नैतिक मूल्यों व संस्कृति को बाल साहित्य में सहेजें- प्रहलाद सिंह झोरड़ा, राजस्थानी युवा गीतकार प्रहलाद सिंह झोरड़ा को साहित्य अकादमी द्वारा राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार मिला

SHARE:

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

नैतिक मूल्यों व संस्कृति को बाल साहित्य में सहेजें- प्रहलाद सिंह झोरड़ा,

राजस्थानी युवा गीतकार प्रहलाद सिंह झोरड़ा को साहित्य अकादमी द्वारा राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार मिला

डेह/ लाडनूं (kalamkala.in)। राजस्थानी के युवा गीतकार प्रह्लाद सिंह झोरड़ा को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उपक्रम साहित्य अकादमी नई दिल्ली की ओर से वर्ष 2024 के ’राजस्थानी बालसाहित्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित भव्य समारोह में उन्हें यह पुरस्कार उनकी काव्यकृति ’म्हारी ढाणी’ के लिए दिया गया। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने उन्हें ताम्रफलक एवं 50 हजार रूपए राशि का चैक पुरस्कार स्वरूप भेंट किया।

अपनी स्वर्णिम संस्कृति को भूल कर दिशाविहीन नहीं बनें

इस ’साहित्यकार सम्मिलन’ समारोह में पुरस्कार के बाद प्रहलाद सिंह झोरड़ा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बाल साहित्य एवं उसकी रचना प्रक्रिया के साथ उसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला तथा बालसाहित्य की महत्ता पर बोलते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और समाज को दिशा देने का काम करता है, इसलिए हमें अपना दायित्व बखूबी निभाते हुए बच्चों रूपी कच्ची मिट्टी को वांछित आकार देने में अपना योगदान देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि विडम्बना है कि आज हम आधुनिकता की भागदौड़ भरी जिंदगी में अपना उज्ज्वल इतिहास, स्वर्णिम संस्कृति, संस्कार, रीति-रिवाज, परिवेश, भाषा एवं नैतिक मूल्यों को भूलकर दिशाविहीन होते जा रहे है। इसका दुष्परिणाम हमारे बाल वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। इसलिए हमें ऐसे बाल साहित्य सृजन पर ध्यान केन्द्रित करना होगा, जिससे हम अपनी संस्कृति व नैतिक मूल्यों को सहेजते हुए बाल वर्ग को संस्कारित कर सकें।

राजस्थानी की मान्यता की प्रबल पैरवी की

इस दौरान प्रह्लाद सिंह झोरड़ा ने केंद्रीय प्रतिनिधियों के समक्ष अपनी मातृभाषा राजस्थानी की मान्यता हेतु अपना पक्ष रखा तथा मान्यता की प्रबल पैरवी की। उन्होंने अपनी चिरपरिचित काव्यात्मक शैली में मधुर रागिनी छेड़ते हुए जब ’ताळो जड़ियो क्यूं म्हारी वाणी रै, म्हारी ओळख हेमांणी रे, पीढ्यां री अमर निसाणी रै’ गीत प्रस्तुत किया, तो पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। प्रह्लाद सिंह झोरड़ा को मिले इस सम्मान से नागौर जिले के साहित्यिक समाज में खुशी की लहर है। वरिष्ठ कवि लक्ष्मणदान कविया, पवन पहाड़िया, राजेश विद्रोही, जगदीश यायावर, डॉ. गजादान चारण, हेमंत उज्ज्वल, श्रीराम वैष्णव, सुखदेव सिंह गाडण, सत्यपाल सांदू, विशनसिंह कविया, सांवल दान कविया, मेहराम धोलिया, रामरतन लटियाल, फत्तूराम छाबा, सत्येन्द्र झोरड़ा ने हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं दीं हैं।

kalamkala
Author: kalamkala

Leave a Comment

सबसे ज्यादा पड़ गई

मंगलपुरा ग्राम पंचायत हुई नगर पालिका लाडनूं सीमा क्षेत्र में शामिल, राज्य सरकार ने जारी की अधिसूचना, अब मंगलपुरा, मालासी, खिन्दास, नाटास, गोरेड़ी, चक गोरेड़ी का सम्पूर्ण क्षेत्र हुआ नगर पालिका के अधीन

नेम प्रकाशन के मायड़भाषा पुरस्कार 2025 की घोषणा- राजस्थानी भाषा के 30 साहित्यकार होंगे सम्मानित, ‘माणक’ पत्रिका के सम्पादक पदम मेहता को मिलेगा 1 लाख का सर्वोच्च साहित्य सम्मान, रामस्वरूप किसान को शिखर सम्मान, 28 कलमकारों में लाडनूं के गोकुलदान खिड़िया भी होंगे सम्मानित

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े लाडनूं में 20 मार्च को, जैविभा विश्वविद्यालय के 35वें स्थापना दिवस समारोह में होंगे शरीक, नवीनीकृत कुलपति-चैम्बर और सेमिनार हाॅल का उद्घाटन और चिकित्सालय का करेंगे शिलान्यास

लाडनूं के प्रख्यात हास्य कवि केशरदेव के खिलाफ खड़े हुए सांसद हनुमान बेनिवाल और विधायक मुकेश भाकर, हजारों जाट भी उतरे विरोध में, केशरदेव के एक बयान के वायरल होने पर हुआ बखेड़ा, उनका बयान था कि ‘गधों का मेला लगता है’, सांसद बेनीवाल और कांग्रेस विधायक भाकर ने की केशरदेव को गिरफ्तार करने की मांग

Advertisements
Advertisements
Advertisements
21:32