घूमने के लिए पूरा विश्व है, लेकिन रहने के लिए कोई भूमि है तो वह भारत- मदनमोहन महाराज
भागवत कथा का आयोजन
मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। ‘मनुष्य धर्म को भूला नहीं है, भटका है। जीवन में भय नहीं भाव होना चाहिए। भागना जीवन नहीं है, भोगना जीवन है। जीव के लिए कर्म है और परमात्मा के लिए प्रेम है।’ तारकेश्वर महादेब मंदिर परिसर पर भट्टड़ परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा के पंचम दिवस मंगलवार को कथावाचक मदन मोहन महाराज ने अपने कथावाचन में बोलते हुए आगे कहा कि भगवान योगेश्वर भूमि का भार उतारने के लिए भक्तों के बीच अवतरित हुए। भूमि पर अवतरित होने के पश्चात उन्होंने सभी को जगाने का कार्य किया। किसी को रो के जगाया, किसी को नाच के जगाया, किसी को बांसुरी बजाकर जगाया, किसी को प्रेम से जगाया। महाराज ने कहा कि हम कोशिश करें कि जीव मात्र से हमारा प्रेम हो। आज इस दौरान सभी ने भगवान गोवेर्धन नाथ की पूजा की। पूतना वध, शकट वध सहित कृष्ण लीला से जुड़े कई प्रसंगों का मार्मिक चित्रण किया। महाराज श्री ने बताया कि कलयुग के प्रत्यक्ष देव भगवान गोवेर्धन नाथ स्वयं भगवान योगेश्वर ही है। 56 भोग लगाकर भट्टड़ परिवार ने गोवेर्धन की पूजा की।
कथा को जांबवंत गुफा, पीरखोह मन्दिर जम्मू कश्मीर के पीठाधीश्वर पीर रतननाथ जी महाराज ने भी सम्बोधित किया। बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए एवं महाराष्ट्र लातूर से, मुम्बई, जोधपुर, जयपुर से भक्तों का आगमन हुआ। सुमन भट्टड़ ने बताया कि सभी लोगों ने प्रसादी ली। विशिष्ठ अतिथि के रूप में लातूर से मराठावाड़ा नेता के संपादक रामेश्वर बद्दर, चंदू सेठ लड्डा का आगमन हुआ।
कथा स्थल पर आयोजक परिवार के साथ गोरधन सोनी जोधपुर, वासुदेव बंग सूरत, पंकज मालाणी मुंबई, मनीष माहेश्वरी जयपुर, हेमलता माहेश्वरी जयपुर, सुनिल गिलङा मकराना, आशिष गिलङा मकराना, प्रहलाद सिंह जयपुर, पुरुषोत्तम अटल नागौर, दामोदर मणिहार नागौर, मदन मोहन दाधीच डीडवाना, राजेश गिलङा मकराना, देवेश स्वामी मकराना, विश्व मंगल संस्था जयपुर के कृष्ण कांत रैला, सुरेन्द्र चौधरी, राजेश रावत, कैलाश खंडेलवाल, नविन खंडेलवाल, बनवारी लाल गुप्ता सहित हजारों स्थानीय श्रृद्धालु शामिल रहे।
