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गहरे पानी पैठ- 6 – क्या है लाडनूं आर्य समाज के चुनावों की असलियत? पर्दे के पीछे छिपी घिनौनी साजिश, इस दाल में बस काला ही काला, हिसाब-किताब में किस-किस की दाल गली? क्यों लालायित हैं आर्य समाज हथियाने को इतने सारे लोग? फर्जी सदस्यता, फर्जी बैठक, फर्जी चुनाव, फिर भी असली होने का मुखौटा लगा कर दे रहे धमक?

गहरे पानी पैठ- 6 –

क्या है लाडनूं आर्य समाज के चुनावों की असलियत? पर्दे के पीछे छिपी घिनौनी साजिश,

इस दाल में बस काला ही काला, हिसाब-किताब में किस-किस की दाल गली? क्यों लालायित हैं आर्य समाज हथियाने को इतने सारे लोग?

फर्जी सदस्यता, फर्जी बैठक, फर्जी चुनाव, फिर भी असली होने का मुखौटा लगा कर दे रहे धमक?

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं आर्य समाज की लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है, नित नई पेचिदगियां सामने आती जा रही है और मामला उलझता ही जा रहा है। आर्य समाज में जो लोग बैंक खाते से करीब 18 लाख रुपयों की निकासी के आरोप लगाते हैं, वे भी कोई दूध के धुले नहीं हैं। आर्य समाज के अध्यक्ष ओमदास यहां का पाई-पाई का हिसाब देने के लिए तैयार हैं, और पूरा लेखा-जोखा तैयार भी कर रखा है। लेकिन संस्थान के मंत्री पर भी हिसाब नहीं देने के आरोप लग रहे हैं। आर्य समाज मंदिर में जितनी भी दुकानें हैं, उन किराएदारों से हर माह किराया वसूल करने का काम मंत्री प्रेमप्रकाश द्वारा करना बताया गया है, जबकि यह जिम्मा कोषाध्यक्ष का होता है। बहुत बड़ा आरोप तो यह लगाया जा रहा है कि दुकानों के किराए के रूप में वसूली गई राशि और उसके बदले दी जाने वाली रसीदों के बारे में अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष को बरसों से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। इस राशि को आज तक बैंक खाते में भी जमा नहीं करवाया गया है। यह भी कोई मामूली बात नहीं है। आखिर यह कैसे पदाधिकारियों का समूह है, जो हिसाब नहीं देने के अभ्यस्त ही नहीं, इस परम्परा को बखूबी चलाते रहे और जब परस्पर खींचतान की नौबत आई तो सब राज की बात बाहर आई।

राजनीतिक लोगों का दखल भी हुआ शुरू

आर्य समाज की लड़ाई अब अंदर की बात नहीं रही। अब कई राजनीतिक लोग भी इस लड़ाई में घुसपैठ बना चुके, ऐसी जानकारी भी मिल रही है। यहां तक कि रजिस्ट्रार सोसायटी (एआर, कॉपरेटिव सोसायटी) नागौर तक भी अनेक राजनीतिक लोगों की सिफारिशें जाने लगीं। कुछ राजनैतिक लोग तो प्रतिदिन आर्य समाज की गतिविधियों की जानकारी ले रहे हैं। वे लोग कब क्या मोड़ लेते हैं, जल्दी ही सामने आने वाला है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि अब इस लड़ाई का अंत आर्य समाज को ताले लगवा कर और कुर्क करवा कर किया जाएगा। कुछ लोगों ने इसकी भी तैयारी कर रखी है।

अवैध सदस्यों की अवैध बैठक और अवैध चुनाव

आर्य समाज के फर्जी सदस्यों को बनाने और उन फर्जी लोगों के बूते पर बताए जा रहे तथाकथित पदाधिकारियों के चुनावों को कत्तई सही नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन जोर-जबरदस्ती एक वानप्रस्थी को दबाया जा रहा है। उन पर हावी होने की कोशिशें चल रही हैं। फर्जी सदस्यों की आर्य समाज में अवैध घुसपैठ बर्दाश्त से बाहर है, लेकिन जो लोग शांति भंग करने और कानून व्यवस्था को विध्वंस करने पर तुले हों, वे कुछ भी कर सकते हैं। तथाकथित चुनाव के लिए जिस बैठक को आहूत किया गया था, उसे अध्यक्ष ओम मुनि उर्फ ओमदास ने निरस्त घोषित कर दिया था। उनके द्वारा सदस्यता को प्रमाणित करने की मांग और फर्जी सदस्यों का निष्कासन चुनाव पूर्व किए जाने की मांग का कोई निस्तारण नहीं किया गया। इस प्रकार जोर-जबरन किए गए एकतरफा फर्जी चुनाव को सही साबित करने और आर्य समाज संस्थान को हथियाने के प्रयासों की दादागिरी अब जगजाहिर हो चुकी है।

आर्य समाज की सम्पत्ति खुर्द-बुर्द करने की साजिश

आर्य समाज के नियमों-कायदों और सार्वदेशिक स्तर पर कायम मर्यादाओं को चीर-चीर करने वाले लोगों ने सिवाय बदनामी के आर्य समाज को कुछ नहीं दिया है। यह आर्य समाज सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली और आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान जयपुर के अधीनस्थ है और इसकी भूमि का स्वामित्व भी आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान का रहा है। इस आर्य समाज लाडनूं का रजिस्ट्रेशन तक आर्य प्रतिनिधि सभा के पंजीयन के अन्तर्गत आता है। इसके बावजूद अलग से संस्थान बनाने और उसका पंजीयन करवाने और विधान-नियमावली से आर्य प्रतिनिधि सभा को पूरी तरह से गायब करने तथा आर्य प्रतिनिधि सभा की सम्पदा, जो आर्य समाज लाडनूं के पास विगत करीब 100 सालों से धरोहर के रूप में रही है, उसे खुर्द-बुर्द करने की साजिश रचने के प्रयास खुलेआम करने वाले अब अपनी आगामी कूटरचना के लिए, व्यूह रचना के लिए तत्पर हैं। इन्हें रोका जाना अत्यंत आवश्यक है।

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