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आखिर क्यों मरना पड़ा होनहार विद्यार्थी अब्दुल रजाक खां को?, होनहार की सुसाइड के बावजूद असंवेदनशील रहे पुलिस-प्रशासन सेे न्याय की मांग, मृतक छात्र ने 10वीं बोर्ड में लिए 78 प्रतिशत अंक, वह नियमित देता था स्कूल में उपस्थिति

आखिर क्यों मरना पड़ा होनहार विद्यार्थी अब्दुल रजाक खां को?,

होनहार की सुसाइड के बावजूद असंवेदनशील रहे पुलिस-प्रशासन सेे न्याय की मांग,

मृतक छात्र ने 10वीं बोर्ड में लिए 78 प्रतिशत अंक, वह नियमित देता था स्कूल में उपस्थिति

लाडनूं। यहां रेलवे ट्रेक पर एक छात्र द्वारा ट्रेन से कट कर आत्महत्या करने के मामले में पौने दो माह बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने को लेकर मृतक छात्र की माता, भाई, मामा आदि ने यहां प्रेस से रूबरू होते हुए बताया कि स्थानीय पुलिस थाने से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से परेशान होकर उन्होंने अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय, जिला पुलिस अधीक्षक, एडिशनल पुलिस अधीक्षक, विधायक आदि सभी के समक्ष गुहार लगाई, लेकिन सिवाय आश्वासन के उन्हें अभी तक न्याय की कोई आशा दिखाई नहीं दी है। पत्रकारों से वार्ता करते हुए मृतक विद्यार्थी अब्दुल रजाक खां की माता मदीना बानो ने बताया कि उनका सबसे छोटा बेटा रजाक पीसीबी स्कूल में कक्षा 12 का विद्यार्थी था। वह हमेशा पढाई में अव्वल रहता आया थ। उसने 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 78 प्रतिशत अंक बनाए थे। वह स्कूल जाने में कभी कोताही नहीं करता था और हमेशा समय पर स्कूल जाता रहता था। मृतक अ. रजाक की माता मदीना ने बताया कि वचह स्वयं अपने घर पर बच्चों की निःशुल्क कोचिंग कक्षाएं चलाती है, जिनमें कुल 80 बच्चे उसके पास पढते थे। उसका मृतक पुत्र रजाक भी बच्चों को पढाने में उसकी सहायता करता था और वह भी घर में बच्चों को पढाता था। मदीना का कहना है कि रजाक एक होनहार बच्चा था, जिसे अध्यापकों ने प्रताड़ित करके मार डाला। उसने शिक्षकों की रोजमर्रा की मानसिंक प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।

न्याय की मांग को लेकर केंडल मार्च निकाली जाएगी

मृतक छात्र रजाक के बड़े भाई रूस्तम खान ने बताया कि विगत 31 जनवरी को दोपहर 2 बजे रजाक ने खानपुर रेलवे फाटक के पास सुसाइड किया। उसके पास से एक दो पेज का सुसाइड नोट लिखा हुआ उसके शर्ट की जेब से मिला, जिसमें उसने प्रधानाघ्यापक और तीन अन्य शिक्षकों पर परेशान करके आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने के आरोप लगाए। इस मामले में शुरू से ही नामजद एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस द्वारा आरोपियों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने एक फरवरी को सुजानगढ में धरना दिया, तो पुलिसा द्वारा उन्हें कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया। फिर भी कुछ नहीं होने पर 7 फरवरी को लाडनूं में धरना दिया गया। 4 दिनों के धरने के बाद विधायक मुकेश भाकर ने उन्हें न्याय का भरोसा दिया। फिर भी कार्रवाई नहीं होने पर 10 मार्च को जुलूस के साथ यहां उपखंड कार्यालय पहुंच कर ज्ञापन दिया। अब वे रात्रि में यहां जावा बस से केंडल मार्च निकालते हुए शहरिया बास पहुंचेंगे, जहां विशाल सभा की जाएगी और आगामी रणनीति तय की जाएगी। इस अवसर पर राजस्थान मुस्लिम युवा संगठन के अध्यक्ष रोशन खां दायमखानी व बांगड़ काॅलेज छात्रसंघ के पूार्वा उपध्यक्ष इरफान खान ने बताया कि हम इस मामले में न्याय की मांग को लेकर चुप नहीं बैठेंगे और बाद मे ंसमस्त मुस्लिम महापंचायत बुलाई जाकर आगामी आंदोलन सुपुर्द कर देंगे। उन्होंने बताया कि हमारी मांग है कि छात्र रजाक की मौत के समस्त दोषी लोगों को गिरफ्तार किया जाए, छात्र की मौत का सरकार परिजनों को मुआवजा दे। मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।

अध्यापकों ने उसका रिकाॅर्ड तक किया खराब

गौरतलब है कि इस प्रकरण में तत्काल प्रभाव से पीसीबी स्कूल के चार अध्यापकों को निलम्बित किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें वापस बहाल कर दिया गया। इन अध्यापकों का कहना है कि छात्र रजाक की निरन्तर अनुपस्थिति के करण उसका नाम स्कूल से काट दिया गया था। जबकि मृतक छात्र की माता व भाई का कहना है कि वह रोज स्कूल जाता था, लेकिन ये अध्यापकों उसे डराते धमकाते व प्रताड़ित करते रहते थे और उसकी उपस्थिति जानबूझ कर दर्ज नहीं करते थे। वह अगर लगातार अनुपस्थित रहता तो वे उसकी सूचना तो दे सकते थे, लेकिन उन्होंने उसकी अनुपस्थिति को लेकर कभी भी फोन पर बात नहीं की और न कोई सूचना लिखित या मौखिक ही दी। उसके रोज स्कूल जाने के बावजूद उसकी अनुपस्थिति लगा दी जाती थी और उसे उग्रवादी बता कर रोज प्रताडित किया जाता था।

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