पीपल, बड़ आदि स्थानों से खंडित मूर्तियों, तस्वीरों को चुनकर करते हैं उनका ससम्मान निस्तारण,
एक अकेले व्यक्ति ने शुरू किया अभियान, आज जुड़ चुका है युवा वर्ग साथ
लाडनूं। एक नई सूझबूझ और नई सोच के साथ शुरू किया गया धार्मिक सम्मान का कार्य के साथ यहां अब आम लोग भी जुड़ चुके हैं और आस्था के प्रतीकों की सुरक्षा व सम्मान के कार्य को महत्व देकर टीम बना दी गई है। यहां के रेकी चिकित्सक डा. कमल सोनी ने शहर के विभिन्न स्थानों पर देवी-देवताओं की तस्वीरों, चित्रों, खंडित मूर्तियों आदि को जब बेअदबी के साथ इधर-उधर फेंका हुआ देखा तो उनके मन में एक भावना जागी और उन्होंने भावना संस्था परिवार के नाम से काम करना शुरू किया। इस भावना टीम ने पीपल, खेजड़ी आदि वृक्षों पर लटकाई हुई और आस पास में रखी हुई और कचरे में पड़ी खंडित मूर्तियों को देखते ही और सूचना मिलते ही टीम के साथ अपने काम में जुट जाते हैं। वे इन मूर्तियों, चित्रों, पुरानी विवाह पत्रिका, प्रतीक चिह्नों और देवताओं के चित्र अंकित अन्य सामग्री को पूरे सम्मान के साथ एकत्र करते हैं और जो दुबारा काम में लेने योग्य होती है, उन्हें उचित स्थान पर रखा जाता है और जो खंडित व विक्रृत हो चुकी होती है, उन्हें मोक्षधाम लेजाकर उनकी विधिवत अन्त्येष्टि करके उनकी भस्म को जल मे ंप्रवाहित करके खड्डे में दबा दी जाती है। डा. कमल सोनी के इस नवाचार की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है।
साफ़ सफाई और मंदिरों की सुध भी ली
इस गठित भावना ग्रुप के सदस्यों द्वारा अपने कार्य के दौरान मंदिरों, पीपल, बड़, खेजड़ी पवित्र समझे जाने वाले आदि वृक्षों आदि स्थानों की उचित साफ-सफाई भी संभव हो पाती है। डा. सोनी के साथ पंकज भार्गव, जयंत जांगिड़, सुगनचंद सांखला मनोज टाक (हलवाई) आदि ने अलग-अलग क्षेत्र निर्धारित करके उनमें इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया है। शिव मंदिर के पुजारी गोपाल शास्त्री ने जलने योग्य सामग्री को अपने मंदिर में स्थित हवन कुंड में आहूत करने में सहयोग दिया है। इस दौरान शहर के विभिन्न उपेक्षित पड़े हुए मंदिरों की सुध भी ली गई है। इनमें भैंरूजी का मंदिर, जावा बास स्थित श्री कोडमदेसर भेरुजी का मंदिर, बाबा रामदेवजी का पुराना मंदिर जेबी स्कूल के पास शिवबाबा का मंदिर आदि की सुध लेकर उन्हें स्वच्छ किया गया तथा सेवापूजा की व्यवस्था भी की गई है। इनके अलावा शहर के सभी मंदिरों की लिस्ट भी बनाई जा रही है। सुरेश भोजक, सोनू, कैलाश सेवग, सागर आदि ने इसके लिए प्रयत्न किया है। इस बारे में डा. कमल सोनी ने बताया कि पेड़ के नीचे रखी भगवान की टूटी मूर्तियों आदि को देखकर उन्होंने संकल्प लिया था कि चाहे कैसी भी परिस्थितियां हो पर कभी खुद को टूटने नही देना। और आस्था के प्रतीकों को उनका पूरा सम्मान दिलवाएंगे। उन्होंने इस सम्बंध में 25 मंदिरों आदि स्थलों पर बैनर लगा कर लोगों को संदेश भी दिया है।
