संस्कारों के साथ राष्ट्रीयता से जोड़ती है मातृभाषा- प्रो. त्रिपाठी,
मातृभाषा पर कार्यक्रम आयोजित
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में मातृभाषा पर आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने कहा है कि मातृभाषा किसी भी व्यक्ति के शब्द एवं संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है, साथ ही हमारे अंदर देशप्रेम की भावना भी उत्प्रेरित करती है। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक होती है, जहां से हम अपनी प्रथम अभिव्यक्ति प्राप्त करते हैं। चिंतन एवं मनन की समृद्ध परंपराएं मातृभाषा से ही प्रारंभ होकर अपना ऐतिहासिक अस्तित्व प्राप्त करती हैं। प्रो. त्रिपाठी ने मातृभाषा की पुरजोर वकालत करने वाले पट्टा सीतारामय्या, महात्मा गांधी एवं रविंद्रनाथ टैगोर जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों के योगदानों को भी याद किया। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक अभिषेक चारण ने मातृभाषा में स्वरचित रचना प्रस्तुत की। कोमल मुंडेल, राखी शर्मा, रवीना बाजिया, शुभा भोजक, चंचल, कविता चैधरी, कांता सोनी, रेखा प्रजापत आदि छात्राओं ने भी कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया। डॉ. बलवीर सिंह ने अंत में आभार ज्ञापित किया।
