जोधपुर में बनेगा सर्व सुविधा सम्पन्न व आधुनिक तकनीक युक्त रक्तदान शिविर केन्द्र,
भामाशाह निर्मल गहलोत ने लिया सेवा का नया प्रोजेक्ट हाथ में, आइए इसकी विशेषताओं को जानें
जोधपुर। जोधपुर के उम्मेद अस्पताल से महज 200 मीटर पर और महात्मा गांधी अस्पताल व मथुरादास माथुर अस्पताल से मात्र 1.5 व 2 किमी की दूरी पर गीता भवन के सामने तीसरी चैपासनी रोड़ पर एक प्लाॅट समाजसेवी निर्मल गहलोत ने अपनी माताजी के नाम से खरीदा है। यह उनकी सेवा के एक नये प्रकल्प के रूप में ‘रक्तदान केन्द्र’ ( ब्लड डोनेशन सेंटर) निर्माण के लिए निर्धारित किया गया है। जोधपुर शहर के हृदय स्थल पर एवं विभिन्न अस्पतालों व कोचिंग सेंटर्स से वॉकिंग डिस्टेंस पर स्थित इस प्लॉट पर लिफ्ट सुविधा के साथ तीन मंजिला भवन बनेगा, जिसमें रक्तदान शिविर का आयोजन करवाने वाली संस्थाओं व व्यक्तियों के लिए हॉल, पलंग, कुर्सियां, टेबल, रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था आदि सभी तरह की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध रहेगी। कोई भी संस्था या व्यक्ति, जो रक्तदान शिविर का आयोजन करवाना चाहे, उन्हें केवल रक्तदाताओं को रक्तदान के लिए व पसंदीदा ब्लड बैंक को रक्त संग्रहण के लिए सूचित करना होगा। इस सम्बंध में भी इस केन्द्र पर रक्तदाताओं एवं ब्लड बैंकों की पूरी सची भी उपलबध रहेगी, साथ ही सूचना के प्रसारण का सहयेाग भी उपलब्ध हो सकेगा। रक्तदान शिविर की आयोजक संस्था या व्यक्ति और रक्तदाता आदि के लिए आवश्यक सारी व्यवस्थाएं इस भवन में उनको रेडिमेड मिलेगी। यहां आने का निर्णय करने के बाद उनको किसी प्रकार का अन्य कोई अरेंजमेंट करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। सेवा के इस अनूठे प्रकल्प के लिए बनने वाले नये भवन के निर्माण के बाद रक्तदान शिविरों का आयोजन आसान हो जाने से उन व्यक्तियों व संस्थाओं को नियमित शिविर कराने के लिए विशेष प्रोत्साहन मिलेगा। उन्हें स्थान का चयन, विभिन्न व्यवस्थाओं, खर्चे इत्यादि से निजात मिल सकेगी। भामाशाह समाजसेवी निर्मल गहलोत ने जोधपुर में अपनी रिसर्च के आधार पर पाया कि ब्लड बैंक व रक्तदाता दोनों ही पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं, अब सिर्फ नियमित रूप से बल्ड डोनेशन कैम्प की आवश्यकता है। इससे जब उनकोएक्सलूजिव ब्लड डोनेशन कैम्प के लिए समर्पित सर्वसुविधा एवं अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त वातानुकूलित भवन उपलब्ध होगा, तो निश्चित ही जोधपुर में रक्तदान शिविरों की संख्या में भी वृद्धि हो जायेगी। इसी विचार से निर्मल गहलोत ने सेवा का यह प्रकल्प हाथ में लिया है और मुक्तहस्त से धन लगाकर इसके भवन का निर्माण करके शीघ्र ही इसे मूर्त रूप दिया जाने वाला है।