गहलोत सरकार बचाने वाले आईपीएस उमेश मिश्रा होंगे राजस्थान के अगले डीजीपी, 4 साल तक इंटेलिजेंस में किया काम,
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मिश्रा को पुलिस खुफिया की कमान दे दी गई थी. उमेश मिश्रा 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं
जयपुर। राजस्थान में चल रही सियासी हलचल के बीच गहलोत सरकार ने 1989 बैच के आईपीएस उमेश मिश्रा को नया डीजीपी बना दिया है। गुरुवार को देर रात 12 बजे के बाद कार्मिक विभाग की ओर से यह आदेश जारी किया गया। गहलोत सरकार के लिए डीजीपी की नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है। चर्चा थी कि जोधपुर से आने वाले आईपीएस और एसीबी के डीजी को डीजीपी बनाया जा सकता है।
सीएम गहलोत के करीबी बीएल सोनी से भारी रहे मिश्रा
बीएल सोनी सीएम अशोक गहलोत के भी बेहद करीबी माने जाते हैं, लेकिन सोनी पर उमेश मिश्रा भारी रहे. राज्य सरकार लगभग चार साल से महत्वपूर्ण खुफिया सूचना देने वाले उमेश मिश्रा को राज्य पुलिस विभाग के मुखिया की कमान मिली है। मिश्रा अगस्त 2021 से डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) के पद पर तैनात थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मिश्रा को पुलिस खुफिया की कमान दे दी गई थी। दिसंबर 2018 से वे एडीजी इंटेलीजेंस के पद पर सेवाएं दे रहे थे।
दिलचस्प यह है कि चार आईपीएस अफसरों की सीनियरिटी को लांघ कर उन्हें यह पद दिया गया है। जिन अफसरों की वरिष्ठता दरकिनार की गई है, उनमें 1988 बैच के पीके सिंह, बीएल सोनी, यूआर साहू, 1989 बैच के भूपेंद्र कुमार दक शामिल हैं। पहले भी इस पद पर आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता दरकिनार करके डीजीपी बनाए जाते रहे है।
राज्य सरकार ने तीन नामों में से मिश्रा को चुना
राजस्थान सरकार से संघ लोक सेवा आयोग ने डीजीपी के लिए पैनल मांगा था. राजस्थान सरकार ने 10 से अधिक नाम यूपीएससी को भेजे थे. जिसके बाद नए डीजीपी के चयन के लिए दिल्ली में बैठक हुई थी। इस बैठक में मुख्य सचिव, डीजीपी सहित अन्य अधिकारी दिल्ली गए थे। ऐसा बताया जा रहा है कि आयोग ने तीन नाम फाइनल किए थे। जिसमें सीएम अशोक गहलोत ने उमेश मिश्रा के नाम पर सहमति जता दी।
यूपी के कुशीनगर के रहने वाले हैं नए डीजीपी
एक मई 1964 को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जन्मे उमेश मिश्रा 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। अभी इंटेलिजेंस विभाग में डीजीपी पद पर तैनात हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीब हैं। छोटी-बड़ी सूचना देने के लिए दिन में कई बार सीएम से बात करते थे। सियासी संकट के बीच सरकार बचाने में संकटमोचक की तरह अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय सेना में पाक के लिए जासूसी करने वाले सैन्य कर्मियों को भंडाफोड़ भी किया था। ब्यूरोक्रेसी में भी अच्छी पकड़ है। चूरू, भरतपुर व पाली जिले में एसपी भी रहे हैं।
ब्राह्मण वोट बैंक को साथ रखने की कवायद
उमेश मिश्रा की नियुक्ति आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अहम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डीजीपी जैसे अहम पद पर ब्राह्मण अधिकारी की नियुक्ति की है। इससे पहले ब्यूरोक्रेसी के सबसे बड़े मुख्य सचिव पर भी ब्राह्मण महिला अधिकारी उषा शर्मा को नियुक्त किया था। दरअसल, घनश्याम तिवाड़ी के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही अशोक गहलोत ब्राह्मण वोट बैंक को साधने में लगे हैं। तिवाड़ी के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को प्रदेश का एक बड़ा समुदाय हाथ से जाता दिख रहा था। ऐसे में सरकार ने सूबे के प्रमुख पदों पर ब्राह्मण अधिकारी बैठाकर बड़ा वोट बैंक अपने पक्ष में किया है।
मिश्रा से आगे थे चार सीनियर अफसर
पुलिस बेड़े में सबसे सीनियर अधिकारी को ही महकमे का मुखिया बनाए जाने की परंपरा रही है, लेकिन बीते कुछ समय से ऐसा नहीं हो रहा। अब सूबे के मुखिया अपनी पसंद के अधिकारी को ही विभाग का आलाकमान बना रहे हैं। उमेश मिश्रा की नियुक्ति में भी ऐसा ही हुआ है। उमेश मिश्रा 1989 बैच के आईपीएस हैं। इनसे पहले 1988 बैच के चार सीनियर ऑफिसर हैं। आईपीएस पंकज कुमार सिंह वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के डायरेक्टर जनरल हैं। आईपीएस भगवान लाल सोनी (बी.एल. सोनी) भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक हैं। आईपीएस उत्कल रंजन साहू जेल विभाग के महानिदेशक हैं। इन तीनों के सेवा कार्यकाल में रिटायरमेंट का समय नजदीक आने से सरकार ने मिश्रा को कमान सौंपी है। 1989 बैच के भूपेंद्र कुमार दक भी शामिल हैं।
