लाडनूं शहर के वार्डों का पुनर्गठन: प्रतिक्रियाएं- 1. मनमर्जी के वार्ड, मनमर्जी की सीमाएं, मनमर्जी से तोड़-मरोड़, उगल रहे सब व्यथाएं, सफल हुई नगर पालिका का कांग्रेसी चैयरमेन बनाने की गोपनीय साजिश, ठगा जा रहा वोटर

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लाडनूं शहर के वार्डों का पुनर्गठन: प्रतिक्रियाएं- 1.

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मनमर्जी के वार्ड, मनमर्जी की सीमाएं, मनमर्जी से तोड़-मरोड़, उगल रहे सब व्यथाएं,

सफल हुई नगर पालिका का कांग्रेसी चैयरमेन बनाने की गोपनीय साजिश, ठगा जा रहा वोटर

लाडनूं (kalamkala.in)। जिला प्रशासन ने लाडनूं नगर पालिका के वार्डों का पुनर्गठन किया और प्रारूप जारी किया और इसके साथ ही ‘कलम कला’ ने उसका प्रकाशन करके सार्वजनीकरण किया, वैसे ही पूरे शहर में जैसे भूचाल आ गया। लोगों की तेज और तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई। सारी प्रतिक्रियाओं पर नजर दौड़ाएं तो एक ही संदेश स्पष्ट रूप से सामने आता है कि लाडनूं में वार्ड-पुनर्गठन कार्य बिल्कुल ग़लत हुआ है और लगभग सभी पार्षद एवं प्रमुख लोग इससे असंतुष्ट हैं। इन प्रतिक्रियाओं में बहुत सी तो बहुत ही तीखी हैं और शब्द-प्रयोग फिर से किया जाना संभव नहीं है। फिर भी उन्हें कुछ सुधार करके और कुछ हूबहू प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है। ‘कलम कला’ और हर मीडिया सरकार और जनता की बीच की कड़ी होता है, इसलिए आमजन की सामने आई आवाज को उठाना हमारा दायित्व है।

सबसे पहले पार्षद राजेश भोजक के विचार-

उन्होंने इसे लाडनूं का दुर्भाग्य कहते हुए 12 बिंदुओं में अपनी प्रतिक्रिया दी है। भोजक ने लिखा है कि भाजपा सरकार के निर्देश में समस्त राजस्थान के नगर निकायों का वार्ड परिसीमन करने के निर्देश थे, ताकि सभी शहरों में भाजपा के बोर्ड बन पाए, इस तरह से वार्ड-परिसीमन कार्य किया जाए। उन्होंने तो नामोल्लेख करते हुए स्पष्ट लिखा है कि लाडनूं से भाजपा के हारे हुए प्रत्याशी करणी सिंहजी के निर्देश पर हनुमान जांगिड़, प्रवीण जोशी, सुरेंद्र जांगिड़, इदरीश खान व कांग्रेस से चेयरमैन बने रावत खान ने मिलीभगत करके नए वार्ड बना दिए।

क्या फिर बनेगा कांग्रेस का ही चैयरमेन

भोजक ने लिखा है कि लाडनूं में कुल 45 वार्ड हैं, जिनमें से जिस भी दल के 23 वार्ड पार्षद आ जाएंगे, वो चेयरमैन बना लेंगे। इस गणित में वर्तमान में तय की गई वार्ड-सीमाओं को देखते हुए अल्पसंख्यकों के 17 से 19 वार्ड सदस्य जीत कर आ सकते हैं। अगर 17 सदस्य ही जीत कर आते हैं, तो कांग्रेस से जीतने वाले 5-7 बहुसंख्यक सदस्य उनके साथ मिलकर कांग्रेस का 23 का आंकड़ा पूरा कर चेयरमैन बन जाएगा। 3-4 और लोग (भाजपा से भी) आपसी द्वेषता या लोभ-लालच के वशीभूत होकर उन्हें वोट देकर कांग्रेस का नगर पालिका बोर्ड बनवा ही देंगे।

ग्रामीणों के साथ सबसे बड़ा धोखा

राजेश भोजक का मानना है कि मंगलपुरा, मालासी, चक गोरेडी आदि गांवों के लोगों के साथ भी बड़ा धोखा ही हुआ है। इन गांवों को मिला कर 7 वार्ड नए बनाए जाने थे, लेकिन वार्डो की संख्या 45 ही रखी गई है, एक भी वार्ड नहीं बढ़ाया गया। लगता है इन गांवों को न नगर पालिका में रखा गया और रखा गया, तो इन्हीं वार्डों में समाहित रखा जा रहा है अथवा उन्हें न ग्रिम पंचायत रखा जा रहा है और न नगर पालिका के वार्डों में शामिल किया जा रहा है। इन गांवों के वोटर्स को लाडनूं में ही मिला कर नए वार्ड गठित किए जाते तो भाजपा को चेयरमैन बनाने में मजबूती मिलती। लगता है इन गांव वालों के साथ धोखा किया गया।

भाजपा शहर अध्यक्ष की उपेक्षा कर किया दरकिनार

पार्षद भोजक का कहना है कि इस परिसीमन में भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष मुरलीधर सोनी पूछा तक नहीं गया, जबकि उन्होंने अपने स्तर पर एक नक्शा भी तैयार किया था, जिसमें जनसंख्या के अनुसार वार्डों का नवगठन किया गया था। उनके अनुसार चलने पर केवल 10 वार्डों से ही कांग्रेस के अल्पसंख्यक सदस्य बन पाते। लेकिन सोनी की चलने ही नहीं दी गई। यह शिकायत भाजपा के उच्चाधिकारियों और मुख्यमंत्री तक पहुंचाई गई, लेकिन इन लोगों ने उनको भी गुमराह करके वार्ड परिसीमन में भाजपा पार्टी के साथ धोखा किया है।

धांधली का नमूना- एक वार्ड को 4 टुकड़ों में बांटा

परिसीमन में जानबूझकर बरती गई धांधली को लेकर अपने आपका नमूना पेश करते हुए राजेश भोजक ने बताया है कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीत कर भी भाजपा से चेयरमैन के दावेदार सुरेंद्र जांगिड़ को अपना वोट सबको दिखाकर दिया था। फिर भी उनके ही वार्ड को चार टुकड़ों में बांट कर ऐसे हालात पैदा करने के प्रयास किए हैं कि वे इस बार किसी भी वार्ड से चुनाव नहीं जीत सके। इसी तरह बहुत से भाजपा समर्थित वार्डों को तोड़ा-मरोड़ा गया है।

वे कांग्रेस समर्थित फिर कर गए गोलमाल

भोजक ने लिखा है कि जिन नगरपालिका कर्मचारियों ने पिछले कांग्रेस शासन में हुए वार्ड परिसीमन में कूटनीति करते हुए 45 वार्डों में से 21 अल्पसंख्यक सदस्य जितवाए थे और फिर चेयरमैन के रूप में रावत खान को बनाया। उन्हीं कर्मचारियों को फिर साथ लेकर इस बार का यह परिसीमन तैयार करवाया गया है। इसमें अपने निजी स्वार्थों को महत्व दिया गया है, अगर मातृभूमि, धर्म व पार्टी को महत्व दिया जाता तो निश्चित ही इस शहर का कल्याण हो सकता था। धृतराष्ट्र जैसी अंधता और स्वार्थों का घालमेल लाडनूं का नाश कर रही है। लाडनूं के भाजपा के वोटर्स के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

नोट- अन्य महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाओं के लिए इंतजार करें।  (क्रमशः)

 

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Author: kalamkala

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