गहरे पानी पैठ- 5 –
क्या है लाडनूं आर्य समाज के चुनावों की असलियत? पर्दे के पीछे छिपी घिनौनी साजिश,
आर्य समाज का कच्चा चिट्ठा:- संस्थान ने आर्य समाज में खेला बीस लाख रुपयों का खेल, यह कैसा घिनौना तालमेल?
क्यों अभी से तिड़ना शुरू हो गया संस्थान? कैसे हो चले हैं अंदरखाने के हालात?
जगदीश यायावर। लाडनूं ()। लाडनूं आर्य समाज पर जबरन कब्जा करके अंदर घुसपैठ करने वाली ओमदास की टीम शुरू से ही बदनियत पाले हुए रही, ऐसा प्रतीत होता है। विधायक मुकेश भाकर की शह पर षड्यंत्र पूर्वक आर्य समाज पर कब्जा करने वाली इस टीम में कब्जा करने और किसी के कोई प्रतिरोध नहीं किया जाने पर ये बेखौफ हो गए और कुछ ही दिनों में अपनी पर उतर आए। जिनकी नियत पाक-साफ नहीं हो, वे कुछ भी कर सकते हैं। इन्होंने सोसायटी रजिस्ट्रार नागौर को अपना मोहरा बनाया और उनके माध्यम से आर्य समाज के करीब 20 लाख से अधिक जमा पूंजी वाले बैंक खाते में बैंक मैनेजर से सांठ-गांठ करके अपने हस्ताक्षर स्वीकृत करवा कर आधिपत्य जमा लिया।
इसके बाद शुरू हुआ, आर्थिक घोटालों का अद्भुत खेल। आर्य समाज संस्थान के मंत्री ने बैंक से मिलीभगत करने की शिकायत जनरल मैनेजर तक पहुंचाई और मुकदमेबाजी की चेतावनी तक दी, लेकिन खाते पर कोई रोक-टोक कोई भी नहीं लगा पाए। बताया जाता है कि बैंक से करीब 20 लाख की निकासी के मामले में बहुत बड़ी राशि का आज तक कोई हिसाब-किताब सामने नहीं लाया गया है। यह आरोप संस्थान के महत्वपूर्ण पदाधिकारीगण व कार्यकारिणी सदस्य ही लगा रहे हैं।
डेढ साल पहले लगा था ढाई लाख के गड़बड़झाले का आरोप
आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान (पंजीकृत) राजा पार्क, आदर्श नगर, जयपुर से सम्बद्ध) आर्य समाज लाडनूं (नोट- आर्य समाज संस्थान से यह अलग है और मूल संस्था है) का लेटर हेड इस्तेमाल करते हुए मंत्री प्रेम प्रकाश आर्य ने पंजाब नेशनल बैंक के महाप्रबंधक बीकानेर मंडल को पत्र क्रमांक 03/2023 दिनांक 15.03.2023 द्वारा आर्यसमाज लाडनूं के खाता सं. 6614000100002202 में नियमविरुद्ध निकासी करने के बारे में लिखा है और बताया है कि प्रबन्धक पीएनबी शाखा लाडनूं को प्रबन्धकारिणी समिति की बैठक संख्या-4 दिनांक 4.01.2023 के निर्णयानुसार अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षरों से खाता संचालित करने बाबत लिए गए प्रस्ताव की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई गई थी। इस प्रति की प्राप्ति के बावजूद भी शाखा-प्रबन्धक ने नियम विरुद्ध दिनांक 9.01.2023 को ढाई लाख रुपयों की निकासी को स्वीकृति दी, जो कि पूर्णतया नियम विरुद्ध हैं। अवगत रहे कि अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष पूर्व में दिये गए प्रस्ताव वाले ही है। धन के दुरुपयोग के कारण दो के हस्ताक्षर के स्थान पर तीनों के संयुक्त हस्ताक्षर का प्रबन्धकारिणी ने नियम बनाया। इन तीनों पदाधिकारियों के हस्ताक्षर बैंक में पहले से ही मौजूद है। पत्र में भविष्य में नियम-विरुद्ध निकासी नहीं करने के लिए प्रबन्धक को पाबन्द करने की मांग की गई है, साथ ही अन्यथा कानूनी कार्यवाही के लिए बैंक को चेतावनी भी दी गई है।
इस प्रकार हुई बैंक खाते से साढे सत्रह लाख की निकासी
आर्य समाज के बैंक खाते से निकासी मामले में पता लगा है कि 11,000/- रुपए 30.07.22 को, 21,000/- रुपए 26.08.22 को, 50,000/- रुपए 11.11.22 को, 50,000/- रुपए 20.12.22 को, 48,000/- रुपए 02.01.23 को, 2,50,000/- रुपए 09.01.23 को, 1,50,000/- रुपए 27.03.23 को,
1,50,000/- रुपए 7.04.23 को, 2,00,000/- रुपए 24.05.23 को, 2,00,000/- रुपए 14.08.23 को,
3,50,000/- रुपए 06.10.23 को, 1,00,000/- रुपए 07.11.23 को, 1,00,000/- रुपए 26.02.24 को और 50,000/- रुपए 11.03.24 को बैंक से नकद निकाले गए। इस प्रकार कुल 17 लाख 30 हजार रुपयों की नकद निकासी की गई। यह राशि 1.07.2022 से 19.05.2024 के बीच की अवधि में बैंक से निकाले गए। किसी भी संस्था के बैंक से इतनी बड़ी नकद राशि निकाला जाना नियमानुसार सही नहीं माना जाता है। कोई भी बड़ा भुगतान चैक से ही किया जा सकता है। बताया गया है कि संस्था एक्ट के अनुसार इस संस्थान के पंजीकृत संविधान में अध्यक्ष को 2100 रुपए तक नगद खर्च करने तक का ही अधिकार है।
