किसकी शह से चल रहा है ये जमीन घोटाला-
लाडनूं में धड़ल्ले से किया जा रहा है कृषि जमीनों का अकृषि उपयोग,
खेती की जमीनों की अवैध प्लाटिंग और इकरारनामों से अवैध बेचान हो रहे सरेआम
लाडनूं। क्षेत्र में लम्बे समय से भूमाफिया गिरोहों के सक्रिय होने से यहां सरकारी जमीनों, मंदिरों की डोली की जमीनों, सार्वजनिक संस्थाओं, सामुदायिक उपयोगी जमीनों आदि को खुर्दबुर्द करने एवं कृषि भूमियों को बड़े पैमाने पर अकृषि कार्यों के लिए अवैध रूप से उपयोग बदलने का कार्य यहां धड़ल्ले से किया जा रहा है। निश्चित रूप से इसमें राजस्व-कर्मियों की इसमें कहीं न कहीं मिलिभगत अवश्य है। इसी कारण लगातार शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, अपितु उन्हें रफादफा करके ऐसे लोगों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्र और आबादी क्षेत्र के आसपास खेती योग्य बेशकीमती कृषि भूमियांे, सरकारी भुमियो आदी कि समय समय पर संबंधित पटवारी राजस्व विभाग द्वारा निगरानी नहीं करने के चलते लाडनूं के अनेक भुमाफियाओ के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं, क्यों की राजस्व विभाग सख्ती के साथ इनके खिलाफ कार्रवाई तक नहीं करता। इसी कारण इन जमीनों पर लगातार मकानात, दुकानें, गोदाम, कारखाने आदि बनते जा रहे हैं और निर्माण कार्यों की कोई रोकटोक नहीं की जाती है।
इन क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहा है जमीन घोटाला
क्षेत्र के विश्वनाथपुरा रोड, सरकारी चनणी नाडी, डोली बनाम रामदेवरा मंदिर की माफी भूमि, छिपोलाई से सुजानगढ़ रोड़, छापर बाईपास तक, जैन विश्व भारती से गोपालपुरा रोड़ तक, सुनारी रोड़ से सुनारी गांव तक, बड़ा बास से मालासी रोड़ तक, निम्बी चैराहे से निम्बी जोधां तक, निम्बी चैराहे से डीडवाना रोड़ तक, करंटबालाजी से बाईपास रोड़, ऊन मील से आसोटा, जसवंतगढ़, सुजानगढ़ रोड़ तक, रेल्वे स्टेशन से खानपुर सुजानगढ़ रोड़ तक खुल्लम-खुल्ला खेती योग्य कृषि भूमियो को सभी राजस्व नियमों को ताक में रख कर भूमाफिया लोग बेखौफ होकर आवासीय कालोनियां बना रहे हैं और कृषि भूमियों में अंधाधुंध प्लाटिंग की जा रही है। इन सबको रोक पाने में यहां का राजस्व विभाग पूरी तरह से विफल ही सिद्ध हुआ है और लापरवाही ही लापरवाही नजर आ रही है।
जिम्मेदारी से बच रहा है राजस्व विभाग
इस सम्बंध में अग्रणी होकर शिकायत करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मुश्ताक खां कायमखानी ने बताया कि लाडनूं में भूमाफिया सरकारी भूमि सहित डोली मंदिर माफी भूमियो तक को बेच कर करोड़ों रुपए कमा चुके हैं, फिर भी नींद में सोया राजस्व विभाग अपनी जबाबदेही और जिम्मेदारी से बच रहा है। जबकि ऐसे लोगों के खिलाफ राजस्थान कृषि भूमि अधिनियम आदि में कार्रवाई होकर खातेदारी निरस्त की जाकर सरकारी भूमि घोषित कराने के लिए समय-समय पर संबंधित पटवारी व तहसीलदार द्वारा प्रति माह एक सार्वजनिक रिपोर्ट तैयार कर संबंधित न्यायालय में पेश की जानी चाहिए, ताकि भूमाफियाओं पर कानूनी तरीके से अंकुश लगाया जा सके। कायमखानी ने बताया कि यहां पर ठीक इसका उलटा हो रहा है। अगर कोई व्यक्ति कृषि भूमियों में की जा रही प्लाटिंग, आवासीय कालोनी काटने की शिकायत करता है, तो मिलिभगत के कारण राजस्व अधिकारी उसे पूरी तरह दबाने और शिकायतकर्ता को झूठा साबित करने की कोशिश की जाती है। इसी कारण शहर के चारों तरफ खेती योग्य कृषि भूमियां पूरी तरह भूमाफियाओं के चुंगल में फंसी है। इन जमीनों के भाव भूमाफियाओं की मर्जी से तय होते हैं और इकरारनामों के जरिए प्लाॅट बेचे जाकर राजस्व विभाग को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।