लाडनूं से जयपुर तक सबसे कम दूरी के रेलमार्ग के लिए बेहतर विकल्प
डीडवाना से कुचामनसिटी तक कम दूरी का रेलवे ट्रेक,
नागरिकों, व्यापारियों और सभी वर्गों के साथ रेलवे के लिए भी बेहतरीन साबित होगी यह रेलवे लाईन
लाडनूं (शांतिलाल बैद की कलम से)। लाडनूं को जयपुर तक की रेलसेवा उपलब्ध करवाने के लिए अनेक कई विकल्प हो सकते हैं और कुछ तो उपलब्ध भी हैं, लेकिन वे व्यावहारिक और आर्थिक व समय की दृष्टि से कत्तई उचित नहीं हैं। इसी कारण इस क्षेत्र के सभी लोगों जयपुर के लिए केवल बसों का ही सहारा लेना उनकी मजबूरी बना हुआ है। ऐसे में सबसे श्रेष्ठ विकल्प एक कम दूरी का छोटा सा नया रेलमार्ग निर्मित करना, जिसमें डीडवाना से कुचामनसिटी के बीच नई रेल लाइन का टुकड़ा निर्माण करना हो सकता है। यह सबसे कम दूरी का होगा ओर समय व अर्थ दोनों की बचत होगी, जबकि इस माग्र पर या़त्रीभार का आधिक्य रहने से रेलवे को भारी आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकेगा। इस रेल मार्ग की उपयोगिता केवल इतनी सी ही नहीं रह कर अनेक औद्योगिक, व्यावसायिक शहरों और कृषि उत्पादक व हस्तशिल्प निर्माताओं के क्षे़त्रों के लिए नई रेल सेवा उपलब्ध होगी और देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से उसका मिलान भी संभव हो पाएगा।
वर्तमान में लाडनूं से जयपुर जाने के लिए वाया डेगाना-कुचामनसिटी-फुलेरा होकर जाना पड़ता है। लाडनूं से वाया डेगाना कुचामनसिटी की दूरी लगभग 154 किमी. होती है। अगर डीडवाना से कुचामनसिटी तक रेल लाइन बन जाती है तो यह दूरी घटकर मात्र 77 किमी. ही रह जाएगी। इस तरह यह दूरी भी 77 किमी. कम हो जाएगी। साथ ही रेलवे को डेगाना में रिवर्सल के लिए लगने वाले समय और धन की भी बचत होगी। इस नवीन रेल मार्ग की दूरी तो मात्र डीडवाना से कुचामन तक और भी कम होगी। लाडनूं से डीडवाना तक रेलवे ट्रेक बना हुआ है और कुचामन से आगे जयपुर रेलवे ट्रेक मौजूद है। सिर्फ छोटा रेलवे लाईल का टुकड़ा ही निर्मित करवाने की आवश्यकता है।
अनेक ट्रेनों से संभव होगी कनेक्टिविटी
इस लाइन के बन जाने से वाया फुलेरा अजमेर और उससे आगे पश्चिम और दक्षिण को जोड़ने वाली कई गाड़ियों का संचालन सम्भव हो सकेगा। साथ ही सीमांत जिले बीकानेर और दिल्ली को जयपुर से जोड़ने के लिए भी यह मार्ग एक अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध करवाएगा। प्रवासियों के लिए जयपुर व अजमेर से बीकानेर तक की कनेक्टिविटी इससे फायदेमंद हो जाएगी। लाडनूं, सुजानगढ़, छापर, चाड़वास, बीदासर, पड़िहारा आदि क्षेत्रों के बहुत से लोग देश के विभिन्न राज्यों और विदेश तक में व्यवसाय या आजीविका अर्जन हेतु प्रवास करते है। पारिवारिक और सामाजिक कार्यों के लिए उनका नियमित आवागमन अपने पैतृक गांवों के लिए होता रहता है। जयपुर और अजमेर तक रेल कनेक्टिविटी हो जाने से उनको बहुत सुविधा हो जाएगी।