गड़बड़ियों के चलते किया जांच समिति का गठन
इसके अलावा संस्थान में अंदरखाने इसके प्रारम्भ से ही खड़बड चलती रही थी, जो अब भारी उबाल के रूप में सामने आकर उफान और ढुलाव बन चुका है। संस्थान के अंदर चलती गुटबाजी के कारण आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया भी जारी रही। इसी के तहत मंत्री प्रेमप्रकाश आर्य ने अपने पत्र क्रमांक 01/2023
दिनांक 9.01.2023 द्वारा पंजाब नेशनल बैंक लाडनूं के शाखा प्रबन्धक को आर्यसमाज लाडनूं के बचत खाता से नियम-विरुद्ध लेन-देन से अवगत करवाया। उन्होंने लिखा कि दिनांक 4.01.2023 को सम्पन्न हुई आर्यसमाज लाडनूं की प्रबन्धकारिणी समिति की ने बैठक में पारित सर्वसम्मत निर्णय से उन्हें लिखित में अवगत कराया गया था कि अध्यक्ष, मंत्री, कोषाध्यक्ष तीनों के संयुक्त हस्ताक्षरों से ही खाता संचालित किया जायेगा। फिर भी, उन्होंने नियम विरुद्ध दिनांक 09.01.2023 को केवल अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षरों से 2 लाख 50 हजार रूपयों की निकासी को स्वीकृति दी, जो गैर-कानूनी है। पत्र में इस राशि को खाते में वापस तत्काल जमा कराये जाने की मांग करते हुए बैंक मैनेजर पर अन्यथा कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी गई।
इसके अलावा मंत्री के रूप में प्रेमप्रकाश आर्य ने संस्थान के कोषाध्यक्ष सुबोधचंद्र आर्य को पत्रांक 02/2023. दिनांक 15.03.2023 के द्वारा आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने तथा जांच करवाने के निर्देश दिए। इसमें बताया गया कि प्रबन्धकारिणी समिति की बैठक संख्या 5 दिनांक 10.01.2023 में लिये गये निर्णयों से उन्हें मौखिक तथा लिखित अवगत करा दिया गया था, फिर भी जुलाई 2022 से दिसम्बर 2022 तक का आय-व्यय का लेखा-जोखा अभी तक प्रस्तुत नहीं किया। उन्होंने दिनांक 12.03.2023 की प्रबन्धकारिणी की बैठक में अगले रविवार (19.3.2023) को आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने की बात कही थी। मंत्री ने पत्र में निर्देश दिए कि वे जुलाई 2022 से फरवरी 2023 तक का लेखा-जोखा प्रस्तुत करें तथा 10.01.2023 की बैठक में पारित निर्णयानुसार सम्बन्धित दस्तावेज (बिल फाईल, रसीद बुक, रोकड़ बही, खाता बही, बैंक पासबुक, चेकबुक आदि को जांच समिति का सुपुर्द करें। मंत्री प्रेम प्रकाश ने कोषाध्यक्ष सुबोधचंद्र को आगाह किया कि संस्थान के संविधान के अनुसार ‘आय-व्यय पर नियन्त्रण रखना’ मंत्री का अधिकार व कर्तव्य है। अतः अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करें।
वित्तीय पारदर्शिता का अभाव, परस्पर छिपाए जा रहे हैं लेखे
‘कलम कला’ के ध्यान में लाया गया है कि आर्य समाज में आयोजित किए गए ’11 मण घी से यज्ञाहुतियां’ कार्यक्रम में प्रयुक्त सम्पूर्ण घी का पूरा खर्च यश मुनि द्वारा दिया गया था। इसके अलावा यज्ञ में प्रयुक्त सम्पूर्ण हवन सामग्री का पूरा खर्च शिवकुमार अग्रवाल द्वारा दिया गया था। इसके बावजूद इस यज्ञ पर वास्तव में कुल कितना खर्च किया गया, यह सामने आना चाहिए। जब यज्ञ के लिए लोगों का सहयोग मिला तो आर्य समाज के बैंक कोष को खाली करने का औचित्य क्या था? आखिर क्यों नहीं हिसाब-किताब सार्वजनिक किया जाता, क्यों संस्थान के पास वित्तीय पारदर्शिता नहीं है, क्यों सदस्यों ही नहीं पदाधिकारियों तक से लेखा-जोखा छिपाया जा रहा है?
फली की तरह क्यों तिड़ने लगा संस्थान?
आर्य समाज संस्थान के अध्यक्ष पद पर ओमदास दो बार पदासीन रह चुके। वे 21.3.2021 से 20.7.2022 तक पहले कार्यकाल में रहे तथा 21.7.2022 से वर्तमान विवाद तक दूसरे कार्यकाल में भी अध्यक्ष रहे। इस बार तो उनको कार्यकारिणी में भी रखा जाना उचित नहीं माना गया। इधर अनुचित सदस्यों के गठजोड़ से अवैध चुनाव को लेकर अध्यक्ष ओम मुनि भी खासे कुपित हैं। मात्र ढाई-तीन सालों में ही संस्थान भीतर ही भीतर तितर-बितर होने लगा और अब तो यह फली की तरह तिड़ने की कवायद तक आ पहुंचा है।