लाडनूं में फर्जी चैसिस नम्बर से चल रही थी स्लीपर बस, परिवहन विभाग ने की जब्त, एक चेसिस नम्बर से चल रही थी दो बसें, उज्जैन (मध्यप्रदेश) में रजिस्टर्ड नम्बर से की जा रही थी संचालित, टेक्स बचाने का चक्कर या कोई बड़ा घोटाला संभावित

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लाडनूं में फर्जी चैसिस नम्बर से चल रही थी स्लीपर बस, परिवहन विभाग ने की जब्त,

एक चेसिस नम्बर से चल रही थी दो बसें, उज्जैन (मध्यप्रदेश) में रजिस्टर्ड नम्बर से की जा रही थी संचालित, टेक्स बचाने का चक्कर या कोई बड़ा घोटाला संभावित

लाडनूं (kalamkala.in)। यहां लम्बे समय से यातायात नियमों की अवहेलना तथा प्रशासन और सरकार की आंखों में धूल झोंकने वाले वाहनों और वाहन-चालकों व मालिकों के विरूद्ध सरकार की ओर से सख्त एक्शन लेने की आवश्यकता बनी हुई थी। इसी प्रकार की कार्रवाई करते हुए परिवहन विभाग ने एक ऐसी बस का चालान किा है, जो फर्जी चैसिस पर कसी जाकर अलग ही नम्बरों से संचालित की जा रही थी। परिवहन विभाग की आरटीओ सुमन भाटी के निर्देश पर डीटीओ सुप्रिया बिश्नोई ने लाडनूं में कार्रवाई करते हुए एक मध्यप्रदेश के नंबरों की इस स्लीपर गाड़ी को सीज किया है। बताया जा रहा है कि टेक्स बचाने के चक्कर में फर्जीवाड़ा करके एक ही चैसिस नम्बर से दो बसें चलाई जा रही थी। इन बसों के माॅडल में भी हेराफेरी करके बस संचालन की अवधि भी बढाई जा रही थी। सीज किए जाने के बाद की जाने वाली जांच में बड़ी गड़बड़ी सामने आने की संभावना बनी हुई है। इसके दस्तावेजों एवं अन्य समस्त प्रकार की जांच अब परिवहन विभाग द्वारा की जाएगी।

टेक्स बचाने के लिए फर्जीवाड़े की संभावना

यह पकड़ी गई स्लीपर बस मध्य प्रदेश के उज्जैन के आरटीओ से रजिस्टर्ड है। यह गाड़ी एमपी13 जेडएफ 7635 किसी सांवरमल नाम से रजिस्टर्ड है। परिवहन विभाग पिछले कई दिनों से इस गाड़ी की तलाश कर रहा था। डीडवाना परिवहन विभाग की डीटीओ सुप्रिया बिश्नोई ने बताया कि इस जांच में एक ही चेसिस के नम्बरों से दो गाड़ियों के नम्बरों का खुलासा हुआ है। मॉडल में भी हेरफेर किया जाकर इसके द्वारा राजस्थान सरकार को प्रतिमाह हजारों रूपयों का टेक्स का राजस्व नुकसान पहुंचाया जा रहा था। जानकारी मिली है कि यह गाड़ी पहले झुंझुनू में रजिस्टर्ड थी। उसके बाद टैक्स बचाने के चक्कर में इस गाड़ी का दूसरे स्टेट में रजिस्ट्रेशन करवाया गया।

टेक्स बचाने अथवा किसी बड़े घोटाले की आशंका

राजस्थान में इन गाड़ियों का टैक्स प्रतिमाह 35 हजार रुपए है, जबकि अन्य कई राज्यों में केवल 5 से 7 हजार रूपए हर माह टैक्स जमा करवाना पड़ता है। जिससे राजस्थान परिवहन विभाग को सीधा करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। राजस्थान को ऐसी बस से टैक्स की राजस्व वसूली तो नहीं हो पाती, लेकिन धुंआ और वायु प्रदूषण अवश्य मिलता है। तेज गति से दौड़ने वाली इन गाड़ियों के कारण आएदिन दुर्घटनाएं भी होती रहती है। सूत्रों के अनुसार अधिकतर बस संचालक राजस्थान के होने के बावजूद भी मध्य प्रदेश अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड जैसे राज्यों में किरायानामा लिखवा कर वहां से बसों का रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। फिर यह गाड़ियां राजस्थान के विभिन्न स्टेशनों से संचालित की जाती है। ऐसे में विभाग को सीधा राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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Author: kalamkala

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