सात्विक भोजन से मन शुद्ध बनता है, मन को परमात्मा से जोड़ो- संतश्री अमृतराम महाराज,
लाडनूं के रामस्नेही सम्प्रदाय के रामद्वारा सत्संग भवन में चातुर्मास कालीन भक्ति सत्संग में व्याख्यान
लाडनूं (kalamkala.in)। रामद्वारा सत्संग भवन लाडनूं में चातुर्मास कालीन भक्ति सत्संग में रामस्नेही संत अमृतराम महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म शास्त्रों में भोजन के तीन भेद बताए हैं, सात्विक राजसी और तामसी। सात्विक और शाकाहारी भोजन करने से व्यक्ति की दीर्घायु होती है। भारतीय दर्शन तो यह बताता ही है, किंतु विज्ञान के शोध में भी यही सत्य निकल कर आया है कि मांसाहारी भोजन करने वालों की बजाय शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों की आयु लम्बी हुई है। सात्विक भोजन करने से शरीर में बल बढ़ता है और परिवार में प्रेम भी बढ़ता है।उन्होंने कहा कि सर्प, छिपकली, सिंह, मगरमच्छ जैसे जीवों के पास जाने पर भय लगता है, क्योंकि ये सारे जीव अभक्ष्य का भक्षण करते हैं, जबकि गाय, भैंस, बकरी, हाथी आदि शाकाहारी भोजन करते हैं। इनसे किसी भी व्यक्ति को भय नहीं लगता।व्यक्ति का आहार वाणी-व्यवहार शुद्ध न होने से करोड़ों लोग शारीरिक और मानसिक रोगों से पीड़ित है। फास्ट फूड तो आज के युग का परमाणु बम बन गया है, मनुष्य को यदि अपने मन को शांत-शुद्ध रखना चाहता है तो उसे अपनी जीवन शैली को सुधारना होगा। संत श्री अमृताराम ने मन को परमात्मा से जोड़ने के लिए की आवश्यकता बताई और कहा कि अग्नि में कोयला का रंग लाल होता है, अग्नि से अलग करने पर वह काला हो जाता है। अब उसे यदि साबुन से या दूध से भी धोलो तो भी वह लाल नहीं होगा। कोयला लाल तभी होगा, जब वह अग्नि में रहेगा। ऐसे ही मन भी परमात्मा से अलग होकर छल-कपट से काला हो गया है। मन रुपी कोयले को पुनः लाल होने के लिए परमात्मा से जुड़ना जुडना होगा। उन्होंने कहा कि सुखी के सुख को देखकर दुःखी होने से मन अशुद्ध हो जाता है। सुखी के सुख को देख कर प्रसन्न होने से बस शांत रहता है। रामद्वारा सत्संग भवन में कथा श्रवण के लिए प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालु महिला पुरुष पहुंच रहे हैं और ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।







