सप्त मातृकाओं वाले मांवलिया जी महाराज मंदिर में जागरण व मेला लगा
लाडनूं। क्षेत्र के एकमात्र सात मातृकाओं (देवियों) के मंदिर में शुक्रवार को जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया और शनिवार को यहां मेला लगाया गया। आधी पट्टी के गौशाला गोधाम के समीप बने इस मावलियां जी महाराज के नाम से प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर में ज्यादातर महिलाएं अपने बच्चों को बुराइयों और गलत नजर से बचाने के लिए धोक लगाती है। इस मंदिर में पूजा के बाद कभी वापस पीछे मुड़कर नहीं देखा जाता है। बच्चों के लिए यह मावलियाजी की पूजा सप्तषष्ठी पूजन कहलाती है। मंदिर में सात देवियों की मूर्तियां एक ही शिलापट्ट पर बनी हुई है, जिनमें माहेश्वरी, वैष्णवी, ब्रह्माणी, ऐन्द्री, कौमारी, वराही व चामुंडा या नारसिंम्ही शामिल हैं। इन सप्तमातृकाओं का पूजन ही सप्तषष्ठी पूजन है। शुंभ और निशुम्भ राक्षसों से लड़ते हुए देवी महाशक्ति की सहायता के लिए सभी देवों ने अपनी-अपनी सात शक्तियों को भेजा था, वे शक्तियां ही सप्तमातृकाएं हैं। इसमे ंमातृ शब्द पालनहारी व रक्षिका से हैं।
