हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं मूंडवा की बेटियां, पर बनी हुई है भवन मरम्मत और खेल मैदान विकास की जरूरत

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एक प्राचार्य की व्यथा-

हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं मूंडवा की बेटियां, पर बनी हुई है भवन मरम्मत और खेल मैदान विकास की जरूरत

मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। यहां के सेठ रामचंद्र रामनिवास सारडा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय मूंडवा के प्राचार्य ने कहा है कि विद्यालय में बेटियों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरा स्टॉफ दिन-रात एक करने में लगा है। यहा पर नियमित शारीरिक व्यायाम से विद्यालय की शुरुआत होती है और नियमित खेलकूद गतिविधियों का संचालन यहां की शारीरिक शिक्षक रजनी कसवां द्वारा अवकाश के दिन भी अभ्यास करवाया जाता है।

इस विद्यालय की दो बेटियों का चयन देश के श्रेष्ठ केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में हुआ है।

प्राचार्य भंवरलाल जाट ने बताया कि इस वर्ष सरकार ने विद्यालय को मूंडवा ब्लॉक का उत्कृष्ट विद्यालय मानकर चयन किया है। उत्कृष्ट बोर्ड परीक्षा परिणाम, सरकारी योजनाओं का लाभ, नामांकन, ठहराव, स्पीक अप कार्यक्रम, खेलकूद गतिविधियों का संचालन, विभिन्न सहशैक्षिक गतिविधियों का संचालन, विज्ञान मेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन सहित सैकड़ों मानदंडों पर खरा उतरने पर इस विद्यालय का उत्कृष्ट विद्यालय के लिए चयन किया गया है। प्राचार्य ने इस उपलब्धि को अपनी टीम के लिए समर्पित किया और साथ ही खेद जताया कि इतनी मेहनत कहीं और करता तो भामाशाह हर मांग को पूरा करते और पूरा सहयोग देते। गत दो साल से प्राथमिक भाग की मरम्मत के लिए और एक साल से खेल मैदान के विकास के लिए अंबुजा, नगरपालिका और सेठ-साहूकारों के आगे हाथ जोड़ता आ रहा हूं, मगर मुझे सहयोग नहीं मिल रहा है। जबकि इस गांव की कन्या पाठशाला के लिए अगर अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन सहयोग नहीं कर सकता, तो आम आदमी के जीवन के लिए क्या उम्मीद की जा सकती है।जनप्रतिनिधियों से गत दो साल से गुहार लगा रहा हूं। नागौर के विधायक से भी निवेदन किया जा चुका है। कभी कभी मन करता है कि कहीं अन्यत्र जाकर इन बेटियों के लिए मांगू। जबकि ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी जयराम सिंवर, राकेश चौधरी, कंवरीलाल जेठू और भंवरलाल कासणियां ने करीब 25 विद्यार्थियों की सीयूइटी 2022 की तैयारी करवाई गई, जिनमें से 12 जनों का पहली ही बार में चयन हुआ है। यह उपलब्धि मूंडवा के लिए कमतर नहीं है। प्राचार्य ने भारी मन से बताया कि गतवर्ष आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए घोषित राशि भी कुछ जनप्रतिनिधियों ने नहीं दी है। अपने घर-परिवार को भी समय नहीं दे सकने के बावजूद यहां के जनप्रतिनिधियों और सेठ-साहूकारों का जो सहयोग मिलना चाहिए, नहीं मिल रहा है।♦

kalamkala
Author: kalamkala

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