कब ध्यान देंगे आंखें मूंद कर बैठे अफसर? लाडनूं क्षेत्र में अवैध खनन व परिवहन पर प्रशासन मौन क्यों, कहीं मिलीभगत तो नहीं? बेरोकटोक चल रहा है लाडनूं, निम्बी जोधां, दुजार, ओड़ींट में अवैध खनन, हो रहा है अवैध ट्रेक्टरों से ओवरलोड परिवहन

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कब ध्यान देंगे आंखें मूंद कर बैठे अफसर?

लाडनूं क्षेत्र में अवैध खनन व परिवहन पर प्रशासन मौन क्यों, कहीं मिलीभगत तो नहीं?

बेरोकटोक चल रहा है लाडनूं, निम्बी जोधां, दुजार, ओड़ींट में अवैध खनन, हो रहा है अवैध ट्रेक्टरों से ओवरलोड परिवहन

रणजीतराज बोहरा, पत्रकार। लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं शहर एवं समूचे ग्रामीण इलाकों में धड़ल्ले से बेरोकटोक अवैध खनन और उसके अवैध परिवहन का कार्य जारी है। राज्य सरकार के अवैध खनन रोकने को लेकर बराबर निर्देश दिए जा रहे हैं और जिला कलेक्टर द्वारा भी मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप लगातार बैठकें लेकर इस सम्बंध में सम्बंधित सभी अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पाबंद भी किया जाता है, लेकिन किसी का भी कोई असर यहां देखने को नहीं मिल रहा है। जिनके पास वैधानिक खनन पट्टा हैं, ऐसे पट्टाधारी भी धड़ल्ले से अवैध खनन कर रहे हैं। अपने माप से कई गुना आगे बढ कर खनन करते रहते हैं। इनकी सीमाओं का कोई अता-पता नहीं रहता है। सभी निर्धारित खानों की खनन-सीमाओं पर दीवार निर्मित होनी चाहिए। खानों के चारों और बाउंड्री नहीं होने का जहां ये लोग अनुचित लाभ उठा कर अवेध खनन करते हैं, वहीं इन खानों और खड्डों में मवेशियों एवं लोगों के गिरने से कोई बड़ा हादसा भी होना संभावित है। गौरतलब है कि आये दिन आवारा गौवंश खानों में गिरकर मौत के शिकार भी बन रहे हैं। लेकिन, यहां न तो प्रशासन का कोई ध्यान है और ना ही खनन धारीयो को किसी भी विभाग से अपने विरूद्ध कोई कार्रवाई का डर है। अवैध खनन के लिए यहां अवैध तरीके से विस्फोटक सामग्री से विस्फोट भी किया जाता है, जिससे आसपास की ढाणियों व गांवों के मकानों में दरारें तक आ रही है। आमजन में इससे भय व्याप्त है। इन हादसों से आखिकर कब तक डरता रहेगा आमजन।

हादसों को न्यौता दे रहे हैं अवैध परिवहन करने वाले ट्रेक्टर-ट्रोली

यहां प्रतिदिन राजमार्ग एवं मुख्य सड़कों से निकलने वाले ट्रेक्टर-ट्रोली, यातायात के सभी नियमों की अनदेखी करके आमजन की जान को जोखिम में डाल रहे हैं। इन पत्थरों को ढोने वाले ट्रेक्टरों पर कोई वाहन रजिस्ट्रेशन नम्बर तक नहीं होते और हेड लाईट व बेक लाईट तक क्षतिग्रस्त, टूटी-फूटी होती है। इनकी ट्रेाली भी अवैध होती है और उसके पीछे भी किसी तरह की कोई लाईट या इंडीकेटर नहीं होता है। मुंह अंधेरे औरा रात में भी गजरने के बावजूद इनके द्वारा पूरी लापरवाही बरती जाती है। इसके अलावा ये सभी ट्रेक्टर केवल कृषि कार्य के लिए परमिटेड होते हैं, लेकिन अवैध तरीके से खानों से अवैध खनन करके निकाले जाने वाले मेशनरी पत्थरों, बजरी, मुरड़, कंक्रीट, मिट्टी आदि ढोने का काम धड़ल्ले से कर रह हैं। और तो और, ये पत्थरों को ओवरलोड भरकर सड़कों से गुजरते हैं, जो खुलेआम सड़क हादसों को न्यौता देते हैं। इस तरह से भरी प्रत्येक ट्रेक्टर-ट्रोली में 150 क्विंटल से 180 क्विंटल पत्थर भरकर ये निम्बी जोधां, पांडोराई, दुजार, ओड़ींट आदि गांवों से डीडवाना और अन्य निकटतम शहरों की ओर परिवहन करके विक्रयार्थ ले जाया जाता है। प्रतिदिन लगभग 40 से 50 ट्रेक्टरों में लगी ट्रोलियों में ओवरलोड पत्थर भर कर अधिकांशतः डीडवाना ले जाया जाता है, जिसकी ओर कोई ध्यान तक नहीं देता, कार्रवाई तो दूर की बात है। ये लदे-फदे ट्रेक्टर सड़कों पर सरपट दौडते रहते हैं। इन पर पत्थरों को ट्रोली ऊंचाई से डबल से लेकर तीनगुना तक कर दी जाती है, जिससे पत्थरों के अचानक गिरने एवं ट्रेक्टर के उलटने का खतरा भी हरदम बना रहता है। और सही में तो अनेक बार पत्थरों के गिरने और ट्रेक्टर पलटने की घटनाएं भी हो चुकी है। इन ओवरलोड वाहनों से कभी भी कोई बड़ा हादसा होना संभव है।

परिवहन, पुलिस, माईनिंग एवं उपखंड प्रशासन तक लापरवाह

इन ओवरलोड ट्रेक्टर-ट्रोलियों को लेकर परिवहन विभाग और पुलिस विभाग सभी परे लापरवाह बने हुए हैं। हाईवे पर ट्रकों को रोक कर परिवहन विभाग के कार्मिक एवं पुलिसकर्मी तक अवैध वसली करते दिखाई दे जाते हैं, लेकिन इन ट्रेक्टर-ट्रोलियों द्वारा सरासर यातायात नियमों का उल्लंघन करने एवं लोगों की जान-माल के लिए खतरा बनने के बावजूद उन्हें अनदेखा किया जाता है। खनन विभाग के अधिकारियों को इस सब कारस्तानियों के बारे मे ंपूरा पता होने के बावजूद वे जानबूझ कर चुप्पी साधे रहते हैं। इससे प्रतीत होता है कि माईनिंग अधिकारियों-कर्मचारियों की इनके साथ खुली मिलीभगत है और उनकी शह पर ही यह सब अवैध खनन किया जा रहा है। सरकार को इन सांठगांठ के कारण करोड़ों के राजस्व को चूना लगाया जा रहा है और लगता है कि ये माईनिंग अफसर अपना घर भर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन भी इस ओर से आंखें मूंद कर बैठा है। पटवारी का भी दायित्व बनता है और उच्च अधिकारियों का भी कर्तव्य है कि इस ओर ध्यान दे और अवैध खनन और परिवहन की सार्थक रोकथाम अपने क्षेत्र में कायम करे, लेकिन लगता है कि सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। कहीं से भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

kalamkala
Author: kalamkala

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