स्वस्थ व्यक्ति से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव- मुनिश्री विजय कुमार, अणुव्रत व्याख्यानमाला के प्रथम पुष्प का आयोजन

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स्वस्थ व्यक्ति से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव- मुनिश्री विजय कुमार,

अणुव्रत व्याख्यानमाला के प्रथम पुष्प का आयोजन

लाडनूं (kalamkala.in)। अणुव्रत विश्व भारती सोसाइटी राजसमंद के तत्वावधान में अणुव्रत व्याख्यानमाला का प्रथम पुष्प रविवार को यहां पहली पट्टी स्थित ऋषभ द्वार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम  को सान्निध्य प्रदान करते हुए मुनिश्री विजय कुमार ने कहा कि स्वस्थ समाज की संरचना स्वस्थ व्यक्ति से ही संभव हो सकती है। अगर समाज का व्यक्ति स्वस्थ नहीं होगा तो समाज और राष्ट्र स्वस्थ्य कैसे हो सकता है? उन्होंने अणुव्रत का मुख्य उद्देश्य ‘व्यक्ति-सुधार’ को बताया तथा कहा कि अणुव्रत का मूल मंत्र भी ‘सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से राष्ट्र स्वयं सुधरेगा’ है। यदि समाज का हर व्यक्ति स्वस्थ और सशक्त होता है, तो समाज भी स्वस्थ और सशक्त होगा। समाज की उत्पन्न होने वाली सभी समस्याएं स्वतः समाहित हो जाएगी। मुनिश्री ने स्पष्ट किया कि कोई भी धार्मिक व्यक्ति तब तक धार्मिक नहीं हो सकता, जब तक कि वह नैतिक न हो। नैतिकता-शून्य धर्म की कल्पना नहीं की जा सकती। कोई भी धर्म हमें अनैतिकता की शिक्षा नहीं देता है। अतः धर्म और नीति की समन्विति बहुत जरूरी है।

अणुव्रत आचार संहिता के 11 सूत्र हैं सभी समस्याओं के समाधायक

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अणुव्रत व्याख्यानमाला के संयोजक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने स्वस्थ समाज संरचना और अणुव्रत विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि संसार में अब तक जो भी परिवर्तन हुए हैं, वे प्रायः विचारों के आधार पर हुए हैं। विचार-क्रांति से ही अतीत में इंग्लैंड की क्रांति, फ्रांस की क्रांति और अमेरिका की क्रांति संभव हो सकी। इसीलिए आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन कर अणुव्रत विचार की क्रांति की, जिसके कारण समाज में बहुत सारे बदलाव संभव हो सके। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए, समाज का सामाजिक स्वास्थ्य, आर्थिक स्वास्थ्य, राजनीतिक स्वास्थ्य और शैक्षिक स्वास्थ्य स्वस्थ होना चाहिए। ये सभी तब  स्वस्थ हो सकते हैं जब अणुव्रत आचार संहिता के नियमों को जीवन में उतारा जाए। अणुव्रत आचार संहिता के 11 सूत्र वर्तमान समय की सभी प्रकार की समस्याओं के समाधायक हैं।

दिया जा रहा है बच्चों को प्रामाणिक बनाने का प्रशिक्षण

     कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रताप दुगड ने अणुव्रत विश्व भारती द्वारा चलाए जा रहे 45 आयामों पर प्रकाश डाला और बताया कि अणुव्रत प्रमाणिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उन्होंने राजसमंद में होने वाले बालोदय शिविरों की चर्चा की तथा बताया कि इन शिविरों के माध्यम से बच्चों को मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रामाणिक और ईमानदार बनने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए माणकचंद नाहटा ने कहा कि मैं अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि अणुव्रत विचार का सूत्रपात छापर की धरती पर हुआ, जहां का मैं निवासी हूं और अब यह समूचे विश्व में गूंज रहा है तथा नैतिक मूल्यों को प्रसारित कर रहा है।
        इस अवसर पर मुनि तन्मय कुमार ने गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की कुशल संयोजना अणुव्रत समिति लाडनूं द्वारा की गई। कार्यक्रम का संयोजन रेणु कोचर ने किया। अंत में नवीन नाहटा ने आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति से कंचन चैरडिया, कमला देवी चैरडिया, संगीता नाहर, सायर बेगवानी, प्रेम बैद, चंदा नाहटा, विजय सिंह बैद, विजय सिंह भूतोडिया, राजेश नाहटा, विनीत बोथरा, सुरेंद्र नाहटा, प्रेम बेगवानी, मंत्री अब्दुल हमीद मोयल आदि उपस्थित रहे।
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Author: kalamkala

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