लाडनूं के महत्वपूर्ण गांवों आसोटा, खानपुर व भियाणी अब रहेंगे सुजानगढ़ नगर परिषद के अधीन, हाईकोर्ट का निर्णय, समय पर चुनौती नहीं देने की गलती के कारण लाडनूं ने खोए अपने क्षेत्र के गांव

SHARE:

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

लाडनूं के महत्वपूर्ण गांवों आसोटा, खानपुर व भियाणी अब रहेंगे सुजानगढ़ नगर परिषद के अधीन, हाईकोर्ट का निर्णय,

समय पर चुनौती नहीं देने की गलती के कारण लाडनूं ने खोए अपने क्षेत्र के गांव

लाडनूं (kalamkala.in)। राजस्थान हाईकोर्ट ने सुजानगढ़ म्यूनिसिपल काउंसिल द्वारा आसोटा ग्राम पंचायत को अपने मास्टर प्लान में शामिल करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस कुलदीप माथुर के कोर्ट ने ग्राम पंचायत आसोटा के प्रशासक हरदयाल रुलानिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुजानगढ़ मास्टर प्लान- 2036 में आसोटा गांव को शामिल करना पूरी तरह से वैध है और इससे ग्राम पंचायत के कानूनी अधिकारों का हनन नहीं होता। इसमें याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 25 जून 2021 और 24 नवंबर 2021 की अधिसूचनाओं के जरिए आसोटा, खानपुर और भियाणी गांवों को सुजानगढ़ मास्टर प्लान में शामिल करना अवैध है। ग्राम पंचायत का कहना था कि इससे उनकी स्वायत्तता का हनन हो रहा है और भूमि रूपांतरण की अनुमति देने के अधिकार छिन रहे हैं।

भूमि रूपांतरण पर रोक, ग्राम पंचायत के अधिकारों का हनन

याचिकाकर्ता ने बताया कि 6 फरवरी 2025 के पत्र के जरिए म्युनिसिपल काउंसिल सुजानगढ़ के कमिश्नर ने तहसीलदार लाडनूं को निर्देश दिया था कि कृषि भूमि को गैर-कृषि में बदलने की कोई कार्यवाही न करें। इसे लेकर ग्राम पंचायत ने आपत्ति जताई थी कि 8 मार्च 2022 के पत्र में उन्हें आश्वासन दिया गया था कि मास्टर प्लान में शामिल होने के बाद भी ग्राम पंचायत के सभी प्रशासनिक अधिकार बने रहेंगे। ग्राम पंचायत के वकील संजय नाहर और हिमांशु रंजन सिंह भाटी ने दलील दी कि राज्य सरकार के कार्य एकतरफा, मनमाने और पंचायती राज अधिनियम 1994 तथा पंचायती राज नियम 1996 के विपरीत हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ ग्राम पंचायत को आश्वासन दिया गया, दूसरी तरफ उनके अधिकार छीने जा रहे हैं।

सरकार की ओर से बताया, कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ

राज्य सरकार के वकील मोनल चुग ने अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार की ओर से कोर्ट में बताया कि पूरी प्रक्रिया कानून के अनुसार की गई है। उन्होंने बताया कि 10 जनवरी 2017 की अधिसूचना के तहत राजस्थान अर्बन इम्प्रूवमेंट एक्ट 1959 की धारा 3(1) के प्रावधानों के अनुसार सुजानगढ़ के शहरी क्षेत्र में प्रस्तावित राजस्व गांवों का सर्वे कराने और 2036 तक का मास्टर प्लान तैयार करने के लिए अतिरिक्त मुख्य नगर योजनाकार की नियुक्ति की गई थी।26 जून 2019 की अधिसूचना के जरिए आसोटा और भियानी गांवों को भी सुजानगढ़ के शहरी क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया। इसके बाद 25 जून 2021 को राजस्थान अर्बन इम्प्रूवमेंट एक्ट 1959 की धारा 5(1) और राजस्थान अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (जनरल) नियम 1962 के नियम 3 के अनुसार आपत्तियां आमंत्रित की गईं।

पहले अधिसूचना को चुनौती देनी थी, पर नहीं दी गई

जस्टिस कुलदीप माथुर ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ग्राम पंचायत ने 24 सितंबर 2021 की अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है, जिसके जरिए ‘सुजानगढ़ मास्टर प्लान 2036’ को अधिसूचित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि इस अधिसूचना की प्रति भी रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मास्टर प्लान तैयार करने से पहले ग्राम पंचायत की आपत्तियों पर विचार किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन मामलों में संबंधित ग्राम पंचायत से परामर्श पर्याप्त है और नीतिगत निर्णय लेने के लिए पंचायत की सहमति जरूरी शर्त नहीं है।

शहरी क्षेत्र घोषित होने परअब सभी काम म्युनिसिपल कौंसिल के अधीन रहेंगे

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि राजस्थान अर्बन इम्प्रूवमेंट एक्ट 1959 की धारा 2 (1) (x) के अर्थ में जब कोई क्षेत्र ‘शहरी क्षेत्र’ घोषित हो जाता है, तो कृषि भूमि को गैर-कृषि में बदलने की अनुमति देने का अधिकार म्युनिसिपल काउंसिल/यूआईटी/विकास प्राधिकरण के पास होता है। कोर्ट ने कहा कि म्यूनिसिपल काउंसिल/यूआईटी/विकास प्राधिकरण के पास भविष्य के विकास और शहरी क्षेत्र के विस्तार की योजना बनाने का अनुभव और विशेषज्ञता है। इससे शहरी क्षेत्र के निवासियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 6 फरवरी 2025 का पत्र 8 मार्च 2022 के पत्र और 18 मार्च 2025 के सर्कुलर के विपरीत नहीं है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मास्टर प्लान में राजस्व गांवों को शामिल करने के परिणामस्वरूप शहरी क्षेत्रों से संबंधित योजना और विकास का तकनीकी कार्य म्युनिसिपल काउंसिल द्वारा किया जाएगा। भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 90-ए के अनुसार भूमि रूपांतरण की सभी कार्यवाही म्यूनिसिपल काउंसिल/यूआईटी/विकास प्राधिकरण द्वारा की जाएगी। इस तरह न्यायालय ने ग्राम पंचायत आसोटा की रिट याचिका और स्टे पिटीशन दोनों को खारिज कर दिया।

kalamkala
Author: kalamkala

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सबसे ज्यादा पड़ गई

रेलवे की मनमानी और आमजन को परेशानी से उपजा जन विरोध, लाडनूं में तेली रोड के फाटक तिराहे पर रेल्वे द्वारा बनवाई जा रही बाउंड्री वॉल को लेकर लोगों ने रोष जताया, प्रशासन ने आश्वासन पर हुआ मामला शांत