‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान दिवस’ थीम पर राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया। वैश्विक भलाई के लिए मनाए जाने वाले इस दिवस के कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने बताया कि यह दिवस नोबल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक डा. चन्द्रशेखर वेंकट रमन द्वारा रमन इफेक्ट की खोज से वैज्ञानिक रेले के सिद्धांत को चुनौती देने से यह दिवस शुरू किया जाता है। डा. वेंकट रमन ने अपने रमन सिद्धांत से प्रकाश के रंग परिप्रेक्ष्य से बदला जाने को प्रमाणित किया। इस खोज के कारण डा. सीवी रमन को 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला। 1986 में नेशनल काउंसिल फॉर सांडस एंड टेक्नोलॉली कम्यूनिकेशन भारत सरकार ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय जारी किया। उसी दिन से यह दिवस पूरे देश में थीम आधारित आयोजित किया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘वैश्विर कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ रखी गई है, क्योंकि भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा और वैश्विक कल्याण के लिए अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में भारत हमेशा मददगार रहेगा। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से ओतप्रोत यह देश सभी के परोपकार का कार्य करता रहा है और करता रहेगा, क्योकि उसकी सद्भावना ‘सर्वेसन्तु निरामया’ की रही है। खुशाल जांगिड़ ने सर सीवी. रमन के आविष्कार के बारे में जानकारी देते हुए नोबल पुरस्कार प्राप्त करने में रमन प्रभाव और प्रकाश के सन्दर्भ को स्पष्ट किया। न्यूरोन्स एवं भावनाओं के साथ मानसिक बीमारियों के इलाज के बारे में भी उन्होंने विस्तृत जानकारी दी। डा. मनीष भटनागर ने विज्ञान दिवस के महत्व एवं विज्ञान के योगदान के साथ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की उपयोगिता के साथ वैश्विक स्तर पर विज्ञान के प्रयोग एवं मानव कल्याण में उसकी भूमिका बतायी। छात्राध्यापिका कान्ता सोनी ने विज्ञान की रुचि एवं खोज की प्रवृति की जानकारी दी। छात्राध्यापिका रानी ने एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में बताते हुए मानव जीवन के लिए विज्ञान की भूमिका बताई। कार्यक्रम का संचालन डा. मनीष भटनागर ने किया। अंत में डा. अमिता जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।