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सभी राजनैतिक दलों की सहमति से लागू की जाए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- प्रो. दाधीच, लाडनूं मे पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम का शुभारम्भ

सभी राजनैतिक दलों की सहमति से लागू की जाए राष्ट्रीय शिक्षा नीति- प्रो. दाधीच,

लाडनूं मे पांच दिवसीय संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम का शुभारम्भ

लाडनूं। वर्द्धमान ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. नरेश दाधीच ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अच्छी है और दुनिया के शिक्षा क्षेत्र में जो चल रहा है, उसे यहां भी लागू करने की जरूरत है, लेकिन हमारा समाज बहुत धीमे चल रहा है और यहां समस्याएं भी बहुत हैं, इस पर सोचना आवश्यक है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित किया जाना चाहिए, कहीं ऐसा नहीं हो कि यह केवल किताबों में ही पढने के लिए रह जाए। उन्होंने देश की राजनैतिक व सामाजिक स्थिति का विवेचन करते हुए कहा कि भारत के राजनैतिक दलों में मानवीय दृष्टिकोण विकसित नहीं हो पाया है। विदेशों में राजनीति का आम आदमी पर कोई असर देखने को नहीं मिलता, लेकिन यहां तो राजनीति सामान्य व्यक्ति को भी प्रभावित करती है। यहां आवश्यक है कि कोई भी नीति लागू किए जाने से पूर्व उस पर समस्त राजनैतिक दलों की सहमति बने, अन्यथा समस्याएं खड़ी हो सकती है। वे यहां जैन विश्वभारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर विचार-विमर्श के लिए आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के शुभारम्भ समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनेक राष्ट्रव्यापी बाते हैं, जो सबको स्वीकार्य होनी चाहिए। जिस प्रकार भारतीय संविधान सबको मान्य है, उसी तरह से इस शिक्षा नीति की मूलभूत बातें पूरे देश में सर्वस्वीकार्य होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य व शिक्षा ये दो ऐसे विषय हैं, जिन पर कोई विवाद नहीं हो सकता। स्वास्थ्य व शिक्षा पर सबकी सहमति रहने से ही देश आगे बढेगा। इसके लिए सर्वदलों की सामृहिक बैठक बुलाई जाने के बाद सहमति पूर्वक इसे लागू करना चाहिए। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की भी सहमति इसमें आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा नीति में अनेक बातें ऐसी हैं, जो राज्यों द्वारा लागू की जानी है। सभी राज्यों की सिलेबस एक समान नहीं रखी जा सकती है। उन्होंने नीति का सेगमेंटेशन नहंी करके पूरे देश में एकसाथ लागू करने की आवश्यकता बताई। प्रो. दाधीच ने मूल्य आधारित शिक्षा नीति के बारे में बताया कि मूल्यों की शिक्षा स्कूलों का विषय हो सकता है, लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर तो उन मूल्यों का विश्लेषण व विवेचना होनी चाहिए। डिप्टी रजिस्ट्रार विनीत सुराणा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में प्रारम्भ में डा. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया। अंत में कुलसचिव प्रो. बीएल जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डा. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने किया। कार्यक्रम में सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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Author: kalamkala

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