घर से भटकी महिला 5 साल बाद मिली अपने परिजनों से, सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल से पहुंच पाई अपने घर
लाडनूं। पिछले पांच सालों से परिजन जिसकी तलाश करके थक चुके थे और यह मान चुके थे कि गुमसुदा उनकी बेटी मर चुकी है, वो महिला पांच साल बाद जब लाडनूं में परिजनों से मिली तो माहौल भावपूर्ण हो गया। प्रतिभाशाली छात्रा के रूप में रही यह महिला डिप्रेशन में आकर घर से भटक गई और विभिन्न स्थानों से होते हुए आखिर लाडनूं पहुंच गई, जहां लोगों ने उससे सहृदयता दिखाते हुए उसके रोटी-पानी की व्यवस्था की और साथ ही स्थानीय समाजसेवियों से सम्पर्क करके उस महिला कोउसके परिजनों का पता लगाकर सही स्थान पर पहुंचाने की इच्छा जताई। आखिर काफी प्रयासों के बाद इस गुमशुदा युवती का पूरा पता लगा कर उसके परिजनों को बुलाकर उनके साथ भिजवाया गया। परिजनों और महिला की आंखें भर आई और देखने वाले सहयोगी भी भावुक हो उठे।
भाषा की समस्या के कारण किसी को नहीं बता पाई अपनी बात
यह महिला कर्नाटका राज्य के हुबली जिले के उचलकंता ग्राम की 30 वर्षीया हनुमावा बाल्मिकी है, जो कन्नड़ भाषा बोल रही थी और उसे समझने वाला यहां कोई नहीं था। वह पिछले तीन महिनों से यहां शहर के बीच से निकल रही हाईवे पर होटल गजानन्द के पास रह रही थी। इसे आने पर गजानंद होटल के मालिक रामोतार सांखला ने बात की, तो उसकी भाषा नहीं समझने के बावजूद उसकी भावनाओ को समझ कर उसे चाय पिलाई तथा दोपहर को खाना खिलाया। जब आसपास के रहवासियों को पता इस महिला के बारे में पता चला तो झमकू देवी व पूर्वी ने उसे खाना खिलाना शुरू किया। यहां के लोगों की दया भावना को देखकर वह भटकी हुई युवती अपने-आपको यहां सुरक्षित महसूस करके यही पर रहने लगी। मौहल्ले की महिलाओ द्वारा उसे सुबह-शाम नियमित रूप से खाना दिया जाने लगा। उसकी भाषा किसी के भी समझ नहीं आने से थोड़ी परेशानी होती थी।
इस तरह से लगाया उसके परिजनों का पता
निकट के रहवासी अजय सांखला की पत्नी पूजा सैनी ने इस महिला को किसी आश्रम या रिहैबिटेशन सेंटर में छोड़ कर आने का सुझाव दिया। इस पर अजय ने यहां समाजसेवी पार्षद राजेश भोजक से संपर्क किया, जिन्होंने उसे आश्रम में छोड़ने के बजाय उसके परिजनों की तलाश करने को अधिक आवश्यक समझा और उसकी भाषा को दक्षिण भारतीय मानकर उधर रहने वाले स्थानीय प्रवासी से सम्पर्क करके उसकी बात करवाई गई, तो उन्होंने बताया कि वह कन्नड़ बोली बोल रही है। इस पर गूगल से सर्च करके कर्नाटका बैंगलोर के एक एनजीओ ‘दीनबंधु सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन’ के हर्षा मालेकर के कॉन्टैक्ट नंबरों पर समपर्क करके उन्हें इसकी जानकारी दी गई। उन्होंने इस युवती से बात करके उसके गांव की जानकारी की और वहां के पुलिस स्टेशन पर पुलिस अधिकारी कन्नप्पा से उस युवती की बात करवाई। कन्नपा हिंदी और कन्नड़ दोनो भाषा के जानकार थे। उन्होंने इस युवती की मां से बात करने के बाद इसके भाई व दो स्थानीय लोगो को इसे लेने के लिए लाडनूं भिजवाया।
पढाई में थी होशियार लेकिन डिप्रेशन में आकर घर से निकल गई
युवती के परिजनों तक बात पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया में 20 दिनों से अधिक समय लगा गया। मंगलवार को सुबह उसके परिवार वाले यहां आकर जब उससे मिले तो उन्हे देखकर यह युवती हनुमावा बहुत खुश हुई। उसके भाई मरूथप्पा ने बताया कि वह पिछले 5 वर्षो से मिसिंग थी। इसने 10वी कक्षा में 95 प्रतिशत नंबर प्राप्त किए थे और सैकिंड ईयर तक इसने पढ़ाई की है। यह पढ़ाई में बहुत होशियार थी, लेकिन बाद में किसी कारण से डिप्रेशन में आ गई और इस कारण यह घर से गायब हो गई। घर वालों ने इसे बहुत ढूंढा, लेकिन थक हार कर उन्हे लगा कि वो मर गई होगी। अब जब राजेश भोजक ने इसकी बात उसकी मां से करवाई, तो इसकी मां बहुत खुश हुई और हमे हनुमावा को वापस लाने के लिए यहां भेजा। इन लोगों के कर्नाटक से यहां आने पर आस-पास के लोग और महिलाएं एकत्रित हो गए। युवती हनुमावा ने सभी लोगों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। स्थानीय लोगों ने पूछताछ के बाद जब पाया कि वह अत्यंत साधारण परिवार से है, तो सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश खींची ने लोगों से उसे सहयोग करने के लिए कहा और पिंटू, माणक, सुगनचंद, दीपक सांवरमल, खिंवाराम घींटाला आदि से 5000 रूपए एकत्र करके उन्हें दिए। सााि ही उन्हें कम्बल और शाॅल भी भेंट किया। इसके बाद चारों को यहां से नागौर के लिए रवाना किया बया। जहां से वे रात्रि में बीकानेर-यशवंतपुर एक्सप्रेस से अपने घर के लिए जाएंगे।
