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अब अलविदा छापर- जिनेन्द्र पूजा, गुरु की पर्युपासना, प्राणियों के प्रति दया और अनुकंपा की भावना, सुपात्र दान, गुणों के प्रति अनुराग और आगमवाणी का श्रवण जरूरी है- आचार्यश्री महाश्रमण, ध्वज हस्तांतरण के कार्यक्रम में बायतू व्यवस्था समिति ने संभाला दायित्व

अब अलविदा छापर-

जिनेन्द्र पूजा, गुरु की पर्युपासना, प्राणियों के प्रति दया और अनुकंपा की भावना, सुपात्र दान, गुणों के प्रति अनुराग और आगमवाणी का श्रवण जरूरी है- आचार्यश्री महाश्रमण

ध्वज हस्तांतरण के कार्यक्रम में बायतू व्यवस्था समिति ने संभाला दायित्व

छापर (चूरू)। लगभग 74 वर्षों के लम्बे इंतजार के बाद छापरवासियों को प्राप्त हुआ वर्ष 2022 के चातुर्मास के अंतिम दिन भी छापरवासियों ने अनुशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के समक्ष अपनी भावुक भावनाओं को अभिव्यक्ति देते हुए सजल नेत्रों से छापर पर अपनी कृपा बरसाने और पुनः आगमन में देर नहीं लगाने की भावना मौन-स्वरों में व्यक्त कर रहे थे। समता के साधक, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने छापरवासियों को इस चातुर्मासकाल का अंतिम संबोधन प्रदान करते हुए अपने भीतर धर्म की चेतना का विकास करने की प्रेरणा प्रदान की।

छापर में चातुर्मास मेरा सौभाग्य है

आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि मानव जन्म को एक वृक्ष मान लिया जाए तो इस वृक्ष पर कुछ फल भी लगने चाहिए, जिससे मानव जीवन रूपी वृक्ष सार्थक बन सके। मानव जीवन रूपी वृक्ष के छह फल बताए गए हैं- जिनेन्द्र पूजा, गुरु की पर्युपासना, प्राणियों के प्रति दया और अनुकंपा की भावना, सुपात्र दान, गुणों के प्रति अनुराग और आगमवाणी का श्रवण। चातुर्मासकाल इनको पुष्ट बनाने का समय होता है। हमने आचार्य कालू जन्मधरा पर चार महीने पूर्व चातुर्मास के लिए प्रवेश किया था। आज उस चतुर्मास का अंतिम दिन है। इस चतुर्मास की घोषणा तो आचार्य महाप्रज्ञजी के समय हो गई थी, किन्तु सरदारशहर में उनके महाप्रयाण के बाद इस बार उस चतुर्मास की क्रियान्विति हो पाई है। यहां वर्षों से संतों का प्रमुख सेवाकेन्द्र भी चलता है। मुझे तो आचार्यों ने कभी सेवाकेन्द्रों की चाकरी के लिए नहीं भेजा, किन्तु किसी मायने में इस बार यह अवसर प्राप्त करना कहा जा सकता है। मैंने भी अपने संयम पर्याय के दौरान पहली बार छापर में चातुर्मास किया है, यह मेरा सौभाग्य है।

छापरवासियों में धर्म की चेतना का विकास होता रहे

इस चातुर्मास को सफल बनाने में कितने-कितने कार्यकर्ताओं और लोगों का श्रम लगा होगा। कितनों ने अपना कितने समय का नियोजन किया होगा। छापरवासियों में धार्मिक भावना बनी रहे। त्याग-संयम की रमणीयता जीवन में आए। परम पूज्य कालूगणी की जन्मधरा, आचार्यश्री तुलसी की चतुर्मास भूमि और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी से भी जुड़ी इस भूमि पर यह चाातुर्मास सम्पन्न हो रहा है। छापरवासियों में धर्म की चेतना का विकास होता रहे। इस दौरान साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने भी छापरवासियों को उद्बोधित किया।

सबने व्यक्त की अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्तियां

मंगलभावना समारोह के दूसरे दिन चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-छापर के अध्यक्ष श्री माणकचंद नाहटा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष व स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विजयसिंह सेठिया, मंत्री श्री बंशीलाल बोथरा, श्री लक्ष्मीपत नाहटा, स्वागताध्यक्ष श्री रतनलाल बैद, तेयुप मंत्री श्री दिलीप मालू, आवास संयोजक श्री निर्मल दुधोड़िया, किशोर मण्डल संयोजक श्री प्रथम नाहटा, प्रचार-प्रसार मंत्री श्रीमती शांति दुधोड़िया, श्री बजरंगलाल डोसी, कोषाध्यक्ष श्री हुलासचन्द चोरड़िया, श्री जीवन मालू, श्री वीरेन्द्र सुराणा, सुश्री भाविका दुधोड़िया, श्री विनोद नाहटा, श्री विनोद भंसाली, श्री बाबूलाल सारडा, श्री सूरजमल नाहटा, यातायात व्यवस्था प्रभारी श्री राकेश दुधोड़िया, श्रीमती कुसुम बैद, श्री चमन दुधोड़िया व सुश्री प्रीति नाहटा ने अपनी भावुक अभिव्यक्ति दी। अणुव्रत बाल भारती विद्यालय के विद्यार्थियों, तेरापंथ महिला मण्डल-छापर, तेरापंथ कन्या मण्डल-छापर, गुवाहाटी से जुड़ी महिलाओं, व श्री मनोज नाहटा ने गीत के माध्यम से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

बायतू में मर्यादा महोत्सव के लिए सौंपा जैन-ध्वज

इस कार्यक्रम में ध्वज-हस्तांतरण का भी उपक्रम रहा। इस संदर्भ में छापर चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री माणकचंद नाहटा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। बायतू तेरापंथ समाज द्वारा गीत का संगान किया। तदुपरान्त छापर व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों द्वारा बायतू मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों को जैन ध्वज सौंपा। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने सभी को मंगलपाठ सुनाते हुए मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।

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Author: kalamkala

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