा जमाने की कोशिश की जा रही है। लाडनूं वालों का कहना है कि अब सब उनकी समझ में आने लगा है, अब इन चालों में फंसना बंद कर रहे हैं।
सुजानगढ या सुजला के समर्थक कौन, कौन देने वाले हैं ज्ञापन
अब सुजला या सुजानगढ को जिला बनाने की मांग को लेकर लाडनूं में कौन कौन सक्रिय हैं, इस पर ध्यान दें तो सामने आता है कि दलित नेता कहे जाने वाले एडवोकेट हरिराम मेहरड़ा, और अल्पसंख्यक नेता मो. मुश्ताक खां कायमखानी ही सक्रिय नजर आते हैं। ये दोनों नेता आंदोलन के दरमियान सुजानगढ की सभाओं में भी शामिल हो चुके और अब 27 मार्च को सुबह 11 बजे लाडनूं में उपखंड प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम का सुजला जिला बनाने की मांग को लेकर ज्ञापन देने जा रहे हैं। इनके साथ कितने लोग जुड़ पाते हैं यह देखने की बात है।