लाडनूं नगर पालिका समस्या के हल में क्यों हो विफल?
पानी निकासी के लिए लगाए पम्प सेट के निकासी पाईप के फूटे होने से फिर समस्या बनी,
पार्षद सुमित्रा आर्य ने मौका देखा, सुधार करवाया, बताया कि बरसात थमने के बाद बनाया जाएगा बोरवैल
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लम्बा समय हो चला, लेकिन लाडनूं का बस स्टेंड का हाल किसी गैनाणी (गंदे पानी से भरा तालाब) जैसा बना हुआ है। इस समस्या को लेकर पिछले कई सालों से पार्षद सुमित्रा आर्य लगातार नगर पालिका और उपखण्ड प्रशासन को आगाह करती आ रही है। इस बरसात के प्रारम्भ में ही उन्होंने फिर सभी अधिकारियों को चेतावनी दी और समस्या के विकराल होते स्वरूप को चित्रित किया। ‘कलम कला’ ने इस मुद्दे को पूरा महत्व दिया। आखिर नगर पालिका ने वहां स्थाई रूप से एक पम्पसेट लगा दिया गया और एक सफाईकर्मी की ड्यूटी वहां लगा दी गई। कुछ दिन तो यह प्रयोग सफल रहा, लेकिन बाद में पम्प लगा रहा और बस स्टेंड की हालत बदतर होती चली गई। बुधवार को पार्षद सुमित्रा आर्य ने मौके पर जाकर व्यवस्थाओं में सुधार के लिए कोशिश की। आर्य ने बताया कि फूटे पाईप को बदल कर नया लगाया जा रहा है और बरसात थमने के बाद यहां बोरवैल बना दिया जाएगा।
शहर का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है यह बस स्टैंड
बस स्टेंड शहर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, केवल बसों के आवागमन और यात्रियों की नियमित आवाजाही के कारण ही नहीं, बल्कि लाडनूं के प्रमुख दर्शनीय स्थल संगमरमरी सौंदर्य से भरपूर धवल सुखदेव आश्रम आदिनाथ जैन मंदिर, प्राचीन वीरों, शहीदों के स्मारक ऐतिहासिक बीसथम्भा छत्रियों, क्षेत्र के सबसे प्राचीन नृसिंह भगवान का मंदिर रही खाखीजी की बगीची, 1857 की क्रांति के स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोए राहू कुआं और शिव मंदिर आदि से घिरा यह बस स्टेंड बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये सारे स्मारक अब गंदगी से घिरे हैं। श्रद्धालु महिला-पुरुष रोज मंदिर आते हैं दर्शनार्थ, लेकिन उन पर क्या बीतती है, इस बारे में नगरपालिका प्रशासन को कोई चिंता नहीं है।
किस-किस की मिलीभगत से बिगड़े हालात
प्रशासन ने नगर पालिका को गंदे पानी की निकासी के लिए खंदेड़ा दे रखा था, लेकिन यहां के समय-समय पर रहे अधिकारियों की मिलीभगत से खंदेड़ा को खुर्द-बुर्द करने की कवायदों के चलते मिट्टी से भर कर पाटा जा रहा है। फलस्वरूप सारा पानी बस स्टेंड पर एकत्र होकर समस्या बनता जा रहा है। पानी की निकासी तो बंद कर ही दी गई, साथ ही नगर पालिका ने मगरा बास के पानी की निकासी भी मोड़ कर नाला बनवा कर बस स्टेंड पर डाल दिया और घाव को नासूर में बदल डाला। नगर पालिका अब भी अपनी गलतियों में किसी भी तरह का कोई सुधार किए जाने के बजाय उन्हें बिगाड़ने में ही सहायक बनाने में जुटी है।
पुराने पाईप से छूट रहे फव्वारे, तेल घोटाले का संदेह
बस स्टेंड पर जल भराव की विकराल समस्या के हल के लिए लगाए गए पम्पसेट के हालात यह है कि पानी निकासी के लिए इसमें लगाए गए पाईप बरसों पुराने लाकर लगाए गए, जो क्षतिग्रस्त और लीकेज वाले हैं, इससे जिस नाले से पानी निकासी का सहारा लिया गया, उस तक पहुंचने से पहले ही पानी आम रास्ते में निकल कर फैल जाता है, पाईप से गंदे पानी के फव्वारे चल रहे हैं। पम्प पर लगाए गए कार्मिक को भी अन्यत्र लगा दिए जाने से पम्प भी बराबर नहीं चलता लोगों का आरोप है कि इस पम्प के नाम पर तेल के भारी बिल उठाए जा रहे हैं और काम होता ही नहीं।
बारिश के कारण रुका बोरवैल का काम, थमने पर हो जाएगा शुरू
इस समस्या के स्थाई हल के लिए यहां एक बोरवैल बनाने का सुझाव प्रशासन को पार्षद सुमित्रा आर्य ने दिया था। जिस पर नगर पालिका के अध्यक्ष रावत खां लाडवाण ने उसे स्वीकृत किया और लोगों को आश बंधी कि अब यह समस्या हल हो जाएगी। नगर पालिका ने इसका टेंडर करके वर्क आर्डर भी जारी कर दिया और उसी दिन रात के समय में बौरवेल की खुदाई की जानी थी, लेकिन रातभर आई बरसात ने सारा काम बिगाड़ दिया और पूरा बस स्टैंड फिर पानी से भर गया। इसके बाद नगर पालिका उस पानी को खाली करने और कीचड़ को हटा कर सफाई करने में नाकाम रही। अब बरसात में कुछ दिन का अंतराल आने पर ही ठेकेदार बोरवैल बनवा पाएगा।
फूटा पाईप बदलवाने की व्यवस्था की
इधर बस स्टेंड पर कीचड़ और गंदे पानी के भराव की समस्या को दूर करने के लिए पार्षद सुमित्रा आर्य ने मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और सफाई निरीक्षक गोपाल सांगेला को पानी की निकासी दुरुस्त करवाने और सफाई के लिए कहा। साथ ही निकासी पाईप के फूटा हुआ होने पर उन्होंने पालिकाध्यक्ष रावत खां को फोन किया और नया पाईप लगवाने की व्यवस्था करवाई। पाईप में लीकेज के कारण आश्रम के उतर का मुख्य रास्ता और वहां से तेली रोड की तरफ निकलने वाली गली में कीचड़ फैल गया था और गंदा पानी बह कर मार्ग अवरूद्ध हो गया था। समस्या के लिए पम्प लगा कर की गई इस वैकल्पिक समाधान की व्यवस्था में खामियां होने से उन्हें दूर किया जाना जरूरी था।