दृढ़ भक्ति, स्वरूप का ज्ञान तथा सत्कर्म ही बने जीवन का लक्ष्य- पं. रामपाल शर्मा शास्त्री जैसलान,
डीडवाना में भव्य कलश-यात्रा के साथ भागवत कथा का शुभारम्भ
डीडवाना (kalamkala.in)। ग्राम जैसलान वासी गोवर्धन जोशी परिवार द्वारा आत्म कल्याण, सर्वजन हिताय तथा गौ सेवार्थ आयोजित भागवत कथा स्थानीय झालरिया मंदिर से प्रारंभ भव्य कलश-यात्रा के साथ यजमान गोपाल शर्मा सपत्नीक भागवत जी को शिरोधार्य कर खंडेलवाल भवन में कथा शुरू हुई। कथा-व्यास पं. रामपाल शर्मा शास्त्री जैसलान ने बताया कि भागवत कथा मन को निर्मल व शुद्ध करने का सर्वोत्तम सरल साधन है। भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की अनुपम महिमा का निरूपण संगीतमय व सजीव आकर्षक झांकी के साथ किया गया। नारदजी द्वारा आज से करीब पांच हजार वर्ष पूर्व किये गये कलियुग के वर्णन को वर्तमान संदर्भ से जोड़कर बताया गया। कथा में आत्मदेव के प्रसंग को आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में वर्णित किया कि हम सब आत्मदेव हैं। आत्मा नित्य है तथा शरीर व संसार अनित्य है इसका ज्ञान हो जाना ही वास्तविक ज्ञान है। परमात्मा के प्रति दृढ़ भक्ति, अपने स्वरूप का ज्ञान तथा सत्कर्म करना ही मानव जीवन का पहला व आखिरी लक्ष्य है।
उद्वेलित-विचलितों को भगवद्समर्पण से मिलती है शुभ कर्म की सीख
पं. शास्त्री द्वारा बताया गया कि सनातन शास्त्र तथा भगवान् की कथा का उद्देश्य स्वयं के साथ मानव मात्र का उद्धार है। शौनकादि ऋषियों द्वारा पूछे गए छः प्रश्न इस कायाकल्प में रहते हुए सद्भावना पूर्वक जीवन जीने के तरीके से संबंधित है। वर्तमान आपाधापी के जमाने में व्यक्ति किंकर्तव्यविमूढ़ होता जा रहा है, अतः उद्वेलित व विचलित लोगों को सत्कर्म, भगवद्समर्पण तथा आत्मज्ञान के द्वारा अपने स्वभाव के अनुसार शुभ कर्म करने की सीख कथा से मिलती है। भागवत कथा की रचना का उद्देश्य, श्रीशुकदेवजी की जन्मकथा, अश्वत्थामा तिरस्कार व राजा परीक्षित को ऋषि पुत्र द्वारा दिए गए श्राप के प्रसंगों के साथ परमात्मा के सूक्ष्म व विराट रूप का वैज्ञानिक तरीके से वर्णन किया गया। कथा विराम के बाद श्रद्धालुओं द्वारा नीराजन किया जाकर प्रसाद प्राप्त किया। कथा में आरती, झांकियों व व्यास पीठ पर आ रही समस्त चढ़ावा राशि गौ सेवार्थ गौशाला में कथा समाप्ति पर परिदान की जायेगी। उल्लेखनीय है कि कथा व्यास पं. रामपाल शर्मा शास्त्री जैसलान गौ सेवार्थ, धार्मिक या सामाजिक सेवार्थ निःशुल्क कथा वाचन करते हैं।
