नगर निकायों में सफाईकर्मी पद पर केवल वाल्मीकि समाज को ही अवसर देने की मांग,
अन्य जातियों के लोग ऐवजी रखते हैं, अफसरों को घर काम करते हैं या प्रतिनियुकित पर लग जाते हैं
लाडनूं। राज्य की नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में की जाने वाली सफाईकर्मचारी भर्ती को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् दिल्ली व जिला विकास समन्वयक एवं निगरानी समिति (दिशा) नागौर के सदस्य जगदीश सिंह राठौड़ एडवोकेट ने राज्यपाल को पत्र देकर भर्ती में केवल वाल्मिकी समाज के लोगों को ही सफाईकर्मी के पदों पर नियुिक्त दिये जाने की मांग की है। उन्होंने अपनेपत्र में लिखा है कि नगरपरिषद व नगरपालिका में शहर की सड़कों व नालियों की सफाई हेतु वाल्मिकी समाज के ही कार्मिक सफाई कार्य करते आये हैं। राज्य सरकार ने पिछले समय से गैर वाल्मिकी समाज के लोगों को भी इन पदों पर नियुक्ति देने की कार्यवाही की है, जो उचित नहीं है। इस समाज के लोग ही इन संस्थाओं के साफ-सफाई के लिये सम्पूर्ण कार्य करते हैं। गैर वाल्मिकी समाज के लोगों को मौका देकर सरकार वाल्मिकी समाज के लोगांे के हितों पर कुठाराघात कर रही है। यही एक मात्र ऐसी व्यवस्था है, जिससे वाल्मिकी समाज के लोगो को नगरपालिका व नगरपरिषद में नौकरी मिल पाती है। इस सम्बंध में हाल ही में पिछले दिनों पूरे प्रदेश के वाल्मीकि समाज ने हड़ताल व संघर्ष भी किया एवं सरकार के साथ समझौता भी हुआ है, लेकिन सरकार इस बात दृढ है कि अधिकांश पदों पर वाल्मिकी समाज के लोगो को मौका मिलेगा, लेकिन गैर-वाल्मिकी समाज के लोगों के हितों का भी ध्यान रखेगें। राठौड़ ने अपने पत्र में ध्यान आकर्षित करवाया है कि सरकार द्वारा गत भर्ती के दौरान गैर वाल्मिकी समाज के लोगो को नरपरिषद व नगरपालिका में साफ-सफाई के लिये कार्मिक के रूप में लगाया था, लेकिन देखा जा रहा है कि ऐसे लोग शहरों की साफ-सफाई नहीं करके केवल अफसरों के घरों में अपनी डयूटी देते है या अपने सुाई कार्य के लिए वाल्मिकी समाज के व्यक्तियों को ऐवजी सफाईकर्मी के रूप में रख कर अपने वेतन में से कुछ हिस्सा उनको देकर उनसे कार्य करवाते हैं, जो कतई उचित नहीं है। अन्य जाति कार्मिक अत्यंत प्रतिनियुक्ति पर है। उन्होंने पत्र में राज्य सरकार को निर्देश प्रदान करावें कि नगरपालिका व नगरपरिषद में शहर की साफ सफाई के लिये वाल्मिकी समाज को ही मौका दिये जाने बाबत मांग रखी है।