बिरसा मुण्डा जयन्ती पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाया, आदिवासियों के विकास पर चर्चा
लाडनूं। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयन्ती पर जैन विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शिक्षा विभाग में 26 नवंबर तक मनाए जा रहे ‘जनजातीय गौरव दिवस’ पर शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने आदिवासियों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें नमन किया और बताया कि देश में दलित, पिछड़ी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के विकास एवं उनको समृद्ध बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए लघु व कुटीर उद्योगों का प्रोतसाहन करके ही आर्थिक विकास किया जा सकता है। इन लोगों के लिए शिक्षा की आसानी से उपलब्धता, कृषि-नवाचारों के लिए प्रेरित करना, फसल प्रबंधन आदि की जागरूकता ही उनके विकास में सहायक हो सकती है। कार्यक्रम में को बी.एड. तीसरे सेमेस्टर की छात्रा मुस्कान बल्खी एवं बी.एसी-बी.एड. की छात्रा दिव्या पारीक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर प्रमोद ओला ने बताया कि बिरसा मुण्डा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और ‘धरती आबा’ के नाम से भी जाना जाता है। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
