भगवान महावीर के सिद्धांतों को लेकर विद्वानों की परिचर्चा एवं पत्रवाचन कार्यक्रम आयोजित

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भगवान महावीर के सिद्धांतों को लेकर विद्वानों की परिचर्चा एवं पत्रवाचन कार्यक्रम आयोजित

लाडनूं (kalamkala.in)। भगवान महावीर की 2623वीं जन्म-जयंती पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान के जैन धर्म एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में भगवान महावीर से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर शोध-पत्रों का वाचन किया गया और दूसरे सत्र में विभिन्न विद्वानों द्वारा महावीर के सिद्धांतों को लेकर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
समारोह के अंतिम सत्र में प्रमुख विद्वानों प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा, प्रो. समणी कुसुम प्रज्ञा, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. जिनेन्द्र जैन व प्रो. बीएल जैन ने परिचर्चा में हिस्सा लिया। परिचर्चा में भगवान महावीर के सार्वभौमिक अवदान, ज्ञान और आचार का समन्वय, अनेकांत का स्वरूप और अनन्त संभावनाएं, आंतरिक शक्तियों को जीतना और महाविीर बनना, प्राणी मात्र से मैत्री भाव और पर्यावरणीय संरक्षण, शिक्षा में आध्यात्मिकता और अहिंसा का समावेश, अणुव्रतों और महाव्रतों की स्वीकार्यता,
जयंती समारोह का प्रथम सत्र विभागाध्यक्ष प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस सत्र की मुख्य अतिथि अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी थी और विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा एवं साहित्य केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. लक्ष्मीकांत व्यास थे। सत्र के प्रारम्भ में स्वागत वक्तव्य डा. रामदेव साहू ने प्रस्तुत किया। मंगलाचारण ईर्या जैन शास्त्री ने प्रस्तुत किया। इस सत्र में मीनाक्षी बाफना, कांता सोनी, मुमुक्षु अंजलि, मुमुक्षु चंदन, मीनाक्षी भंसाली, राखी शर्मा, कोमल जांगिड़, संगीता जानूं, कोमल स्वामी, अंकिता अचेरा, प्रिया शर्मा व पूनम सोनी ने अपने पत्र-वाचन में भगवान महावीर की दृष्टि में अणुव्रत, महावीर का जीवन दर्शन, अप्ररिग्रह सिद्धांत, आत्मवाद, सार्वभौमिक अवदान, व्यक्तित्व व कर्तृत्व, आत्मा की खोज, आहार विवेचन और महावीर की साधना विषयों पर विचार व्यक्त किए गए।

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Author: kalamkala

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