शांति शिक्षा, शिक्षा में मूल्यों का समावेश तथा हृदय परिवर्तन से संभव है संघर्षों का निराकरण,
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में हुआ युवा लेखिका डा. लिपि जैन की दो पुस्तकों का विमोचन
लाडनूं। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की सहायक आचार्या एवं युवा लेखिका डा. लिपि जैन की नवीनतम दो पुस्तकों ‘भारतीय लोकतंत्र और राजनीति’ और ‘कॉन्फ्लिक्ट रिसोल्युशन एंड पीस टेक्नोलॉजी’ का विमोचन आचार्यश्री महाश्रमण के मुम्बई प्रवास के दौरान उनके सान्निध्य में वहां विश्वविद्यालय परिवार एवं तेरापंथ समाज के बीच किया गया। आचार्यश्री महाश्रमण ने पुस्तकों का अवलोकन किया और उनकी सराहना की। इस अवसर पर पुस्तक रचयिता डा. लिपि जैन ने अपने सम्बोधन में बताया गया कि ‘भारतीय लोकतंत्र और राजनीति’ पुस्तक का उद्दीपन भारतीय समाज, सांस्कृतिक विविधता और लोकतन्त्र के अद्भुत सिद्धांतों पर हुआ है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास क्रम को स्पष्ट करते हुए भारतीय संस्कृति और विविधता को बढ़ावा देने वाले कदमों की चर्चा की गई है। लोकतंत्र की विकास यात्रा में लैंगिक समानता, शासन सत्ता में जन सहभागिता की वृद्धि, सतत् विकास की प्रक्रिया को बढ़ावा, स्वस्थ शासन व्यवस्था, नीतियों के प्रभावक तत्व; सकारात्मक विकास के आधार माने जा सकते हैं, इन्हें भी पुस्तक की विषय-वस्तु में शामिल किया गया है। इस पुस्तक के माध्यम से भारत की समृद्धि और लोकतंत्र के अनगिनत पहलुओं को जानने का अवसर मिलेगा जो इस देश को विश्व पटल पर अग्रणी बना रहा है।
अपनी दूसरी पुस्तक ‘कॉन्फ्लिक्ट रिसोल्युशन एंड पीस टेक्नोलॉजी’ के बारे में उन्होंने बताया कि तनाव और संघर्ष, आज के आधुनिक समाज की गंभीर समस्या है, जो समाज को विघटित कर रही है। इस पुस्तक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि कैसे हम संघर्षों का सामना करते हुए सामंजस्यपूर्ण और शांतिमय समाज की ओर क़दम बढ़ा सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में संघर्षों की उपादेयता तथा इससे जनित वैश्विक शांति के खतरों को भी दर्शाया गया है। संघर्ष निराकरण के लिए उद्भूत अनेक संधियां तथा संस्थाओं के साथ संघर्ष निराकरण की गांधी और जैन दृष्टि को भी बताने का प्रयास किया गया है। शांति शिक्षा, शिक्षा में मूल्यों का समावेश तथा हृदय परिवर्तन जैसे बिंदुओं के साथ अनेक शांतिदूतों को भी इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है। अणुव्रत आंदोलन के साथ विभिन्न राष्ट्रीय आंदोलनों को समाहित करते हुए प्रस्तुत पुस्तक शांति के विभिन्न आयामों को प्राप्त करने की दिशा में एक छोटा सा प्रयास है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़, रजिस्ट्रार प्रो. बीएल जैन, सहायक रजिस्ट्रार दीपाराम खोजा, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, उप निदेशक पंकज भटनागर, प्रगति चौरड़िया, डा. युवराज सिंह खंगारोत, डा. प्रद्युम्न सिंह शेखावत आदि उपस्थित रहे।
