एक खुलासा चौंकाने वाला-
ये क्या गुल खिला रहे हैं बच्चों को शिक्षा और संस्कार देने वाले विद्यालय? भविष्य अंधकारमय है,
लाडनूं का कैडेट फाउंडेशन स्कूल और दुजार के राजस्थान शिक्षण संस्थान के बीच चल रही है कैसी अवैध सांठगांठ? फर्जी टीसी और जांच दल की रिपोर्ट क्या कह रही है
लाडनूं (kalamkala.in)। आजकल हर किसी को शिक्षा का कारोबार सबसे अधिक लाभदायक प्रतीत होने लगा है, इसके लिए अनेक लोग जेबों में पैसे भर कर स्कूलों का रजिस्ट्रेशन और मान्यताएं खरीदने की पुरजोर कोशिशें करते हैं। यह निश्चित है कि इस गोरखधंधे में शिक्षा विभाग के आला-अफसरों की मिलीभगत भी होती है। किसी की यह सब कवायद असफल रहती है तो वह चोरी-चुपके दूसरे रास्ते तलाश कर अपनी दुकानदारी चलाने लगते हैं। इस सारी कारस्तानियों में एक बात तो पक्की है कि अभिभावकों की जेब पर डाका डाला जाता है और बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाया जाता है। आज लाडनूं के ऐसे ही अजीबोगरीब मामले के बारे में चर्चा करते हैं, जिसमें बच्चे का एडमिशन कहीं और होता है, अध्यापन कहीं और करवाया जाता है। यह सब आपसी सांठ-गांठ से होता है और क्षेत्र में कई ऐसे विद्यालय संचालित होना बताया जा रहा है। कुछ विद्यालयों के पास केवल माध्यमिक अथवा उच्च प्राथमिक स्तर की मान्यता होती है, मगर उनका संचालन उच्च माध्यमिक स्तर तक किया जा रहा हैं। ऐसे विद्यालय उच्च कक्षाओं के लिए अन्य विद्यालयों का सहारा लेते हैं और अपने उन विद्यार्थियों का प्रवेश ऐसे अन्य विद्यालयों में करवा देते हैं, लेकिन वास्तविक शिक्षण कार्य में अपने यहां जारी रखवाते हैं। बड़ी संख्या में इस प्रकार के विद्यालय संचालित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा इनकी नियमित और गहनता से जांच नहीं किये जाने से इनके हौसले बुलंद हैं और ये अपने स्वार्थपूर्ति के लिए बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं।
बिना मान्यता के ये निजी स्कूल संचालक कर रहे हैं बच्चों का भविष्य से खिलवाड़
लाडनूं शहर के गौरवपथ स्थित कैडेट फाउण्डेशन स्कूल के खिलाफ शिक्षा विभाग की जांच से इसी तरह का खुलासा सामने आया है। हाल ही में शिक्षा विभाग की ओर से एक अभिभावक की शिकायत पर की गई जांच में स्थानीय गौरव पथ पर संचालित कैडेट फाउण्डेशन स्कूल के बारे में चौकाने वाले तथ्य सामने आये, मगर विभागीय जांच दल की ओर से प्रस्तुत इस रिपोर्ट को लम्बा अरसा बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही करने में शिक्षा विभाग ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इस जांच रिपोर्ट में पाया गया कि बिना मान्यता के स्कूल संचालित किया जा रहा है। एक अभिभावक द्वारा केडेट फाउण्डेशन स्कूल द्वारा टीसी नहीं दिये जाने पर विद्यालय के पास मान्यता नहीं होने की शिकायत की गई। शिकायत की जांच के लिए विभाग ने राजकीय केशरदेवी बालिका विद्यालय के दो व्याख्याताओं को नियुक्त किया। जांच टीम द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में लिखा गया है कि गौरव पथ पर संचालित कैडेट्स फाउंडेशन स्कूल मान्यता संबंधी किसी प्रकार का दस्तावेज नहीं पाया गया और ना ही उपलब्ध करवाया गया। वहां उपस्थित कक्षा 1 से लेकर 8 तक विद्यार्थियों से बात करने पर विद्यालय का समय प्रात: 9:30 से दोपहर 3:30 बजे तक बताया गया। संचालनकर्त्ता द्वारा शिकायतकर्त्ता की पुत्री का रजिस्ट्रेशन दुजार की ‘राजस्थान शिक्षण संस्थान’ में होने के संबंध में काेई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। जांच रिपोर्ट के अनुसार शिवानी द्वारा इसे स्कूल की बजाय कोचिंग क्लासेज बताया। यह निश्चित ही विभाग को गुमराह करने की सोची-समझी चाल है। वरना अगर बच्चा विद्यालय-समय में इस कोचिंग में उपस्थित रहता है तो फिर उसका विद्यालय जाना कैसे संभव है और विद्यालय में लगने वाली उपस्थिति का फर्जी होना भी स्पष्ट है। निश्चित ही कोचिंग के नाम पर यह बिना मान्यता के विद्यालय संचालित हो रहा है। जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाने से इस अवैध स्कूल संचालनकर्त्ता के हौसले बुलन्द है और बच्चों का भविष्य अंधकार में है।
टीसी किसी और विद्यालय की तथा उस पर मोहर कोई और लगाता है
