श्री राजपूत करणी सेना में हागा आमूल-चूल परिवर्तन, समस्त राष्ट्रीय, प्रदेश व स्थानीय ईकाइयों को किया भंग
श्री राजपूत करणी सेना में हागा आमूल-चूल परिवर्तन,
समस्त राष्ट्रीय, प्रदेश व स्थानीय ईकाइयों को किया भंग
जयपुर। श्री राजपूत करणी सेना के प्रधान संरक्षक प्रेम सिंह सांजू ने कहा है कि संगठन में अनुशासन-हीनता कतई बर्दाश्त नही की जाएगी। लोकेन्द्र सिंह कालवी साहब के अस्वस्थ होने के बावजूद पद की लालसा ओर व्यक्तिगत स्वार्थ हेतु कुछ लोगों द्वारा संगठन में साजिश करते हुए पदाधिकारियों को गुमराह करके स्वतः ही कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पारित करवाना विशुद्ध रुप से शीर्ष संस्थापक लोकेन्द्र सिंह कालवी साहब की 30 वर्षों की सामाजिक तपस्या के साथ धोखा है।
देश भर की समस्त इकाइयों को किया विघटित
उन्होंने बताया कि पूरे देशभर की समस्त इकाइयों को तुरंत प्रभाव से भंग किया जाता है। शीघ्र ही कालवी साहब के सानिध्य में नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा, जिसमें वर्षो से समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे निवर्तमान पदाधिकारियों को भी कार्य क्षमतानुसार पुनः जिम्मेदारी प्रदान की जाएगी। सर्वविदित है कि 23 सितंबर 2006 को लोकेन्द्र सिंह जी कालवी ने समाज की युवा शक्ति को सामाजिक भागीदारी में अग्रणी स्थान दिलवाने व समाज के प्रत्येक व्यक्ति के साथ हुए अन्याय के खिलाफ धरातल पर लड़ाई लड़ने हेतु श्री राजपूत करणी सेना का गठन किया था। दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने इसे व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति का माध्यम बनाने का प्रयास किया, जो असहनीय है। समाज के सभी वर्गों के साथ मजबूती से खड़े रहना ही श्री राजपूत करणी सेना का लक्ष्य प्रथम दिन से ही रहा है। सभ्य, संजीदा, संस्कारित और अनुशासित तारीके से समाजहित में श्री राजपूत करणी सेना के अगले सफर को सुनिश्चित किया जाएगा।
राजपूत करणी सेना का उद्देश्य –
सितम्बर 2006 में पहले नवरात्रा के दिन जयपुर की धरती पर राजपूतकरणी सेना का परचम लहराया। यह 11 उद्देश्यों को लेकर बनी थी। यह उद्देश्य निम्न है –
1. किसी भी राजपूत के साथ रानीतिक व सामाजिक द्वेष के चलते किसी भी तरह का दुव्यर्वहार के होने पर उसका विरोध।
2. इतिहास के साथ छेड़छाड़ के विरोध में आवाज बुलन्द करना।
3. ऐतिहासिक पुरूषों के नाम के साथ जुड़े किसी भी विवाद के विरूद्ध आवाज बुलन्द करना।
4. राजपूत एकता को प्रति जागृति।
5. सामाजिक समरसता बनाये रखने के लिए 36 कोमों के साथ गठजोड़।
6. किसी भी पार्टी से सम्बनिधत राजपूत जाति के व्यकित का साथ व समर्थन करना।
7. राजपूत जाति की महिलाओं को शिक्षा व स्वावलम्बन के लिए प्रेरित करना।
8. राजपूत युवा वर्ग को संगठित करना।
9. समय समय पर रक्तदान व रक्तदान जैसे सामाजिक कार्यों के लिए समाज को प्रेरित करना।
10. समय समय पर राजपूत समाज के महापुरूर्षों की जयंतियों का आयोजन करना।
11. आरक्षण के मुददे पर समाज की आवाज को बुलन्द करना।