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हिंदी अपने दम पर बढी और विश्व मंच पर पहुँची- डा. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान का द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न

हिंदी अपने दम पर बढी और विश्व मंच पर पहुँची- डा. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान का द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न

संस्थान ने 150 से भी अधिक हिन्दी की विभिन्न विधाओं की पुस्तकों का प्रकाशन, 200 से भी अधिक हिन्दी सेवियों, समाज सेवियों एवं पत्रकारों को सम्मानित किया, 27 राज्यों में इकाई गठित, 5 पुस्तकालय संचालित और 1 वृद्धाश्रम निर्माणाधीन

अहमद नगर (महाराष्ट्र)। देश की अग्रगण्य स्वयंसेवी हिंदी प्रचार-प्रसार संस्था विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत का 18वाँ साहित्य मेला (राष्ट्रीय वार्षिक अधिवेशन) महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज संलग्नित न्यू आट्र्स, काॅमर्स व साइंस काॅलेज (स्वशासी) अहमदनगर के सहयोग से 24-25 सितंबर, 2022 को संपन्न हुआ। इस अधिवेशन मे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल सहित लगभग दस राज्यों के डेढ सौ प्रतिभागी सम्मिलित थे। अधिवेशन का उद्घाटन अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज के अध्यक्ष तथा पूर्व विधायक श्री नंदकुमार जी झावरे पाटील के कर कमलों से हुआ तथा विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष डा. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने समारोह की अध्यक्षता की। सर्वप्रथम मान्यवर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन सहित सरस्वती प्रतिमा का पूजन किया गया। तत्पश्चात न्यू आट्र्स, काॅमर्स व साइंस महाविद्यालय, अहमदनगर के संगीत विभाग के छात्रों द्वारा सरस्वती वंदना, गणेश वंदना तथा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। संस्थान के कुलगीत का पर्दे पर प्रस्तुतिकरण भी किया गया। इसके उपरांत संस्थान की बाल संसद इकाई के स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया। इन सभी प्रस्तुतियों को सभी ने सराहा।
महाविद्यालय के हिंदी विभाग व शोध केंद्र के अध्यक्ष डाॅ. हनुमंत जगताप ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्थान के सचिव डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ने अपने प्रस्ताविक उदबोधन में कहा ”संस्थान हिंदी के प्रचार-प्रसार व विकास में न केवल निरन्तर प्रयारसत है बल्कि अपने स्तर से व्यापक पैमाने पर इसके लिए परिश्रम भी कर रहा है। जहां हिन्दी सेवा हमारी जान है वहीं समाज सेवा हमारी पहचान है। संस्थान समाज सेवा के कार्यो में भी कही से भी पीछे नहीं है। अभी तक संस्थान ने 150 से भी अधिक हिन्दी की विभिन्न विधाओं की पुस्तकों का प्रकाशन, 200 से भी अधिक हिन्दी सेवियों, समाज सेवियों एवं पत्रकारों को सम्मानित करने का कार्य भी किया जा चुका है। संस्थान के अपने पांच पुस्तकालय संचालित है और निज भवन में वृद्धाश्रम निर्माणाधीन है। हम आगामी अधिवेशन तक पांच हजार सदस्यों के साथ 27 राज्यों में संस्थान की इकाई गठित करने लक्ष्य को लेकर अग्रसित है। अगर आप सबका सहयोग मिलता रहा तो हम निश्चित ही अपने लक्ष्य को हासिल कर आगामी अधिवेशन में इस लक्ष्य को प्राप्त कर आगे की ओर अग्रसित होगें। कुछ अन्य देशों में भी अपनी इकाई गठित करने के लिए हम प्रयासरत है।“