कैडेट फाउण्डेशन द्वारा एक अभिभावक को ऐसी टीसी दी गई है, जिसमें प्रतीत होता है कि वह राजस्थान शिक्षण संस्थान उच्च माध्यमिक विद्यालय दुजार की पीसी है। उसमें पीएसपी कोड 39715 है, लेकिन इस टीसी पर नीचे प्रधानाचार्य की सील में कैडेट फाउण्डेशन स्कूल लिखा है। टीसी जारी करने की तिथि 5 जुलाई 2024 तथा प्रवेश की दिनांक 15 अप्रैल 2024 अंकित हैं। इसके बाद विद्यार्थी की उपस्थिति 245 दिवस दर्ज की गई है। जब विद्यार्थी ने सिर्फ तीन ही माह अध्ययन किया तो तीन महीने की उपस्थिति 245 कैसे संभव हुई, यह सब मुमकिन बनाने वाले ये अवैध रूप से चलने वाले विद्यालय के संचालक हैं। इस बारे में अभिभावक का कहना है कि जब यह टीसी अन्य विद्यालय में प्रवेश के लिए प्रयुक्त की गई, तब इस बात का खुलासा हुआ। इस टीसी को पूरी तरह फ़र्ज़ी बताते हुए इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया गया।
ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय शहर में हो रहे हैं संचालित
शहर में कई ऐसे विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनकी मान्यता संबंधी दस्तावेज ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय के नाम से मिली हुई है। विभाग के नियमानुसार जिस स्थान के लिए विद्यालय का रजिस्ट्रेशन करवाया गया है, वहीं उसका संचालन होना चाहिए। जिससे उस क्षेत्र के गरीब तबके के बच्चों को आरटीई अधिनियम के अन्तर्गत प्रवेश मिल सके। ग्रामीण क्षेत्र में बंद हो चुकी स्कूलों की मान्यता खरीदने-बेचने का गाेरखधंधा बड़े स्तर पर चल रहा है। जिससे एक तरफ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को आरटीई अधिनियम का लाभ नहीं मिल पा रहा है, वहीं शहरी क्षेत्र मे गरीब तबके के बच्चों को पोर्टल पर उक्त संस्थान नहीं मिलने पर वे भी आवेदन नहीं कर पाते हैं। ऐसे विद्यालय में कई विद्यालय ऐसे भी हैं जिनको मान्यता हिन्दी माध्यम की मिली हुई है वहीं संचालन अंग्रेजी माध्यम में किया जा रहा है। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को तब भुगतना पड़ता है जब वे बोर्ड कक्षाओं की परीक्षा देने पहुंचते हैं। पूरे वर्ष अंग्रेजी में अध्ययन के बाद बच्चों को मजबूरन हिन्दी माध्यम में परीक्षा देनी पड़ती है। ऐसी ही एक शिकायत हाल ही में एक अभिभावक ने शिक्षा विभाग को की मगर उस पर भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है।
नहीं किया जा रहा है भौतिक सत्यापन
अवैध स्कूलों के संचालन में शिक्षा विभाग की शिथिलता ही बड़ा कारण है। नियमानुसार प्रतिवर्ष विद्यालय का भौतिक सत्यापन करवाना होता है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि जिस स्थान के लिए मान्यता दी गई है, विद्यालय उसी स्थान पर संचालित हो रहा है या नहीं। लेकिन, अधिकांश निजी विद्यालयों द्वारा भौतिक सत्यापन करवाया ही नहीं जाता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी यदि इस नियम की पालना करवायें, तो आधे से अधिक अवैध निजी विद्यालय बंद हो सकते हैं। जानकारी के अनुसार अवैध स्कूल संचालकों द्वारा मिलीभगत एवं भ्रष्टाचार कर विभाग के अधिकारियों की जेब गर्म कर प्रतिवर्ष इस नियम की अनदेखी कर दी जाती है। इस तरह अवैध रूप से संचालित ये निजी शिक्षण संस्थाएं देश के भविष्य को अंधकारमय बनाने का कार्य कर रही है। इन अवैध निजी स्कूलों के विरूद्ध कार्यवाही में शिक्षा विभाग की चुप्पी आश्चर्यजनक है। वर्तमान में शहर में कई ऐसे विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं, जिनके पास ना तो शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है और ना ही विभाग के अनुरूप इनके पास विद्यालय भवन, प्रशिक्षित शिक्षक हैं। केवल धनार्जन करने के उद्देश्य से संचालित इस प्रकार के फर्जी स्कूल नौनिहालों के भविष्य को संकट में डाल रहे हैं। इन विद्यालयों के बारे में जब तक जानकारी सामने आती है तब तक बहुत देर हो जाती है और इसके पश्चात विद्यार्थी और अभिभावक दोनों ही ठगे हुए महसूस करते हैं।
इनका कहना है-
हमने स्कूल मान्यता की फाईल लगा रखी है। जल्द ही हमें शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता मिल जाएगी। तब तक के लिए राजस्थान शिक्षण संस्थान दुजार के माध्यम से विद्यालय संचालित किया जा रहा है। सभी नियमों की पालना की जा रही है।
– शिवानी प्रजापति, संचालक, केडेट फाउण्डेशन स्कूल
केडेट फाउण्डेशन स्कूल के संबंध में शिकायत आई थी, जिसकी जांच के लिए केशरदेवी सेठी राजकीय विद्यालय के दो व्याख्याताओं की टीम से जांच करवाकर जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। विभाग के उच्चाधिकारी ही इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने में सक्षम हैं। दुजार में मान्यता प्राप्त राजस्थान शिक्षण संस्थान उच्च माध्यमिक विद्यालय किसी अन्य स्थान पर संचालित हो रहा है, तो उसकी भी जांच करवा ली जाएगी।
– अशोक राव, सीबीईईओ, शिक्षा विभाग, लाडनूं
