आंगन से अंतरिक्ष तक लहरा रहा है बेटियों की प्रतिभा का परचम- प्रो. चारण,
लाडनूं के राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्रथम बैच का विदाई समारोह आयोजित, सौम्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। ‘बेटियों की शिक्षा संपूर्ण समाज की निधि बनती है। उच्च शिक्षा संपन्न बेटियां राष्ट्रहितार्थ चिंतन एवं सहयोग की नवीन इबारत लिखती हैं। लाडनूं के कन्या कॉलेज का यह संस्थापना बैच अपनी आने वाली बहिनों के लिए एक सुनहरा एवं सराहनीय पथ कायम करके जा रहा हैं।’ ये विचार राजकीय कन्या महाविद्यालय, लाडनूं में आयोजित प्रथम बैच के विदाई समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षाविद अब्दुल हमीद मोयल ने व्यक्त की। उन्होंने ऐसे शानदार एवं यादगार आयोजन के लिए एक अभिभावक एवं समाजसेवी के नाते महाविद्यालय परिवार का आभार ज्ञापित किया।
शिक्षित बेटियां होती है राष्ट्र निर्माण के लिए सशक्त
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. गजादान चारण ने कहा कि बालिका शिक्षा सर्वसमाज के लिए अतीव हितकर कार्य है। बेटियों का उच्च शिक्षित होना समाज एवं राष्ट्र निर्माण के स्वप्न को साकार करने की दिशा में सशक्त कदम होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की आधी जनशक्ति नारी है, जो अपनी ऊर्जा, संकल्प, वात्सल्य के द्वारा आँगन से लेकर अंतरिक्ष तक अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रही है। आज भारतवर्ष के प्रथम नागरिक के रूप में हिंद की बेटी विराजमान होकर हम सबका मान बढ़ा रही है। आने वाला कल हमारी इन सुशिक्षित बालिकाओं का है। डॉ. चारण ने विदाई लेने वाली छात्राओं को दृढ़ संकल्पित होकर जीवन में अग्रसर होने तथा चुनौतियों को स्वीकार करने हेतु तत्पर रहने का आह्वान किया।
बेटी जन्मदात्री ही नहीं चरित्र निर्मात्री भी
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं प्रारंभिक शिक्षा लाडनूं के मुख्य खंड शिक्षा अधिकारी रामचंद्र भाटी ने कहा कि जन्म के बाद बेटी का पालन-पोषण-शिक्षा, माता-पिता की जिम्मेदारी है। बेटियां विवाह के बाद नये रिश्तों को तन-मन से स्वीकारती है तथा अपनी जिम्मेदारियों को निभाती हैं। बेटी को शिक्षित करना, पूरे परिवार को शिक्षित करना है, बेटी बड़ी होकर पत्नी-माँ बन परिवार को संजोती है। वो जन्मदात्री ही नहीं चरित्र निर्मात्री भी है। विशिष्ट अतिथि एवं जौहरी स्कूल के प्रधानाचार्य सलीम खान कायमखानी ने कहा कि एक शिक्षित बेटी पूरे परिवार को नई दिशा, रोशनी व नया परिवेश देती है। संतान का उचित मार्गदर्शन करके वह अमृत एवं विष का अन्तर समझाती है, सदाचार का पाठ पढ़ाती है तथा जीवन को सुयश-संपन्न एवं सफल बनाती है। उन्होंने विदा होने वाली छात्राओं को अपनी कुलमर्यादा एवं राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति समर्पित रहने का आह्वान किया।
बेटी को जिन्दा, जीवंत एवं सशक्त रहना जरूरी
कार्यक्रम संयोजक एवं भाषाविद सुरेन्द्र कागट’ ने बेटियों की अलग-अलग भूमिकाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कौन नहीं जानता कि सृष्टि के चक्र को अविरल चलाने को माँ, राखी बांधने को बहिन, कहानी सुनाने को दादी, जिद पूरी करने को मौसी, खीर खिलाने को भाभी, जीवन साथी हेतु पत्नी इन जरूरतों को पूरा करने हेतु बेटी को जिन्दा, जीवंत एवं सशक्त रहना जरूरी है। कागट ने सभी अतिथियों एवं साथी अधिकारी-कर्मचारियों का आभार ज्ञापित करने साथ ही उन तमाम छात्राओं को साधुवाद दिया, जिन्होंने विदाई समारोह की संपूर्ण तैयारियों को अंजाम दिया। विदाई समारोह के दौरान स्नातक भाग प्रथम एवं द्वितीय की छात्राओं ने तृतीय भाग की अपनी बड़ी बहिनों से मिले सहयोग, स्नेह एवं मार्गदर्शन को अपने लिए उपादेय बताते हुए सदैव उनसे जुड़े रहने की बात कही, वहीं विदाई लेने वाली छात्राओं ने महाविद्यालय में गुजारे अपने तीन वर्षों की समयावधि के अनुभव साझा किए। महाविद्यालय प्रशासन के सहयोग से अपनी छोटी बहिनों द्वारा संयोजित शानदार विदाई समारोह का बयां करते हुए विदा होने वाली छात्राएं बहुत भावुक हुईं तथा कहा कि अपने नेहर की तरह ही यह महाविद्यालय परिवार सदैव हमारी स्मृति का हिस्सा रहेगा।
चंचल टाक मिस फेयरवेल बनी
समारोह के दौरान छात्राओं ने शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिनमें गायन, भाषण, नृत्य एवं बौद्धिक खेलों के आयोजन हुए। इस दौरान ‘मिस-फेसरवेल’ प्रतियोगिता भी रखी गई, जिसमें तृतीय वर्ष की छात्रा चंचल टाक ने विजेता एवं साहिबा बानो ने उपविजेता का खिताब प्राप्त किया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा सानिया पुत्री लियाकत अली खान बी.ए. भाग प्रथम एवं सानिया पुत्री हाकमअली खान बी.ए. भाग द्वितीय ने किया। कार्यक्रम में अतिथि व्याख्याता डॉ. सारिका चूंडावत, डॉ. विजय सिंह, डॉ. श्रवणराम, संदर्भ केंद्र प्रभारी भंवरलाल, सह-प्रभारी जगदीश प्रसाद, इमरान खान, लक्ष्मणदास स्वामी आदि उपस्थित रहे।
