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फर्जी फर्म को लेकर दिया न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश, क्या कहता है लाडनूं की मदन इंजीनियरिंग वर्क्स को लेकर कोर्ट का फरमान

फर्जी फर्म को लेकर दिया न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश, क्या कहता है लाडनूं की मदन इंजीनियरिंग वर्क्स को लेकर कोर्ट का फरमान

रजिस्टर्ड फर्म के मिलते जुलते नाम और ट्रेडमार्क के प्रयोग पर न्यायालय ने लगाई पाबंदी

वाणिज्यिक न्यायालय ने लाडनूं के मदन इंजीनियरिंग की कॉपी करने पर रोक जारी की

 लाडनूं। पारिवारिक बंटवारे के बाद से यहां दो फर्मों के बीच पिछले लम्बे समय से चल रहे आपसी विवाद में एक पक्ष द्वारा वाणिज्यिक न्यायालय अजमेर में किए गए वाद में न्यायालय ने आदेश जारी कर मुख्य फर्म को राहत प्रदान करते हुए उसके समान उत्पाद का निर्माण व विक्रय करने पर रोक लगाई है। इस सम्बंध में जाररी आदेश के अनुसार मदन इंजीनियरिंग वर्क्स लाडनूं शहर की पुरानी व प्रतिष्ठित और रजिस्टर्ड फर्म है, जिसका ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन भी अहमदाबाद से किया हुआ था। फर्म संचालक पिता मदनलाल जांगिड़ की मृत्योपरांत इस फर्म का सम्पूर्ण दायित्व व स्वामित्व मांगीदेवी व पुत्र सज्जन कुमार के अधीन आ गया, जबकि कारखाने वालु जगह उसके छोटे भाई राजकुमार जांगिड़ के पास रह गया, जहां से सज्जन कुमार ने अपनि कारखाना गोरेड़ी रोड पर स्थानांतरित कर दिया। इधर राजकुमार के पुत्र विवेक जांगिड़ ने पुरानी जगह पर पुराने नाम में आंशिक फेरबदल करके और ट्रेडमार्क में भी मामूली हेरफेर करके काम में लेना शुरू कर दिया। केवल आगे ‘श्री’ लगा कर नाम परिवर्तन करते हुए बिल्कुल मिलते-जुलते नाम और ट्रेडमार्क का प्रयोग धड़ल्ले सै किया जाने लगा। इस पर प्रार्थी सज्जन कुमार जांगिड़ ने विवेक जांगिड़ के विरुद्ध वाणिज्यिक न्यायालय अजमेर में वाद दायर किया, जिसमें दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुनने और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस न्यायालय ने श्री मदन इंजीनियरिंग वर्क्स के नाम से चल रहे कारखाने पर अस्थाई स्टे जारी कर मदन इंजीनियरिंग के नाम की कॉपी करने पर आगामी आदेशों तक पाबंदी लगाई है।

विवेक जांगिड़ को किया पाबंद

प्रार्थी सज्जन जांगिड़ के आवेदन पर सुनवाई करते हुए उसे स्वीकार करते हुए वाणिज्यिक न्यायालय अजमेर के न्यायाधीश मधुसूदन राय ने अप्रार्थी विवेक जांगिड़ को मूल वाद के निस्तारण तक स्टे ऑर्डर से पाबंद किया गया है। वह मैसर्स मदन इंजीनियरिंग वर्क्स के समरूप मैसर्स श्री मदन इंजीनियरिंग के नाम से प्रार्थी के समान उत्पाद का निर्माण व विक्रय कार्य नहीं करने के लिए पाबंद किया गया है। इस मामले में सामने आया है कि मदनलाल जांगिड़ के देहांत के पश्चात मांगीदेवी के बड़े पुत्र सज्जन कुमार जांगिड़ ही अधिकृत व बक्शीशसुदा हस्ताक्षरकर्ता रहे हैं। प्रार्थी ने इस नाम से लोगो भी रजिस्टर्ड करवा रखा है। न्यायालय द्वारा प्रोपराइटर सज्जन जांगिड़ की ओर से प्रस्तुत इस अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया जाकर यह स्थगन आदेश जारी किए हैं। मामले में प्रार्थी की ओर से एडवोकेट नवीन पारीक ने व अप्रार्थी की ओर से एडवोकेट रोहित जैन ने पैरवी की।[the_ad id=”1853″]

kalamkala
Author: kalamkala

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