अतिथि सम्मान के पश्चात् संस्थान की स्मारिका ‘विश्व स्नेह समाज’ का विमोचन मंचासीन अतिथियों ने किया। अधिवेशन के उद्घाटक पूर्व विधायक श्री. नंदकुमार जी झावरे पाटील ने अपने उद्बोधन में कहा ”हिंदी सहित समस्त भारतीय भाषाएँ संस्कृत से निर्मित होने के कारण उनमें निकट का संबंध है। हिंदी, मराठी भाषाएँ दोनों बहनें हैं और वे शक्तिशाली भी हैं क्योंकि उन दोनों की लिपि एक ही है-देवनागरी। अपनी सरलता, सहजता व सुगमता के कारण देवनागरी विश्व लिपियों में अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है। अतः हमें अपनी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा हिंदी व राष्ट्रलिपि देवनागरी पर गर्व होना चाहिए।“
विशेष अतिथि मध्य भारत हिन्दी साहित्य सम्मेलन के मंत्री श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर, म0प्र0 हिंदी अधिवेशन अहमदनगर, महाराष्ट्र में हो रहा है, जो हमारे लिए गौरव की बात है। देवी अहिल्या के कारण इंदौर नगरी की अपनी अलग पहचान है। हर एक को अपने कर्तव्य का एहसास होना चाहिए। सभीं देश अपनी भाषाओं पर एकता का निर्वाह कर रहे हैं।
समारोह के प्रमुख अतिथि व न्यू आट्र्स, काॅमर्स एंड साइंस महाविद्यालय, अहमदनगर के प्राचार्य डाॅ. भास्कर झावरे ने अपने मंतव्य में कहा कि हिंदी हमारे देश की संपर्क भाषा है जिसने अपने बलबूते पर सर्वांगिण प्रगति साधी है तथा हिंदी आज विश्वभाषा के रूप में प्रतिष्ठित है।
अध्यक्षता कर रहे संस्थान के अध्यक्ष पूर्व प्राचार्य डा. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि लगभग तेरहवीं सदी से आरंभ हुई हिंदी निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रेसर है। संविधान के पृष्ठों पर भले ही हिंदी का उल्लेख राजभाषा के रूप में हो पर हिंदी हमारे देश की अघोषित राष्ट्रभाषा है। गांधी, हिंदी और खादी के बल पर देश स्वतंत्र हुआ है। अब हिंदी अपने ही दम पर आगे बढ रही है और विश्व मंच पर पहुँच चुकी है। हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं के अस्तित्व के लिए नागरी लिपि का व्यापक प्रयोग आवश्यक है, क्योंकि हिंदी-मराठी तो खूब बोली जा रही है पर उसके लेखन में देवनागरी के स्थान पर रोमन का प्रयोग बहुत बड़ा संकट है। यदि ऐसा ही होता रहा तो देवनागरी लिपि, भारतीय भाषाएँ व भारतीय संस्कृति के लिए प्रश्नचिन्ह खड़ा हो सकता है। अतः समय से पूर्व चिंतन, मनन व आत्मनिरीक्षण के साथ भारतीय भाषाओं व देवनागरी लिपि को अबाधित रखें।
इस सत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त डा. मुहम्मद आजम तथा डा. अख्तरी बेगम को सम्मानित किया गया। सत्र का सुंदर व सफल संचालन महाविद्यालय के प्रो. डा. अशोक गायकवाड़ ने किया तथा संस्थान के महाराष्ट्र प्रभारी भरत शेणकर ने धन्यवाद ज्ञापित किए।
