दुनिया में आदमी तो होते हैं, मगर इंसान बनना जरूरी- मौलाना जियाउद्दीन नूरी,
गरीब वही है, जो अमीर होकर भी दान नहीं करें- अरबाब आलम बाड़मेरी
रूण/मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। दुनिया में आदमी तो सब होते हैं मगर इंसानों की कमी होती है हमें आदमी के साथ-साथ इंसान बनना भी जरूरी है, हमें प्रत्येक इंसान के दुख दर्द में साथ निभाना चाहिए तभी आदमी में इंसानियत नजर आती है, यह विचार निकटवर्ती गांव भटनोखा में गौसे आजम की याद में मंगलवार रात्रि में आयोजित जलसे में संखवास के मौलाना जियाउद्दीन नूरी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हर समाज में बुराइयां होती है विशेषकर फिजूलखर्ची को रोकना होगा, मगर इन बुराइयों व सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मौजीज जिम्मेवार लोगों को आगे आना चाहिए, तभी यह कार्य तभी पूरा होगा। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर विशेषकर महिला शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए तभी बुराइयां मिटेगी।
निगाहें वली में वो तासीर देखी, बदलते हुए हजारों की तकदीर देखी
इस अवसर पर मौलाना अरबाब आलम बाड़मेरी ने कहा कि गोसे आजम का मतलब होता है बड़ी मदद करने वाला। अगर हम सच्चे दिल से किसी की मदद करते हैं तो गोसे आजम हमारी भी मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि निगाहें वली में वो तासीर देखी बदलते हुए हजारों की तकदीर देखी। इसीलिए इंसान को समय-समय पर तन मन और धन से मदद करते रहना चाहिए उन्होंने आगे कहा कि गरीब वही है जो अमीर होकर भी धार्मिक कार्यों में दान नहीं देता। उन्होंने कहा कि इंसान को अपनी आमदनी के अनुसार दान देते रहना चाहिए, चाहे वह किसान हो या व्यापारी उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन पानी की जरूरत होती है, उसी प्रकार जिंदगी को सुधारने के लिए नमाज, रोजा व जकात जरूरी है और साथ में पैसों को पवित्र करने के लिए दान देना जरूरी है।
मोबाईल बना सारी बुराइयों की जड़
इस मौके पर भटनोखा के पेश इमाम मौलाना अब्दुल सुभान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बच्चों को मोबाइल से दूर रखने का अनुरोध किया और बताया सारी बुराइयों की जड़ मोबाइल ही होता है। इस मौके पर नातख्वां नौशाद आलम और, मकराना के मोहम्मद मुस्लिम, संखवास के मोहम्मद अयूब ने गौस पाक की शान में एक से बढ़कर एक नातें सुनाकर माहौल को नूरानी बना दिया। इस मौके पर मजीदअली, मोहम्मद रमजान, इसहाक, मोहम्मद अजीज, मोहम्मद हनीफ, शमसुद्दीन, इवनस अली, असलमअली, जावेद सहित काफी संख्या में ढाणी वासी उपस्थित थे।