पर्यटकों, श्रद्धालुओं व विद्यार्थियों के लिए लाभदायक
लाडनूं में जैन विश्व भारती एवं जैविभा विश्वविद्यालय स्थित होने से यहां देश भर से ही नहीं विदेशों से भी विद्यार्थीगण एवं यात्रीगण का आना-जाना बना रहता है। इसके साथ ही यहां विविध धार्मिक व पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं, जो अपने आप में अनूठे व दर्शनीय हैं। इसी क्षेत्र में सालासर में प्रसिद्ध बालाजी मंदिर धाम एक तीर्थस्थल के रूप में है, जहां हर साल लाखों की तादाद मे श्रद्धालुजन विभिन्न प्रांतों से आते हैं। निकट ही गोपालपुरा में भी डूंगर बालाजी का पहाड़ी स्थल व दर्शनीय मंदिर भूमि है। इसी क्षेत्र में सुप्रसिद्ध और एकमात्र काला हरिण के लिए बना हुआ छापर में कृष्ण मृग अभयारण्य स्थित है, जहां भी पर्यटकों का नियमित आवागमन चलता रहता है। इस एक छोटी सी रेललाइन के बन जाने से लाखों लोग लाभान्वित होंगे। आमजन के लिए यह सुविधाजनक होने के साथ ही रेलवे को भारी यात्रीभार देने में सक्षम और अर्थलाभ देने वाली सिद्ध होगी।
व्यापारियों व कृषकों के लिए फायदेमंद
डीडवाना-कुचामनसिटी वैकल्पिक रेललाइन तीन नमक उत्पादक क्षेत्रों- डीडवाना, नावां व सांभरलेक को एक दूसरे से जोड़ने का काम करेगी। साथ ही लाडनूं व थली क्षेत्र के लधु उद्यमियों के लिए अपने उत्पादों को देश के प्रत्येक भाग तक पहुंचाने का सुगम व लाभप्रद मार्ग उपलब्ध करवाएगी। इसके अलावा इस लाइन के बन जाने से प्याज, जीरा, इसबगोल, मूंगफली व जैतून की खेती करने वाले कृषकों को भी परिवहन का अच्छा नेटवर्क मिल जाएगा। इन सभी से रेलवे को भी अच्छी आमदनी होगी।
नागौर सांसद सहित कई जनप्रतिनिधि व संगठन कर चुके है मांग
इस छोटी सी रेललाइन को बनाने के लिए नागौर के सांसद सहित लाडनूं के वर्तमान व पूर्व विधायक भी रेलमंत्री से मांग कर चुके हैं। डीडवाना व सुजानगढ़ के वर्तमान विधायक और सुजानगढ़, रतनगढ़, श्री डूंगरगढ़, जायल व नावां के पूर्व विधायकों के साथ ही लाडनूं, डीडवाना, जसवंतगढ़, मौलासर व कुचामन के कई सामाजिक संगठन भी रेल मंत्री को पत्र प्रेषित कर इस लाइन की मांग कर चुके है। रेलवे के नियमों में वैकल्पिक लाइन के सर्वे की मांग जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जाने पर सर्वे करवाए जाने का प्रावधान भी है।
नोखा-सीकर रेललाईन और डीडवाना-रींगस लाइन का सर्वे हुआ दफ़न
लाडनूं से जयपुर तक की रेलसेवा उपलब्ध करवाने के लिए पूर्व में प्रस्तावित नोखा-सीकर और डीडवाना-रींगस रेललाइनों का सर्वे भी किया जा चुका था। डीडवाना-रींगस रेल लाइन की आर.ओ.आर. ऋणात्मक (नेगेटिव) होने के कारण जहां इसकी फाइल ही बंद कर दी गई, वहीं नोखा-सीकर रेल लाइन की परियोजना भी 2012 से फाइलों में दफन है।