अधिवेशन का दूसरा सत्र ‘भारतीय भाषाओं में रोजगार के अवसर’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन रहा। इस सत्र में डा. सरस्वती वर्मा, महासमुंद, छत्तीसगढ ने सभी का स्वागत किया। बीज वक्तव्य डा. प्रिया ए., कोट्टायम, केरल ने दिया। मुख्य वक्ता के रूप में श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर तथा विशिष्ट वक्ता के प्रसिद्ध लघुकथा लेखिका डाॅ. लता अग्रवाल, भोपाल ने अपने उद्बोधन दिए तथा सत्र की अध्यक्षता प्रो. प्रतिभा येरेकार, नांदेड ने की। सत्र का संचालन प्रा. रोहिणी डावरे, अकोले ने किया तथा प्रो. बबन चैरे, ने आभार ज्ञापन किया।
भोजनोपरांत सम्मान समारोह सत्र आरंभ हुआ। अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज के सचिव श्री. जी. डी. खानदेशे जी ने अध्यक्षता की। सत्र का शुभारंभ औरंगाबाद के छात्रों द्वारा प्रस्तुत एकल व समूह नृत्य से हुआ। डाॅ. रश्मि चैबे, गाजियाबाद ने स्वागत भाषण दिया। मंच पर मुख्य अतिथि श्री धनेश बोगावत, कार्याध्यक्ष, सरगम प्रेमी मंडल, अहमदनगर, विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डाॅ. भास्कर झावरे, संस्थान के अध्यक्ष डाॅ. शहाबुद्दीन शेख, सचिव गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी की उपस्थिति रही। श्री धनेश बोगावत जी ने इस अवसर पर कहा कि रोजगार से तात्पर्य मात्र नौकरी नहीं है। उद्योग, व्यवसाय, पत्रकारिता, लेखन, अभिनय, मीडिया आदि सभी रोजगार के माध्यम है। हिंदी में रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्री. जी. डी. खानदेशे जी ने कहा कि हिंदी मात्र भाषा नहीं है बल्कि वह एक संस्कृति है, एक एहसास भी है। भारत में सर्वाधिक मात्रा में बोली जाने वाली एक मात्र भाषा हिंदी ही है। अंग्रेजी साधारण व्यक्ति व ग्रामीण क्षेत्र की भाषा कदापि नहीं है। अंग्रेजी संपर्क भाषा कभी भी नही बन सकेगी। इसलिए हमें अपनी भाषा में कामकाज करना चाहिए, इसे व्यवहार में लाना चाहिए।
इस सत्र में विभिन्न क्षेत्र में महनीय योगदान करने वाले महानुभावों को राष्ट्रीय स्तर के सम्मान देकर मान्यवरों के कर कमलों से शाॅल, सम्मान चिन्ह व प्रशस्तिपत्र से सम्मानित किया गया, जिनमें श्री हरेराम वाजपेयी, इंदौर तथा डा. के. एस. फरहतुल्ला, कड़प्पा, आंध्र प्रदेश को रजत पदक 2021, श्री मुकेश तिवारी, इंदौर म.प्र. को पत्रकारश्री, पू. श्री सुदर्शन महाराज नागराज बाबा कपाटे, औरंगाबाद, महाराष्ट्र तथा श्री रवि प्रकाश चैबे, सोनभद्र, उ.प्र. को समाजश्री, श्री राज मोहम्मद नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र तथा श्री पुरुषोत्तम विष्णुपंत पगारे, अहमदनगर महाराष्ट्र को हिंदी सेवी सम्मान, डाॅ.लता अग्रवाल, भोपाल, म.प्र. को लघुकथा श्री सम्मान, श्रीमती रश्मि संजय श्रीवास्तव लखनऊ, उ.प्र. को काव्य श्री, डाॅ.माधुरी त्रिपाठी, रायगढ, छत्तीसगढ को कला श्री, डाॅ. सुनीता नारायण कावले, चालीसगाँव, जलगाँव, महाराष्ट्र तथा डाॅ सूर्यकांत अमालपुरे, रायगड महाराष्ट्र को शिक्षक श्री, डाॅ. ललिता बी. जोगड, मुंबई, महाराष्ट्र को समाज शिरोमणि सम्मान से गौरवान्वित किया गया।

