किसी का यौन-शोषण, किसी को डायन बताकर उत्पीड़न, खेत में आग, भूमि पर कब्जा वगैरह 19 मामले सामने आए

SHARE:

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

किसी का यौन-शोषण, किसी को डायन बताकर उत्पीड़न, खेत में आग, भूमि पर कब्जा वगैरह 19 मामले सामने आए

राज्य स्तरीय लीगल क्लीनीक में दलित व पीडित महिलाओं ने रखी अपनी पीडा

जयपुर। दलित अधिकार केन्द्र कार्यालय जयपुर में राज्य स्तरीय लीगल क्लीनीक का आयोजन किया गया। राज्य स्तरीय लीगल क्लीनीक में दलित व पीडित महिलाओं ने अपनी व्यथा रखी। ग्राम देराठू पुलिस थाना रसीराबाद, जिला अजमेर से आये रघुवीर सिंह ने अपनी पीडा बताते हुये दबंग जाति के व्यक्ति द्वारा दलित की खेत में आग लगाने व विरोध करने पर मारपीट करने व गाली-गलौज करने की बात कही। दौसा जिले के सिकन्दरा थाना क्षेत्र के गांव टोरडा गांव से आई उगन्ती देवी ने बताया कि भूमि पर कब्जा करने की नियत से पीडित परिवार के साथ मारपीट की गई। करौली से आये दलित पीडित केदार जाटव के उपर प्राण घातक हमला कर भूमि पर कब्जा करने की बात कही इस मामले में अभी तक आरोपी गिरफ्तार नही हुआ ना ही पीडित को मुआजा नही मिला ना ही अभी चालान हुआ है, जिससे पीडित को न्याय मिलना मुश्किल है। अजमेर जिले के भगवानपुरा गांव से आये बहादुर बैरवा ने बताया कि बिदौरी के दौरान दबंग जाति के लोगों ने इसलिए प्राण घातक हमला किया कि दलित दूल्हा घोडी पर बैठा कर निकासी निकला रहे थे। इस प्रकरण में चालान कर दिया लेकिन जांच अधिकारी ने सभी आरोपियों को आरोपी नही बनाया मुख्य आरोपियों को बचा दिया।
अजमेर से आई दलित पीडिता को डायन बता कर मारपीट कर घर से निकालने के बारे में बताया। अजमेर जिले से आई पीडिता ने बताया कि शादी का झांसा देकर यौन शोषण किया। पीडितों ने पुलिस, प्रशासन से आने वाली समस्याओं को भी साझा किया।

सामने आई समस्याएं

1. डी.जी.पी. के विशेष आदेश के बाद भी आज भी पुलिस थाने में आसानी से पीडितों के मुकदमे दर्ज नही किये जाते।
2. थानाधिकारी/पीठासीन अधिकारी सही धाराओं में मुकदमा दर्ज नही करते।
3. जांच अधिकारी नियम 7-क तहत 60 दिन में एस.सी./एस.टी. प्रकरणों की जांच पूरी नही करते।
4. धारा 15-क, के तहत पीडितों व गवाहों को दिये गये सुरक्षा के अधिकारों की पालना नही की जा रही।
5. पीडितों के सी.आर.पी.सी के तहत 164 के तहत बयान समय पर दर्ज नहीं किए जा रहे।
6. घायल पीडितों की मेडिकल जांच समय पर नही की जाती।
7. नियम 12 (4) के तहत मिलने वाला आर्थिक मुआवजा समय पर नही दिया जाता, यहां तक की वर्ष 2018 के पीडितों को एक वर्ष बाद भी मुआवजा राशि नही दी गई।
8. थानाधिकारी मुआवजे के लिए पोर्टल पर एन्ट्री करने के लिए सेवा शुल्क (रिश्वत ) मांगते है, नही देने पर मामले को पेण्डिग में डाल देते है।
9. बलात्कार, हत्या, जैसे गम्भीर मामलों में राजीनामा करने के लिए पुलिस प्रशासन, जनप्रतिनिधि, समाज के प्रतिनिधि राजीनामा करने के लिए दबाव बनाते है।
10. हत्या जैसे मामलों को आत्महत्या का बता कर आरोपियों को बचाया जाता है।
11. दलित की भूमि पर दबंग जाति के लोगों ने कब्जा कर रखा है।

सरकार ओर पक्षकारों को दिए सुझाव

लीगल क्लीनीक में आये पीडितों के प्रकरणों को सुनकर केन्द्र के मुख्य कार्यकारी पी.एल. मीमरौठ व निदेशक सतीश कुमार एडवोकेट, सहायक निदेशक चन्दालाल बैरवा, राज्य समन्वयक दलित अधिकार केन्द्र जयपुर के हेमन्त मीमरौठ, एडवोकेट ने सुनवाई के बाद सरकार के समक्ष ये सुझाव प्रस्तुत किए हैं-
1. दबाव में आकर नाजीनामा नही करें।
2. किसी भी प्रकार की घटना होने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवायें, आरोपियों के नाम लिखंे, अनावश्यक रूप से बेगुनाह को नही फंसायंे।
3. समय पर मेडिकल जांच व 164 के बयान करने के लिए सम्बन्धि अधिकारी से मिलें।
4. जांच अधिकारी को जांच में मदद करंे, खाली कागजों पर हस्ताक्षर नही करें।
5. जांच के दौरान समस्त जांच की विडियोग्राफी हो रही है या नही, यह सुनिश्चित करें। यदि नही हो रही है, तो विडियोंगा्रफी की मांग करें।
6. घटना घटित होने पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, एडवोकेट, संस्था प्रतिनिधि से सम्पर्क के सहयोग की अपील करें।
7. संशोधित एस.सी./एस.टी. एक्ट की मुख्य-मुख्य जानकारी रखें।
8. आर्थिक मुआवजा के लिए थानाधिकारी को पूरी जानकारी व दस्तावेज उपलब्ध करवायें तथा पोर्टल पर एन्ट्री करवाना सुनिश्चित करें।
इन महिला जनसुनवाई के लिए आयोजित कार्रवाई में मंच का संचालन सहायक निदेशक, दलित अधिकार केन्द्र जयपुर चन्दा लाल बैरवा ने किया। दलित अधिकार केन्द्र के निदेशक सतीश कुमार एडवोकेट ने लीगल क्लीनीक के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। प्रकरणों की सुनवाई दलित अधिकार केन्द्र के मुख्यकार्यकारी पी.एल.मीमरौठ, दलित अधिकार केन्द्र के निदेशक श्री सतीश कुमार एडवोकेट, सहायक निदेशक चन्दालाल बैरवा एडवोकेट, राज्य समन्वयक हेमन्त मीमरौठ एडवोकेट के समक्ष पीडितों ने अपनी प्रकरणों को रखा। इस राज्यस्तरीय लीगल क्लीनीक में अलवर, दौसा, भरतपुर, करौली, जयपुर आदि जिलों से हत्या, बलात्कार, शादी का झांसा देकर यौन शोषण, भूमि पर अतिक्रमण आदि 19 गम्भीर प्रकरणों की सुनवाई की गई।

kalamkala
Author: kalamkala

Leave a Comment

सबसे ज्यादा पड़ गई

राज. धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने उकेरी लाडनूं-डीडवाना की ऐतिहासिक-पौराणिक पृष्ठभूमि, सेठ रंगनाथ बाँगड़ स्मृति अखिल राजस्थान अन्तरमहाविद्यालय हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित

Advertisements
Advertisements
Advertisements
02:29