परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य और संयम आवश्यक- प्रियंका,
फिड़ौद में सात दिवसीय भागवत कथा में भक्त ध्रुव व प्रह्लाद की कथा सुनाई
मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। निकटवर्ती गांव फिड़ौद में दरियावजी के मन्दिर में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान शुक्रवार को कथावाचिका प्रियंका द्वारा विभिन्न प्रसंग सुनाए गए। कथा वाचक ने महाभारत रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंगों में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य और संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है। उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। साध्वीजी के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया। उन्होंने प्रह्लाद चरित्र पर भी विस्तार से बताया और कहा कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। कथा के दौरान भजन गायक अशोक ने भजनों की प्रस्तुति पर सभी ग्रामीण झूम उठे।