दूसरा दिन
हमारे देश की राष्ट्रभाषा हमारी शान है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता की प्रतीक है यह कहने के साथ साथ उसे प्रत्यक्ष व्यवहार में अपनाना चाहिए। इस आशय का प्रतिपादन श्रीमती संगीता उपाध्ये, उपनिदेशक अभियांत्रिकी, आकाशवाणी, अहमदनगर, महाराष्ट्र ने किया। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, उ. प्र. के तत्वावधान में न्यू आर्टस, काॅमर्स एंड साइंस महाविद्यालय अहमदनगर, महाराष्ट्र में आयोजित द्वि-दिवसीय 18वें साहित्य मेला (अधिवेशन 24/25 सितम्बर 2022) के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि के रुप में अपना उद्बोधन दे रही थी। समारोह की अध्यक्षता डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, अध्यक्ष, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान ने की। मंच पर संस्थान के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश त्रिपाठी, सचिव डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. डाॅ. हनुमंत जगताप तथा संस्थान के महाराष्ट्र प्रभारी डाॅ. भरत शेणकर की गरिमामय उपस्थिति रही। श्रीमती संगीता उपाध्ये ने कहा कि पुरे विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी ही है। 85.83 प्रतिशत भारतीयों द्वारा बोली व समझी जाने वाली भाषा हिंदी संपर्क भाषा के रूप में विराजित है।
प्रारंभ में संस्थान की बाल संसद प्रभारी डाॅ0 रश्मि चैबे ने सभीं उपस्थितों का शब्दों की माला से स्वागत किया। संस्थान के सचिव डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, उ.प्र. ने दो दिवसीय अधिवेशन की समग्र सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए अहमदनगर जिला मराठा विद्या प्रसारक समाज के सभी पदाधिकारी, महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ.भास्कर झावरे, प्रो. डाॅ. हनुमंत जगताप, प्रो. अशोक गायकवाड़, डाॅ. सुनिता मोटे, डाॅ. ज्ञानेश्वर कोल्हे के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किए। डाॅ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने अध्यक्षीय उदबोधन मंे कहा कि विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज (उ.प्र.) हिंदी के प्रचार-प्रचार व विकास के लिए निरंतर कटिबद्ध है। सहज व सुगम हिंदी में अद्भुत शक्ति है। अन्य भाषाओं के शब्द पहचानने की शक्ति मात्र हिंदी में हैं।
इस अवसर पर विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के सक्रिय सदस्यों को प्रतीक चिन्ह, प्रशस्तिपत्र व शाॅल से गौरवान्वित किया गया। जिनमें प्रमुखतः संस्थान के अध्यक्ष शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र को विहिसा-सरताज 2022, संस्थान के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र व प्रो. डाॅ. हनुमंत जगताप, अहमदनगर, महाराष्ट्र को संस्थान गौरव-2022, डाॅ. सरस्वती वर्मा, महासंमुद (छ.ग.) को विहिसा श्री-2022, डाॅ. रश्मि चैबे, गाजियाबाद, उ.प्र. को संचालक श्री- 2022 तथा रजत श्री-2021, डाॅ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ को आयोजक श्री- 2022 तथा सर्वाेत्कृष्ट इकाई छत्तीसगढ इकाई सन्मान-2022, महाराष्ट्र प्रदेश के प्रभारी डाॅ.भरत शेणकर, राजूर, महाराष्ट्र को अहमदनगर अधिवेशन में सक्रिय योगदान हेतू सन्मान चिन्ह तथा प्रो. डाॅ. अशोक गायकवाड, डाॅ. सुनीता मोटे, डाॅ. ज्ञानदेव कोल्हे, एवं डाॅ. सुनीता यादव को प्रतीक चिन्ह से गौरवान्वित किया गया। संस्थान के सचिव डाॅ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, उ.प्र. को महाराष्ट्र इकाई की ओर से अभिनंदन पत्र प्रदान किया गया। सत्र के संयोजन में मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर, (छ.ग.) तथा डाॅ. सुनिता मोटे का सहयोग रहा। इसके बाद काव्य पाठ हुआ, सभी प्रतिभागियों ने अपनी कविताएं सुनाई। आयोजन प्रभारी डाॅ. भरत शेणकर ने हार्दिक आभार प्रकट किये।
इस अधिवेशन में डा. शहनाज शेख, डा. रजिया शेख, प्रो. विजयकुमार राऊत, डाॅ. वसंत माळी देवगाव रंगारी, डाॅ. अमानुल्ला शेख, डाॅ. वसीम फातेमा अंबेकर, डाॅ. मोहसीन शेख, श्री संजय चैबे, डा.संजय कुमार शर्मा, प्रा. बबन थोरात, डाॅ. अमानुला शेख, डाॅ. भारत चव्हाण, प्रो.बबन चैरे पाथर्डी, डाॅ. मेदिनी अंजनीकर, डाॅ. विजयकुमार राऊत, प्रा. रोहिणी डावरे, डाॅ.संजय महेर, भेंडा, डाॅ. वसंत माळी, डाॅ. भूपेंद्र निकाळजे, डाॅ.शरद कोलते, प्रा. बीणा सावंत, शहाजहान मणेर, डाॅ. अरुणा शुक्ला, डाॅ. विनोद वायचळ, डाॅ. शिला घुले, श्री मधुकर शेटे, डाॅ. मेहमूद पटेल, प्रा. ललिता घोडके, डाॅ. वसीम फातिमा अंबेकर, प्रा.मधु भंभानी, डाॅ0 विनोद कुमार दुबे, डाॅ0 राजकुमार यादव, संजय श्रीवास्तव का अपूर्व सक्रिय सहयोग रहा। सत्र का सुंदर व सफल संचालन डा.मुक्ता कान्हा कौशिक, हिंदी सांसद, रायपुर छत्तीसगढ ने किया तथा प्रा. पूर्णिमा झेंडे, नासिाक ने आभार ज्ञापन किया।

 

kalamkala
Author: kalamkala

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