लाल फीताशाही, लेट-लतीफी का आलम-
दस सालों से लम्बित हरिद्वार के लिए ट्रेन विस्तार की फाईलों पर रेल मंत्रालय कब करेगा काम?
स्वीकृति के बाद भी मामला पैंडिंग रहने से प्रतिदिन हजारों यात्री परेशान
लाडनूं (वीरेन्द्र भाटी ‘मंगल’, पत्रकार)। डेगाना से डीडवाना, लाडनूं, सुजानगढ़, रतनगढ होते हुए रेलमार्ग के क्षेत्र में आने वाले लोगों के लिए अपनी आस्था के केन्द्र हरिद्वार व ऋषिकेश तक आने-जाने के लिए कोई भी दैनिक ट्रेन नहीं होने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए जोधपुर से दिल्ली सराय रोहिल्ला तक चलने वाली ट्रेन संख्या 22481/ 22482 का विस्तार हरिद्वार/ऋषिकेष तक करने किया जाना सबसे अधिक सुविधाजनक और लाभदायक रहेगा। गौरतलब है कि इस समूचे क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों, रेलवे सलाहकार समितियों, सामाजिक संगठनों, यात्रियों और नागरिकों की ओर से लम्बे समय से इस ट्रेन के विस्तार की यह मांग उठाई जाती रही है। इससे रेलयात्रियों को सुविधा हो सकेगी और रेलवे की आय में भी निश्चित वृद्धि होगी। रेल मंत्री व उत्तर रेलवे व उत्तर-पश्चिम रेलवे के अधिकारियों और जोधपुर, राजसमंद, नागौर, चूरू, भिवानी के लोकसभा सदस्यों को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और इस क्षेत्र की इस पुरानी मांग को शीघ्र पूरा करवाना चाहिए।
होगा ट्रेन के लाई ओवर टाइम का सदुपयोग
ट्रेन संख्या 22481/ 22482 जो वर्तमान में जोधपुर से दिल्ली चलती है, उसका हरिद्वार होते हुए ऋषिकेश तक विस्तार 2019 में स्वीकृत होने के बाद भी राजनेताओं की उदासीनता के कारण अभी तक पेंडिंग है।जोधपुर से दिल्ली सराय रोहिल्ला के बीच ट्रेन संख्या 22481/22482 का संचालन होता है। जोधपुर से शाम 6.45 बजे रवाना होकर यह ट्रेन संख्या 22481 दूसरे दिन प्रातः 5.20 बजे दिल्ली सराय रोहिल्ला पहुंचती है। वापसी में यह ट्रेन संख्या 22482 से दिल्ली सराय रोहिल्ला से रात्रि 11.10 बजे रवाना होकर दूसरे दिन सुबह 10.00 बजे जोधपुर पहुंचती है। इस प्रकार इस ट्रेन संख्या 22481 का दिल्ली सराय रोहिल्ला में लाई ओवर लगभग 17 घंटे का है। अगर इस समय का उपयोग करते हुए इस ट्रेन को हरिद्वार/ ऋषिकेष तक विस्तारित किया जाए तो इस ट्रेन को अधिक लाभदायक बनाया जा सकता है।
हिंदू मृतकों के तर्पण के लिए हरिद्वार यात्रा आवश्यक
वर्तमान में जोधपुर से वाया डेगाना, डीडवाना, लाडनूं, सुजानगढ़, रतनगढ़ होते हुए दैनिक आधार पर एक भी ट्रेन हरिद्वार/ऋषिकेष तक संचालित नहीं होती। जबकि, हिन्दू मान्यताओं व परंपराओं के अनुसार किसी की मृत्यु के उपरांत उसके परिजन उस मृतक की अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा नदी में विसर्जन करते हैं, ताकि हरिद्वार में अस्थियों के विसर्जन से मृतक आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। यह भी आम रिवाज है कि तीये के दिन ही मृतक के परिजन अस्थि विसर्जन हेतु जाते हैं। प्रतिदिन ट्रेन होने से उनको सुविधा हो जाएगी।
डीडवाना, लाडनूं, सुजानगढ मार्ग पर यात्री भार अधिक
इस रूट पर सुजानगढ़ के पास विश्व प्रसिद्ध सालासर बालाजी मंदिर, ताल छापर अभयारण्य, गोपालपुरा डूंगर बालाजी का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल आदि अवस्थित हैं। लाडनूं में दिगम्बर जैन समाज के श्वेत संगमरमर से निर्मित सुखदेव आश्रम मंदिर, भूगर्भस्थ प्राचीन बड़ा जैन मंदिर, तेरापंथ जैन सम्प्रदाय के आचार्य तुलसी की जन्म स्थली और जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व की बीसथम्भा छत्रियों के स्मारक आदि के लिए विख्यात है। डीडवाना नमक उद्योग और विभिन्न मंदिरों-गादियों और प्राचीन मानव सभ्यता अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र के रतनगढ़, चूरु, सादुलपुर, लोहारू, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी बड़े शहर व स्टेशन भी अवस्थित हैं। इस ट्रेन के विस्तार से दैनिक यात्रियों, पर्यटकों, श्रद्धालुओं, शोधवेताओं, विद्यार्थियों, व्यापारियों आदि सभी के लिए लाभदायक रहेगा।
विस्तार की मंजूरी के बावजूद अटकी रह गई फाईलें
इस ट्रेन का हरिद्वार होते हुए ऋषिकेश तक विस्तार 2019, 2020, 2021, 2022 की अंतर रेलवे समय सारणी में इस ट्रेन को रेलवे बोर्ड व उत्तर रेलवे, उत्तर-पश्चिम रेलवे द्वारा मंजूरी दी गयी थी, लेकिन राजनेताओं द्वारा इसमें जोधपुर, राजसमंद, नागौर, चूरू, भिवानी, गुरुग्राम के निवर्तमान सांसदों की उदासीनता के कारण रेण, डेगाना, छोटी खाटू, डीडवाना, लाडनूं, सुजानगढ़, रतनगढ़, लोहारू, महेंद्रगढ़ के लोगों को अपने रिश्तेदारों के अंतिम धार्मिक क्रिया-कलापों को निभाने में बहुत असुविधा का सामना करना पड़ता है।
छोटी खाटू से पूर्व सदस्य रेल सलाहकार समिति जोधपुर डिवीज़न के रामदेव शर्मा, कैलाश सारडा, दामोदर मंत्री, डीडवाना से नरेंद्र मोहनोत, लाडनूं से अनिल कुमार खटेड़ पूर्व सदस्य जोनल रेल सलाहकार समिति उत्तर पश्चिम रेलवे, सुजानगढ़ से रंजीत सिरोहिया, डॉ. प्रवीण लिलाड़, अनिल सैनी तंवर, महावीर पाटनी, प्रदीप जोशी, रतनगढ़ से नंदू भार्गव, अभिषेक शर्मा, कुलदीप चौधरी इसके अलावा चूरू, सादुलपुर, लोहारू, महेन्द्रगढ़ व रेण, डेगाना से अनेक सामाजिक संगठनों व सामाजिक व्यक्तियों ने पिछले 10 सालों से रेल मंत्री व रेलवे के अन्य अधिकारियों से इस ट्रेन के हरिद्वार होते हुये ऋषिकेश तक के विस्तार के मांग कर रहे हैं, परन्तु अभी यह मांग रेलवे की फाइलों से बाहर नहीं आयी है।