सुख, शांति व समृद्धि दायक हैं भगवान शांतिनाथ- आर्यिका सुदृढमति माताजी,
दिगंबर जैन सम्प्रदाय की आर्यिकात्रय माताजी का लाडनूं में मंगल प्रवेश, सुखदेव आश्रम आदिनाथ मंदिर से बड़ा जैन मंदिर तक निकाली शोभायात्रा
लाडनूं। आचार्य सुनील सागरजी महाराज की सुशिष्या आर्यिका सुदृढ़मति माताजी व सघंस्थ आर्यिका सुस्वरमति माताजी तथा संयतमति माताजी का नागौर में चातुर्मास समाप्ति के बाद पैदल विहार करते हुए मंगलवार को लाडनूं में मंगल प्रवेश हुआ। दिगंबर जैन समाज के सदस्य राज पाटनी ने बताया कि आर्यिकात्रय का सुबह बस स्टैंड स्थित सुखदेव आश्रम मंदिर पहुंचने के बाद जैन समाज द्वारा गाजे-बाजे सहित भव्य शोभायात्रा आयोजित करके उन्हें दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में पदार्पण करवाया गया। इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरूष उपस्थित रहे। शोभायात्रा के दौरान मार्ग में आने वाले अपने घरों के द्वार पर श्रावकों द्वारा आर्यिकात्रय का अभिनंदन, चरण प्रक्षालन व आरती की गई। इस अवसर पर बड़ा जैन मंदिर में माताजी सुदृढ़मति व लाडनूं में पूर्व विराजित विमलप्रभा माताजी संघ का वात्सल्य मिलन हुआ।
दया से आत्म निर्वाण की प्राप्ति संभव- आर्यिका विमलप्रभा माताजी
बड़ा जैन मंदिर में उपस्थित श्रावकों के समक्ष अपने प्रथम मंगल प्रवचन में आर्यिका सुदृढ़मति माताजी ने कहा कि लाडनूं नगर पर भगवान शांतिनाथ का आशीर्वाद है, उनसे हमें दया, दान व इंद्रियों के दमन की शिक्षा मिलती है व सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। आर्यिका विमलप्रभा माताजी ने अपने संबोधन में कहा कि दया धर्म का मूल है और इसी के माध्यम से हम आत्म-निर्वाण की प्राप्ति कर सकते हैं। प्रवचन सभा में आर्यिका संघ के विहार में सम्मिलित नागौर के श्रद्धालुओं का दिगंबर जैन समाज द्वारा स्वागत सम्मान किया गया। यहां विराजित आर्यिका संघों के सान्निध्य में लगातार विविध धार्मिक व आध्यात्मिक आयोजन होते रहेंगे।
