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संयमित एवं संतुलित जीवन हेतु राम के मर्यादित एवं आदर्श स्वरूप को अंगीकार किया जाए- प्रो. त्रिपाठी

संयमित एवं संतुलित जीवन हेतु राम के मर्यादित एवं आदर्श स्वरूप को अंगीकार किया जाए- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने मर्यादा पुरूषोत्तम राम के आदर्श जीवन एवं उनके द्वारा कर्म को सर्वोपरि रखे जाने वाले संस्कारों को पुनस्र्थापित करने को वर्तमान जीवन की महती आवश्यकता बताया। सनातन भारतीय संस्कारों की शनैः-शनैः विलगता को महसूस करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान में समय की मांग है कि राम के आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, एवं आदर्श मित्र के स्वरूप को आत्मसात एवं अंगीकार किया जाए। अनुकूल एवं प्रतिकूल दोनों ही प्रकार की परिस्थितियों में हमें भगवान राम की तरह ही समभाव बनाए रखने हेतु प्रयासरत रहना चाहिए, तभी हम एक संयमित एवं सुसंस्कृत जीवन जी सकते हैं। कार्यक्रम में स्नेहा बोहरा, तेजस्विनी शर्मा, अभिलाषा शर्मा, संतोष ठोलिया, पूनम राय आदि छात्राओं ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का प्रारम्भ कार्यक्रम समन्वयक अभिषेक चारण ने रामवन्दना प्रस्तुत करके की। अंत में डॉ. प्रगति भटनागर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो. रेखा तिवारी, डॉ. प्रगति भटनागर, डॉ. बलबीर सिंह, श्वेता खटेड़, अभिषेक शर्मा, प्रगति चैरड़िया, प्रेयस सोनी, तनिष्का शर्मा आदि उपस्थित रहे।

kalamkala
Author: kalamkala

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