लाडनूं से गुजरते हैं तीन-तीन हाईवे, आएदिन होते हैं हादसे, घायलों को करना पड़ता है रैफर : जान बचाने के लिए ट्रोमा सेंटर जरूरी,
कितनी सरकारें आईं और गईं, कितने बरस और लटका रहेगा लाडनूं का ट्रोमा सेंटर?
भाजपा नेता राठौड़ ने चिकित्सा मंत्री से मुलाकात कर उठाई लाडनूं की चिकित्सा सम्बन्धी समस्याएं
लाडनूं (kalamkala.in)। तीन-तीन हाईवे गुजरने से लाडनूं क्षेत्र में आएदिन होने वाले हादसों और मौतों के बढ़ते आंकड़ों के कारण लाडनूं में लम्बे समय से ट्रोमा सेंटर की आवश्यकता बनी हुई थी। कई सरकारें आई और गई और हर बार ट्रोमा सेंटर की बात उठती है। लाडनूं के राजकीय चिकित्सालय में ट्रोमा सेंटर का शिलान्यास तक कर दिया गया। बजट प्रावधानों में भी इसे शामिल किया गया। सरकार ने व्यवस्थाओं कै लेकर निर्देशन पत्र भी जारी कर दिए गए। लेकिन वही ढाक के तीन पात, स्थिति जब की तस बनी हुई है। क्षेत्र में सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों में से मौतों का आंकड़ा काफी बड़ा है। अधिकांश घायलों को यहां से चिकित्सक उच्च चिकित्सार्थ रैफर कर दिया जाता है और काफी घायल रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। इस विकट समस्या को लेकर यहां के अधिकांश राजनेता व राजनीतिक लोग पता नहीं किस वजह से चुप्पी साध रख कर बैठे हैं।
आखिर जागे जगदीश सिंह राठौड़
आखिर इस ज्वलंत समस्या की ओर भाजपा नेता व अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सदस्य जगदीश सिंह राठौड़ ने ध्यान दिया और उन्होंने खींवसर विधानसभा के उप चुनाव के दौरान चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह से मुलाकात की। उन्होंने चिकित्सा मंत्री को लाडनूं के उप जिला चिकित्सालय की विभिन्न समस्याओं से अवगत करवाया। राठौड़ ने उन्हें अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन की सुविधा का लाभ किसी को नहीं मिलने, ट्रॉमा सेंटर व रिक्त पड़े चिकित्सकों के पदों पर नियुक्ति करने सम्बन्धी विवरण बताते हुए समाधान के लिए आग्रह किया। राठौड़ ने चिकित्सा मंत्री से को बताया कि लाडनूं तहसील में आएदिन सड़क हादसे होते रहते हैं, जिनके घायलों का लाडनूं के उप जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद हाई सेंटर रैफर कर दिया जाता है। कई बार हाई सेंटर पहुंचने से पहले ही घायल दम तोड़ देता है, इसलिए लाडनूं में जल्द से जल्द ट्रॉमा सेंटर खुलना चाहिए, ताकि आइंदा लोगों की जान बचाई जा सके और घायलों को लेकर हाई सेंटर जाने की नौबत ही नहीं आए।
