Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

Download App from

Follow us on

जन्म से सभी इंसान होते हैं, जातियां बाद में बनती हैं- संत धीरजराम महाराज लाडनूं में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन

जन्म से सभी इंसान होते हैं, जातियां बाद में बनती हैं- संत धीरजराम महाराज
  1. लाडनूं में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन

    लाडनूं। रामस्नेही सम्प्रदाय के संतश्री धीरजराम महाराज ने कहा है कि जैन परम्परा ने भारतीय संस्कृति को बहृत कुछ दिया है। त्याग और परोपकार दोनों जैन परम्परा में निहित रहे हैं। जीवन को आनन्दमय बनाने के लिए आर्ट आॅफ लिविंग के मूल जनक महावीर रहे हैं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि अगर मेरा अगला जन्म हो तो उसमें वे जैन बनना चाहेंगे। वे यहां जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय स्थित महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित किए जा रहे राष्ट्रीय युवा महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा सारे विश्व में शिक्षा और संस्कारों के भाव प्रकट करने को सराहनी बताया। स्वामी विवेकानन्द के जीवन के कई प्रसंगों के बारे में बोलते हुए संत धीरजराम ने कहा कि उन्होंने भारतीय संस्कृति में प्रवाहित सामाजिक समरसता को अभिव्यक्त किया तथा कहा कि जन्म से सभी इंसान ही होते हैं, जातियां नहीं होती है, ये सब बाद में बनती है। हमें अपनी संस्कृति के अनुरूप समरसता का पालन करना चाहिए। उन्होंने जिज्ञासु बने रहने को आवश्यक बताया और कहा कि जिज्ञासा जीवन के लिए अनिवार्य है। जिज्ञासाओं को कायम रखने के साथ भविष्य का चिंतन करने और अपने आपको कमजोर नहीं समझने के लिए प्रेरित किया। साथ ही कहा कि चरित्रवान बनना आवश्यक है, अगर चरित्र चला जावे तो समझो सब कुछ चला गया। उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक विचारों और स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों को सार्थक करने का आह्वान किया।
अपनी शक्तियों को पहचानें
कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ध्यान की एकाग्रता और ब्रह्मचर्य पालन से स्मरण शक्ति तीव्र बनती है। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द के जीवन के प्रसंगों का उल्लेख भी किया और कहा कि व्यक्ति सब कुछ खो देवे, तो अधिक बुरा नहीं है, लेकिन अगर वो अपनी उम्मीद को खो देता है तो बहुत बुरा होता है। कुलपति ने कहा कि सारे ब्रह्मांड की शक्तियां व्यक्ति में निहित होती है, आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी शक्तियों को पहचानें और उनका उपयोग करें। अगर व्यक्ति ईश्वर पर भरोसा करे तो उसे भाग्य के अनुसार मिलता है, लेकिन अगर अपनी शक्तियों पर भरोसा करे तो उसे वह सब मिला है जो वह चाहता है। विश्व में शक्ति की पूजा होती है, शक्तिहीनता की कभी नहीं। अहिंसा का सिद्धांत भी शक्ति से ही संभव होता है। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि सभी अपनी शक्ति पर विश्वास करते हुए ही स्वामी विवेकानंद बनने की ओर बढ सकते हैं। कार्यक्रम में प्रो. नलिन के. शास्त्री और कुलसचिव प्रो. बीएल जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रारम्भ में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डा. वीरेन्द्र भाटी मंगल ने किया। कार्यक्रम में समस्त संकाय शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कार्मिकों के साथ समस्त छात्राएं भी उपस्थित रहीं।

Share this post:

खबरें और भी हैं...

अपनी कमाई और ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाकर परिवार को उन्नति के लिए आगे बढाएं- खर्रा,  शहीद मांगू राम खर्रा की 26वीं पुण्यतिथि पर स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने की शिरकत 

Read More »

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

We use cookies to give you the best experience. Our Policy