सहकारी समिति कार्यालय पर ताला जड़ कर किया घेराव व विरोध-प्रदर्शन,
सदस्यों के बवाल के कारण बिगड़ी व्यवस्था के चलते समिति के चुनाव स्थगित हुए
लाडनूं। कृषक लाडनूं क्रय विक्रय सहकारी समिति के करीब आठ साल के अंतराल से हो रहे चुनाव को विवादों के चलते आखिर टाल दिया गया है। गुरुवार को निर्वाचन प्रक्रिया के तहत नामांकन दाखिल किए जाने थे, लेकिन करीब 200 से अधिक सदस्यों व अन्य लोगों ने सहकारी समिति कार्यालय का घेराव कर लिया और समिति कार्यालय पर ताले लगा दिए। भारी विरोध प्रदर्शन और मौके पर हो रहे हंगामे को देखते हुए उपखंड प्रशासन से तहसीलदार डा. सुरेन्द्र भास्कर और पुलिस प्रशासन से पुलिस उप अधीक्षक गोमाराम, थानाधिकारी सुरेन्द्र सिंह राव मौके पर पहुंच गए। काफी जद्दोजहद के बाद निर्वाचन अधिकारी राजीव काजोत ने एक आदेश जारी करके स्थिति को देखते हुए चुनावों को स्थगित कर दिया और इस आदेश की प्रति समिति के कार्यालय पर सार्वजनिक रूप से नोटिस चस्पा कर दी गई। इस अवसर पर मांगीलाल खोखर निम्बी जोधां, पीथाराम गंडास रींगण, भंवर लाल चोयल ढींगसरी, पन्नाराम रताऊ, सरंपच संघ के अध्यक्ष बेगाराम पूनियां, मोतीराम थालोड़ धोलिया, पन्नाराम भामू रोडू, प्रेमाराम रैवाड़, नीरज ध्यावा, राजेन्द्र मेघवाल भिडासरी आदि मौके पर मौजूद रहे।
यह बताया गया है आदेश में
समिति के चुनाव अधिकारी राजीव काजोत ने मुख्य राज्य सहकारी निर्वाचन अधिकारी जयपुर के निर्देशानुसार इस समिति के संचालक मंडल के सदस्यों एवं पदाधिकारियों के निर्वाचन हेतु निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 9 फरवरी को निर्देशन पत्र भरवाए जाकर जमा किए जाने के लिए समिति कार्यालय पर उपस्थित होने पर उन्होंने पाया कि समिति कार्यालय पर कतिपय लोगों द्वारा ताला लगा दिया गया है और वहां पर 200 से 250 ग्रामीण एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस-प्रशासन की समझाईश के उपरान्त भी ग्रामीणों द्वारा ताला नहीं खोला जाने के कारण निर्धारित समय पर निर्वाचन प्रक्रिया आरंभ नहीं होने से निर्वाचन प्रक्रिया आगे जारी रखा जाना संभव नही रहा। ऐसी परिस्थिति में निर्वाचन प्रक्रिया जारी रखने पर कानून व्यवस्था भंग होने की पूर्ण संभावना को ध्यान में रखते हुए चुनावों को स्थगित कर दिया गया।
सबसे पहले कलम कला ने खोला घपला
इस सहकारी समिति में कुल सदस्यों की संख्या 310 है, जिनकी सूची 31 जनवरी को चस्पा की गई थी, लेकिन 7 फरवरी को चस्पा सूची में मात्र 36 मतदाताओं के नाम ही अंकित पाए गए, जबकि अन्य 210 सदस्यों ने 31 जनवरी से पूर्व अपना बढा हुआ शुल्क सहित पूरा सदस्यता शुल्क जमा करवा दिया था। इसे लेकर सदस्य किसानों में भारी असंतोष था। इसका समाचार कलम कला ने 8 फरवरी को ही प्रकाशित कर दिया था। कलम कला की खबर के प्रकाशन के बाद लगता है की सदस्यों में जाग्रति ओ चेतना आ गयी
इनका कहना है
कृषक लाडनूं क्रय विक्रय सहकारी समिति के चुनाव में धांधली बरती जा रही थी। 90 प्रतिशत सदस्यों को अपने मताधिकार से वंचित रखा जाना सरासर गलत है। सभी सदस्यों को चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए। अब समिति के चुनाव तभी होेंगे, जब सभी सदस्यों को उनका हक मिलेगा।
– राजूराम बिड़ियासर, सदस्य, रताऊ एवं रामूराम सांख, किसान नेता रताऊ।
खुलेआम चुनाव को बाधित किया गया। सरकारी अधिकारी के काम में दखल डाली गई। चुनाव अधिकारी के साथ गाली-गलौज भी किया गया। पुलिस से मांगी गई इमदाद नहीं दी गई। अधिकारी गण कार्यालयों में नहीं मिले। सहकारी समिति के कार्यालय से लोगों को बाहर निकाल कर ताला लगा दिया गया। पुलिस दो घंटे बाद तब पहुंची, जब चुनाव स्थगित होना तय हो गए। सुबह 9 बजे से थे और 11 बजे तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा।यहां आने पर सीआई संे खुद लोगों ने कहा कि उन्होंने ताला लगाया है। इसके बावजूद अभी तक ताला लगाने वाले किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहंी की गई। यह सब विधायक के इशारे पर किया गया। कानून-व्यवस्था कहीं नजर नहीं आई। नियमानुसार चुनाव प्रक्रिया राजकीय कार्य था, जिसमें अवरोध पैदा किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई करने के बजाए अधिकारी मौन रहे। – जगन्नाथ बुरड़क, अध्यक्ष, कृषक लाडनूं क्रय विक्रय सहकारी समिति, लाडनूं।